खेती के साथ मछली पालन भी करें किसान : कुसुमलता
मछली पालन की तकनीक पर पांच दिवसीय आवासीय विशेष प्रशिक्षण संपन्न
गुमला. मात्स्यिकी विज्ञान महाविद्यालय गुमला में मत्स्य किसानों के लिए मछली पालन की तकनीक पर आयोजित पांच दिवसीय आवासीय विशेष प्रशिक्षण सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. मत्स्य निदेशालय झारखंड सरकार के सहयोग से आयोजित प्रशिक्षण में गुमला व सिमडेगा जिले से कुल 26 महिला व पुरुष प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया. प्रशिक्षण में सभी किसानों को बायोफ्लॉक तकनीक द्वारा मछली पालन की पद्धति, मिश्रित मछली पालन, रंगीन मछली पालन, उसका प्रजनन व रख-रखाव, मछली आहार का निर्माण व प्रबंधन, जल कृषि में पानी व मिट्टी की गुणवत्ता की जांच व प्रबंधन समेत मछली पालन के क्षेत्र में रोजगार के अवसर से संबंधित विषयों पर व्यावहारिक व सैद्धांतिक जानकारी दी गयी. इसके अलावा प्रशिक्षणार्थी किसानों को मछलियों से मछली कटलेट, मछली समोसा, मछली सैंडविच व मछली मोमो जैसे मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने का भी प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण के अंतिम दिन प्रशिक्षणार्थी किसानों को मछलियों से निर्मित मूल्यवर्धित उत्पादों का स्टॉल लगा कर बिक्री की गयी और रोजगार व व्यवसाय के संबंधित व्यावहारिक अनुभव भी प्राप्त किया. प्रशिक्षणार्थी किसानों को प्रमाण पत्र दिया गया. मुख्य अतिथि जिला मत्स्य पदाधिकारी कुसुमलता ने प्रमाण पत्र दिया. मौके पर उन्होंने किसानों को प्रेरित करते हुए कहा कि मछली अतिरिक्त आय का एक बेहतर माध्यम है. किसान खेती-बारी के साथ ही मछली पालन भी कर सकते हैं. उन्होंने देसी मछली मांगुर की चर्चा करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा मांगुर मछली को राजकीय मछली घोषित किया गया है. मछली का पालन किसान अपने खेतों में चारों ओर कैनाल बना कर कर सकते हैं. बाजार में इस मछली की मांग भी है और यह मछली महंगी बिकती है. किसान इस मछली का पालन कर अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. मौके पर सहायक प्राध्यापक डॉ प्रशांत जाना, डॉ श्वेता कुमारी, डॉ कस्तूरी चट्टोपाध्याय, डॉ ओम प्रवेश कुमार रवि, डॉ केएस. विसडम, डॉ मनमोहन कुमार, डॉ मोहम्मद अशरफ मलिक, गैर शैक्षणिक कर्मचारी रेशमी सिंह, संजय नाथ पाठक आदि मौजूद थे.
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