Jharkhand News : न स्कूल, न अस्पताल, न ही आज तक गांव में पहुंचा कोई नेता, कुछ ऐसी है गुमला में रहने वाले खड़िया जनजाति परिवारों की स्थिति

यह जनजाति अंग्रेजों से लोहा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानी शहीद तेलंगा खड़िया के अनुयायी हैं. भारत की आजादी के बाद से यह गांव सरकारी सुविधाओं को तरस रहा है, परंतु यह गांव सरकार की नजरों से ओझल है. सरकारी मुलाजिम गांव के लोग कैसे जी रहे हैं. यह जानने का कभी प्रयास नहीं किया. यहां तक कि हर पांच साल में वोट मांगने वाले विधायक व सांसद भी गांव की दुर्दशा जानने का प्रयास नहीं किये.

By Prabhat Khabar | April 12, 2021 12:55 PM
  • आज तक इस गांव में नहीं पहुंचे हैं विधायक, बीडीओ व पंचायत सेवक

  • गांव में न पानी, सड़क, बिजली और न पक्का घर, खुले में करते है शौच

  • बीमार पड़े, तो खटिया पा लाद कर मरीज को ले जाते है अस्पताल

  • कभी-कभी नक्सली गांव पहुंच जाते हैं, पर आज तक प्रशासन नहीं पहुंचा

  • शहीद तेलंगा खड़िया के अनुयायी हैं सभी परिवार

Gumla News, Gumla Ghaghra News गुमला : बिना पानी, बिजली, सड़क व स्वास्थ्य सुविधा के कैसे जीयेंगे? यह सोच कर ही डर लगता है, परंतु झारखंड राज्य का एक ऐसा गांव हैं, जो इन समस्याओं से आजादी के 73 साल बाद भी जूझ रहा है. फिर भी इन समस्याओं से जूझते हुए किसी प्रकार जिंदा हैं. हम बात कर रहे हैं, गुमला जिले के घाघरा प्रखंड स्थित दीरगांव पंचायत के बाकीतला गांव की. यह गांव घने जंगलों व पहाड़ों के बीच है. इस गांव में खड़िया जनजाति के लोग रहते हैं.

यह जनजाति अंग्रेजों से लोहा लेने वाले स्वतंत्रता सेनानी शहीद तेलंगा खड़िया के अनुयायी हैं. भारत की आजादी के बाद से यह गांव सरकारी सुविधाओं को तरस रहा है, परंतु यह गांव सरकार की नजरों से ओझल है. सरकारी मुलाजिम गांव के लोग कैसे जी रहे हैं. यह जानने का कभी प्रयास नहीं किया. यहां तक कि हर पांच साल में वोट मांगने वाले विधायक व सांसद भी गांव की दुर्दशा जानने का प्रयास नहीं किये.

इसका नतीजा है. आज भी गांव के लोगों की जिंदगी संकट में गुजर रही है. सरकार के लोग गांव आते-जाते नहीं हैं, परंतु कभी-कभार हथियार टांगे जंगल में रहनेवाले नक्सली जरूर पहुंच जाते हैं. आज भी इस गांव के लोगों को बदलाव का इंतजार है, ताकि उनकी जिंदगी बेहतर हो सके.

गांव का हर घर कच्ची मिट्टी व झोपड़ीनुमा:

बाकीतला गांव में 50 घर हैं. हर घर कच्ची मिट्टी व झोपड़ीनुमा है. सरकार पक्का घर बनाने का दावा करती है, परंतु सरकार के दावों को यह गांव झुठला रही है. गांव में सड़क नहीं है. पगडंडी के सहारे लोग सफर करते हैं. बरसात में काफी परेशानी होती है. पक्की सड़क व पक्का घर कब बनेगा, यह सवाल गांव वाले कर रहे हैं.

नदी का पानी पीते हैं गांव के लोग:

गांव में न कुआं है और न चापानल. सोलर जलमीनार भी नहीं बनी है. गांव में वर्षों पुराना एक दाड़ी कुआं है. बरसात व ठंडा के मौसम में दाड़ी कुआं में पानी रहता है, जिसे लोग पीने व घरेलू कार्य में उपयोग करते हैं, परंतु गर्मी में वह भी सूख जाता है. एक किमी दूरी तय कर नदी में पानी जमा कर उसका उपयोग पीने व घरेलू उपयोग में करते हैं.

खुले में शौच करती हैं महिलाएं:

गुमला जिला ओडीएफ घोषित है, यानि हर घर में शौचालय बन गया है. परंतु बाकीतला गांव की कहानी अजीब है. यहां किसी के घर में शौचालय नहीं है. लोग खुले में शौच करने जाते हैं, यहां तक कि महिलाएं व युवतियां भी खेत या नदी किनारे शौच करने जाती हैं.

ढिबरी युग में जी रहे हैं लोग:

सरकार कहती है. हर घर में बिजली जल रही है, परंतु बाकीतला गांव आज भी ढिबरी युग में जी रहा है. गांव में बिजली नहीं है, जिससे शाम छह बजते गांव में अंधेरा छाने लगता है. लोग सात बजे तक घरों में दुबक जाते हैं. बिजली नहीं रहने से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते हैं.

गांव के युवा कर रहे पलायन:

इस गांव का शिक्षा स्तर ठीक नहीं है. पांचवीं व छठीं कक्षा की पढ़ाई के बाद अधिकांश बच्चे स्कूल जाना बंद कर देते हैं. सभी अपने घर के रोजी-रोटी में जुट जाते हैं. गांव में कोई काम नहीं है. इसलिए गांव के अधिकांश युवक-युवतियां पैसा कमाने दूसरे राज्य पलायन कर जाते हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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