साठ के दशक तक रामनवमी महासमिति के अध्यक्ष हाथी की सवारी से करते थे नेतृत्व

हजारीबाग में रामनवमी का जुलूस वर्षो से देश व राज्य में विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है.

By VIKASH NATH | March 30, 2025 10:17 PM

जयनारायण हजारीबाग. हजारीबाग में रामनवमी का जुलूस वर्षो से देश व राज्य में विशेष आकर्षण का केंद्र रहा है. 60 के दशक तक रामनवमी जुलूस एक अनोखा अंदाज देखने को मिलता था. रामनवमी महासमिति के अध्यक्ष हाथी पर चढ़कर जुलूस का नेतृत्व करते थे. यह दृश्य न केवल भक्तों में उत्साह का संचार करता था, बल्कि जुलूस को भी एक विशिष्ट पहचान दिलाता था. इस दौरान हाथी पर बैठे अध्यक्ष ने राम भक्तों के बीच में राम के संदेशों को फैलाते थे. इससे रामभक्तों का उत्साह देखते ही बनता था. जुलूस में भक्ति गीत, नृत्य, भगवान का जयघोष, अस्त्र-शस्त्र की करतब और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने जुलूस को और भी जीवंत बना देता था. हजारीबाग के लोग इस परंपरा को बहुत श्रद्धा के साथ मनाते थे. लोग हर वर्ष इसका बेसब्री से इंतजार करते थे. चैंबर ऑफ कॉमर्स के संस्थापक 71 वर्षीय राजेंद्र लाल उन दोनों को याद करते हुए बताया कि उस समय हम लोग बहुत छोटे थे. हमें याद है कि उस समय के रामनवमी महासमिति के अध्यक्ष हीरालाल महाजन थे. रामनवमी महासमिति अध्यक्ष सजे हुए हाथी की सवारी पर निकलते थे. अध्यक्ष जुलूस के आगे-आगे चलते थे. उनके पीछे विभिन्न अखाड़ा के लोग रहते थे. उस समय हजारीबाग शहर काफी छोटा होता था. शहर वासियों के हाथों में महावीरी पताखा लिए रहते थे. रामगढ़ राजा उपलब्ध कराते थे हाथी राजेंद्र लाल बताते हैं कि हजारीबाग रामनवमी महोत्सव में रामगढ़ राजा का बहुत ही बड़ा योगदान रहता था. रामगढ़ राजा रामनवमी महासमिति के अध्यक्ष के लिए हाथी उपलब्ध कराते थे. जिस पर सवार होकर रामनवमी जुलूस का नेतृत्व किया जाता था. यह परंपरा काफी दिनों तक चला. उन्होंने बताया कि यह अनोखा अंदाज सिर्फ धार्मिक उत्सव में नहीं थी, बल्कि स्थानीय संस्कृति के समृद्ध होने का भी प्रतीक है. जुलूस में शामिल लोगों ने एकता और भाईचारे का संदेश दिया करता था. हजारीबाग रामनवमी का यह जुलूस न केवल धार्मिक है, बल्कि सामाजिक एकता का भी प्रतीक है.

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