Jharkhand Municipal Election 2022: नगर निकाय चुनाव में वार्ड पार्षद से लेकर मेयर तक की खर्च लिमिट तय

झारखंड निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव के प्रत्याशियों की खर्च सीमा तय कर दी है. 2011 की जनगणना के अनुसार मेयर पद के लिए 15 लाख से 25 लाख रुपये खर्च करने की तय सीमा निर्धारित की गयी है. वहीं, अध्यक्ष पद के लिए पांच लाख से 10 लाख और वार्ड पार्षद के लिए एक लाख से पांच लाख खर्च सीमा तय की गयी है.

By Samir Ranjan | November 18, 2022 6:49 PM

Jharkhand Municipal Election 2022: झारखंड राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर पालिकाओं के निर्वाचन के संबंध में प्रत्याशियों के खर्च की सीमा निर्धारित कर दी है. इसमें आबादी के अनुसार महापौर-अध्यक्ष और वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के लिए अलग-अलग राशि निर्धारित की गयी है. प्रत्याशी चुनाव परिणाम की घोषणा की तारीख से 30 दिनों के अंदर खर्च का लेखाजोखा जमा करना होगा. प्रत्याशियों को इसमें खर्च की मूल प्रति समर्पित करनी होगी.

नगर निकाय चुनाव में प्रत्याशियों की खर्च सीमा

नगर निगम : 10 लाख एवं उससे अधिक जनसंख्या (2011 के अनुसार) वाले नगर निगम में महापौर के प्रत्याशी चुनाव में 25 लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे, वहीं वार्ड पार्षद पांच लाख रुपये तक खर्च कर पाएंगे. इसके अलावा 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम में महापौर के प्रत्याशी 15 लाख रुपये तक खर्च कर पाएंगे. वहीं, वार्ड पार्षद तीन लाख रुपये तक खर्च कर पाएंगे.

नगर परिषद : एक लाख एवं उससे अधिक जनसंख्या (2011 के अनुसार) वाले नगर परिषद में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी 10 लाख रुपये तक खर्च कर पाएंगे. वहीं, वार्ड पार्षद दो लाख रुपये तक खर्च कर सकेंगे. इसके अलावा एक लाख से कम जनसंख्या वाले नगर परिषद में अध्यक्ष पद के प्रत्याशी छह लाख रुपये और वार्ड पार्षद डेढ़ लाख रुपये खर्च कर पाएंगे.

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नगर पंचायत : 12 हजार एवं उससे अधिक जनसंख्या तथा 40 हजार से कम जनसंख्या (2011 के अनुसार) वाले नगर पंचायत के अध्यक्ष पद के प्रत्याशी पांच लाख रुपये और वार्ड पार्षद एक लाख रुपये तक खर्च कर पाएंगे.

प्रत्याशियों को देना होगा खर्च का ब्योरा, वर्ना तीन साल तक चुनाव पर रोक

झारखंड राज्य निर्वाचन आयोग की अधिसूचना के अनुसार, नगरपालिका निर्वाचन लड़ने वाले प्रत्याशियों के नाम निर्देशन की तारीख से रिजल्ट घोषित होने तक की तारीख तक के सभी खर्च का ब्योरा रखना होगा. निर्वाचन व्यय का लेखा प्रस्तुत नहीं किये जाने पर इसे गलती मानी जाएगी. इस गलती के लिए उचित कारण या औचित्य नहीं होने की स्थिति में आयोग उस प्रत्याशी को अयोग्य घोषित कर सकता है. ऐसे प्रत्याशियों को तीन साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी जाएगी.

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