झारखंड की वीरांगना : टांगी लेकर उग्रवादियों से भिड़ गई आदिवासी बेटी, एरिया कमांडर को काट डाला, भाग गये नक्सली

गुमला में एक आदिवासी बेटी विनीता उरांव की हिम्मत ने उसके पूरे परिवार की जान बचा ली. घर पर हमले के दौरान वह अकेले टांगी लेकर पीएलएफआइ उग्रवादियों से भिड़ गयी. गोली चलाते हुए दरवाजा तोड़कर घर में घुसे पीएलएफआइ के एरिया कमांडर बसंत गोप को सबसे पहले विनीता ने टांगी से काट डाला

By Prabhat Khabar | May 7, 2020 1:48 AM

गुमला : गुमला में एक आदिवासी बेटी विनीता उरांव की हिम्मत ने उसके पूरे परिवार की जान बचा ली. घर पर हमले के दौरान वह अकेले टांगी लेकर पीएलएफआइ उग्रवादियों से भिड़ गयी. गोली चलाते हुए दरवाजा तोड़कर घर में घुसे पीएलएफआइ के एरिया कमांडर बसंत गोप को सबसे पहले विनीता ने टांगी से काट डाला. कमांडर को घायल देख अन्य उग्रवादी डर गये. इसके बाद घायल कमांडर को साथ लेकर भाग गये, लेकिन रास्ते में बसंत की मौत हो गयी. बुधवार की सुबह वृंदा जंगल से बसंत का शव मिला. मामला गुमला सदर थाना से 10 किमी दूर वृंदा नायक टोली गांव का है. जानकारी के अनुसार, पीएलएफआइ के पांच-छह उग्रवादियों ने वृंदा नायक टोली गांव के भीम उरांव के घर पर मंगलवार की रात करीब 8.30 बजे हमला कर दिया. घर की दीवारों पर गोलियां चलायीं.

अंधाधुंध हवाई फायरिंग की. उग्रवादी आवाज देकर विनीता उरांव के पति भीम उरांव व परिवार के सभी सदस्यों को घर से निकलने के लिए कह रहे थे. घर का दरवाजा नहीं खुला, तो उग्रवादी दरवाजा तोड़कर अंदर घुस गये. एरिया कमांडर बसंत गोप सबसे पहले घुसा तभी कोने में छिपी विनीता ने टांगी से उग्रवादी बसंत गोप पर हमला कर दिया. घायल बसंत चिल्लाने लगा. विनीता का रौद्र रूप देख सभी उग्रवादी बसंत को लेकर भाग गये. इसके बाद परिवार के सदस्यों ने एसपी एचपी जनार्दनन को फोन पर सूचना दी. फिर रात को पुलिस गांव पहुंची और कैंप कर रही है.

बुधवार को छापामारी के दौरान बसंत गोप का शव जंगल से मिला. शव लकड़ी में बंधा हुआ है. आशंका जतायी जा रही है कि घायल बसंत को उसके साथी लकड़ी में बांधकर कंधे में टांगकर भाग रहे थे, लेकिन जंगल में उसकी मौत हो गयी. उसकी छाती पर चोट लगी है.पीएलएफआइ छह बार कर चुका है हमला घर में भीम उरांव, पत्नी विनीता उरांव, भाई पीयूष टोप्पो, वृद्ध मां व दो बच्चे हैं. दो साल पहले भीम उरांव के पिता शनिचरवा उरांव की पीएलएफआइ उग्रवादियों ने हत्या कर दी थी. स्व शनिचरवा गांव में जलछाजन का काम कराते थे. 50 हजार लेवी मांगी गयी थी. उनकी लेवी नहीं देने पर हत्या की गयी थी.

इसके बाद से परिवार के सभी छह सदस्य रांची पलायन कर गये थे. रांची में रहकर मजदूरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन को देखते हुए वे लोग 24 मार्च को अपने गांव आ गये थे. भीम ने कहा कि पीएलएफआइ कमांडर बसंत गोप सहित पांच-छह अन्य उग्रवादी थे, जिन्होंने घर पर हमला किया था. अब तक छह बार नक्सलियों ने हमारे परिवार पर हमला किया है. मेरी पत्नी विनीता की हिम्मत के कारण हम लोगों की जान बची है

शुरू में डरी, फिर हिम्मत जुटा बोला हमला – विनीता उरांव ने कहा : जब उग्रवादी गोलीबारी करने लगे और पिता को बाहर बुलाने लगे, तो शुरू में मैं डर गयी. एक बार लगा कि अब उग्रवादी हम सभी को मार देंगे. इस डर के बीच मैं टांगी लेकर घर के दरवाजे के पास छिप गयी. जैसे ही उग्रवादी दरवाजा तोड़ कर अंदर घुसे, मैंने हमला कर दिया. अंधेरा था. टांगी की वार से उग्रवादी दरवाजे के पास गिर गया. मैंने उग्रवादी पर चार-पांच बार टांगी से वार किया. इसके बाद उग्रवादी डरकर अपने घायल साथी को घसीटते हुए लेकर भाग निकले.

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