तालाब में समा गईं दो जिंदगियां, हजारीबाग में छठ की तैयारी कर रहे परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
Chhath Puja Accident: झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र में छठ पूजा की पूर्व संध्या पर बड़ा हादसा हुआ. तालाब में नहाने गई दो बच्चियों की डूबने से मौत हो गई. अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति पर परिजनों और ग्रामीणों ने आक्रोश जताया.
Chhath Puja Accident, बड़कागांव, (संजय सागर): हजारीबाग के केरेडारी थाना क्षेत्र अंतर्गत कराली बेला गांव के एक परिवार के छठ पर्व की खुशियां मातम में बदल गयी. दरअसल रविवार को नहाने गयी दो बच्चियों की मौत तलाब में डूबने से हो गयी. इससे पूरे क्षेत्र में छठ महापर्व की खुशियों फीकी पड़ गयी. घटना की जानकारी देते हुए परिजनों ने बताया कि घर में छठ पूजा के लिए खरना बनाने की तैयारी चल रही थी. शाम के वक्त दोनों बच्चियां तालाब में नहाने गईं और डूब गईं. जब परिजनों को इसकी जानकारी मिली, तो उन्होंने दोनों को तुरंत केरेडारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया. लेकिन वहां पर डॉक्टर नहीं होने के कारण समय पर इलाज नहीं हो सका.
एक मृत बच्ची अपने नाना के घर आयी थी छठ पूजा में शामिल होने
परिजनों ने इसके बाद दोनों बच्चियों को बड़कागांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया. जहां चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर अविनाश कुमार ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. मृतक बच्चियों की पहचान रूपा तिवारी (12 वर्ष, पिता रवि तिवारी) और गुनगुन कुमारी (11 वर्ष, पिता अनिल तिवारी) के रूप में हुई है. गुनगुन कुमारी अपने नाना संत कुमार तिवारी के घर छठ पूजा में शामिल होने आई थी. संत कुमार तिवारी ने बताया कि उनकी पोती मायके आई थी, लेकिन तालाब में नहाते समय उसकी मृत्यु हो गई, जिससे उनकी छठ पूजा की खुशियां मातम में बदल गईं.
Also Read: झारखंड में बाइसन की घटती संख्या पर बड़ा एक्शन, मध्यप्रदेश से लाए जाएंगे 50 मादा जंगली भैंसा
इलाज से पहले ही हो चुकी थी दोनों बच्चियों की मौत
बड़कागांव अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉक्टर अविनाश कुमार ने बताया कि केरेडारी से बड़कागांव अस्पताल तक एंबुलेंस 6:30 बजे सुबह पहुंची. लेकिन जब तक इलाज शुरू होता तब दोनों बच्चों की मौत हो चुकी थी. बड़कागांव अस्पताल में सभी स्वास्थ्य पदाधिकारी मौजूद थे.
परिजनों और ग्रामीणों में आक्रोश
परिजन और ग्रामीण अस्पताल की लापरवाही से नाराज हैं. उनका कहना है कि अगर केरेडारी अस्पताल में डॉक्टर होते, तो दोनों बच्चियां बच सकती थीं. उन्होंने बताया कि जब वे अस्पताल पहुंचे, तो वहां कुछ स्वास्थ्य कर्मी ताश खेल रहे थे और कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था. ग्रामीणों ने केरेडारी अस्पताल में डॉक्टर की अनुपस्थिति और लचर स्वास्थ्य को लेकर गंभीर आक्रोश जताया और चिकित्सा प्रभारी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है.
