हाइड्रोसील ऑपरेशन के बाद सर्जरी विभाग में फिर एक मौत रूम में ताला लगा भाग गयीं नर्सें, 12 घंटे तक पड़ा रहा शव

जमशेदपुर : एमजीएम के सर्जरी विभाग में हाइड्रोसील अॉपरेशन कराने के बाद इलाज करा रहे शास्त्रीनगर कदमा निवासी कमल नेपाली (40) की शनिवार की रात को मौत हो गयी. कमल नेपाली के परिजनों ने डॉक्टरों पर ऑपरेशन के दौरान लापरवाही का आरोप लगाते हुए वार्ड में जमकर हंगामा किया. वहीं वार्ड के सिस्टर रूम में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 22, 2018 7:34 AM
जमशेदपुर : एमजीएम के सर्जरी विभाग में हाइड्रोसील अॉपरेशन कराने के बाद इलाज करा रहे शास्त्रीनगर कदमा निवासी कमल नेपाली (40) की शनिवार की रात को मौत हो गयी. कमल नेपाली के परिजनों ने डॉक्टरों पर ऑपरेशन के दौरान लापरवाही का आरोप लगाते हुए वार्ड में जमकर हंगामा किया. वहीं वार्ड के सिस्टर रूम में रखे अन्य मरीजों के बीएचटी को फाड़ दिया. साथ ही टेबल पर रखे सामन को फेंक दिया. परिजनों द्वारा दोषी डॉक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की जा रही थी.
हंगामा की सूचना मिलते ही सुरक्षाकर्मियों ने मामले को शांत कराया. इधर परिजनों ने कहा कि डॉक्टरों पर जब तक कार्रवाई नहीं हो जाती है, तब तक वे शव नहीं ले जायेंगे. परिजनों ने शव को वार्ड में ही छोड़कर चले गये. इधर सर्जरी वार्ड में हंगामा होते देख सिस्टर रूम में काम रही सभी नर्स रूम में ताला मारकर भाग गयीं, जिसके कारण रविवार की सुबह 11 बजे तक सर्जरी वार्ड के डॉक्टर व नर्स रूम में ताला लटका रहा. वहीं करीब 12 घंटे तक शव मरीजों के बीच पड़ा रहा और ड्यूटी रूम बंद रहा.
इससे वार्ड में भर्ती मरीजों को न तो दवा मिला और न ही मरहम पट्टी हुई. रविवार की सुबह लगभग आठ बजे परिजन फिर पहुंचे और सर्जरी वार्ड से लेकर इमरजेंसी तक में हंगामा किया. पुलिस ने फिर आकर सभी को समझाया इसके बाद मामला शांत हुआ, जिसके बाद परिजन शव को लेकर घर चले गये. गौरतलब हो कि सर्जरी विभाग के डॉ एमके सिन्हा और डॉ लक्ष्मण हांसदा ने 11 दिसंबर 2017 को मानगो के सुखदेव राम के हाइड्रोसील का ऑपरेशन किया था. 16 दिसंबर को उसकी मौत हो गयी थी. परिजनों द्वारा लापरवाही का आरोप लगाये जाने पर मेडिकल बोर्ड ने जांच करने के बाद डॉ एमके सिन्हा को दोषी पाया था और उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था.
24 सितंबर से चल रहा था इलाज
अधीक्षक डॉ एसएन झा ने बताया कि कदमा निवासी कमल नेपाली 24 सितंबर से अस्पताल में भर्ती है. उसके एस्क्रोटम (अंडकोष) में इंफेक्शन हो गया था. जिसके कारण उसके पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल गया था. डॉ डी हांसदा द्वारा उसका ऑपरेशन भी किया गया था. शनिवार को अचानक उसकी स्थित ज्यादा खराब हो गयी. इसकी सूचना मिलने पर इमरजेंसी में उपस्थित डॉक्टरों ने आकर उसको देखा, लेकिन स्थिति ज्यादा खराब होने के कारण उसे नहीं बचाया जा सका.
दर्द होने पर जूनियर डॉक्टर ने कहा- मुझसे नहीं हो पायेगा इलाज
नेपाली के परिजनों ने बताया कि 24 सितंबर को उसको इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल में भर्ती किया गया था. नौ अक्तूबर को सर्जरी विभाग के डॉ डी हांसदा द्वारा उसके हाइड्रोसील का ऑपरेशन किया गया. उसके बाद से उसका दर्द लगातार बढ़ने लगा. इसकी शिकायत जब उन लोगों ने डॉक्टरों से की तो कहा गया कि दर्द ठीक हो जायेगा, लेकिन दर्द ठीक होने की जगह बढ़ने लगा. शनिवार की शाम दर्द तेज होने पर सूचना वार्ड में मौजूद एक जूनियर नर्स को दी गयी.
नर्स ने भी कहा कि दर्द ठीक हो जायेगा. दर्द से तड़प रहे मरीज को देखकर परिजन पूरे वार्ड में डॉक्टर को खोजने लगे लेकिन पूरे वार्ड में एक भी डॉक्टर नहीं मिले. इसके बाद परिजन इमरजेंसी जाकर देखा तो वहां एक जूनियर डॉक्टर बैठा था. उसे बताने पर उसने कहा कि मेरे से नहीं होगा सीनियर डॉक्टर को बुलाये, जबकि इमरजेंसी में भी कोई सीनियर डॉक्टर मौजूद नहीं था. इस कारण परिजन लौट कर वार्ड में आ गये. इसके कुछ देर बाद ही मरीज की मौत हो गयी. मृतक के परिजनों ने आरोपित डॉक्टर व नर्सों के खिलाफ सख्ती के साथ कार्रवाई की मांग की है तो ताकि आगे इस तरह की लापरवाही दूसरे मरीज के साथ न हो सके.