झारखंड के 52 वर्षीय पर्वतारोही ने माउंट एवरेस्ट के शिखर पर लहराया तिरंगा, 4 दिनों में पूरी की चढ़ाई

Mount Everest: टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) के वरिष्ठ प्रशिक्षक 52 वर्षीय मोहन रावत ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा लहराया. मोहन रावत ने 18 मई की तड़के 05:20 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे. नीचे उतरने से पहले उन्होंने शिखर पर करीब 15 मिनट का समय बिताया.

By Dipali Kumari | May 20, 2025 11:02 AM

Jharkhand Mountaineer Climb Mount Everest: जब आपके हौसले बुलंद हो और कुछ कर जाने का जूनून हो, तो हर मंजिल को पाना बेहद आसान हो जाता है. जमशेदपुर जिले के 52 वर्षीय मोहन रावत ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के शिखर पर तिरंगा लहराकर, यह बात सच कर दिखाया है. मोहन रावत टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) के वरिष्ठ प्रशिक्षक है. उनकी इस सफलता पर टाटा स्टील की ओर से विज्ञप्ति जारी कर इस बात की जानकारी दी गयी.

18 मई की सुबह शिखर पर लहराया तिरंगा

टाटा स्टील की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार मोहन रावत ने 18 मई की तड़के 05:20 में माउंट एवरेस्ट की चोटी पर पहुंचे और देश का तिरंगा लहराया. नीचे उतरने से पहले उन्होंने शिखर पर करीब 15 मिनट का समय बिताया. उन्होंने 14 मई को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरू की थी और 17 मई को शिविर चार (26,400 फीट) पहुंचे थे. एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान उनके साथ अनुभवी शेरपा गाइड लखपा शेरपा भी थे.

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चढ़ाई से पहले खुद को किया परिस्थितियों से अनुकूल

बताया गया कि खुद को परिस्थितियों से अनुकूल करने के लिए मोहन रावत ने 2 मई को माउंट लोबुचे ईस्ट (20,075 फीट) पर चढ़ाई की थी. इसके बाद उन्होंने 3 मई को खुंबू क्षेत्र से ट्रैकिंग करते हुए एवरेस्ट आधार शिविर (17,500 फीट) पर पहुंचे. 14 मई को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई शुरूकरने के बाद 18 मई की अहले सुबह 5:20 बजे उन्होंने शिखर पर फतह हासिल की. इस अभियान में नेपाल स्थित एशियन ट्रेकिंग ने भी उनका सहयोग किया.

मोहन रावत कई पर्वतों की चोटियां कर चुके हैं फतह

मोहन रावत 20 वर्षों से अधिक समय से टीएसएएफ के साथ हैं. उन्होंने पर्वतारोहण, स्कीइंग और राफ्टिंग में व्यापक प्रशिक्षण लिया है. उन्होंने इससे पहले भी कई पर्वतों की चोटियां फतह की हैं. वह 2018 मिशन गंगा अभियान का हिस्सा थे, जिसे प्रधानमंत्री ने हरी झंडी दिखायी थी. वह बछेंद्री पाल के नेतृत्व में 2022 ट्रांस-हिमालयन अभियान में शामिल थे, जिसने 35 पर्वतीय दरों से 4,841 किलोमीटर की दूरी तय की थी.

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