पब्लिक मुददा : कोंडरा पंचायत में पुलिस पिकेट बंद, इलाके में बकरी व बाइक चोरी बढ़ी
रायडीह प्रखंड में कोंडरा पंचायत है.
ग्रामीणों ने कहा : जबतक पुलिस पिकेट था. इलाके में शांति थी. पिकेट हटते ही चोरी की घटना बढ़ गयी. पुलिस ने कहा : रायडीह नक्सल मुक्त हो गया है. सीआरपीएफ यहां से चला गया है. इसलिए पिकेट बंद हो गया. 21 गुम 2 में पुलिस पिकेट बंद होने से सुनसान हुआ भवन 21 गुम 3 में पुलिस पिकेट का बंद गेट दुर्जय पासवान, गुमला रायडीह प्रखंड में कोंडरा पंचायत है. यह छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. आज से 10 साल पहले तक यह इलाका नक्सल पीड़ित था. भाकपा माओवादी व पीएलएफआइ जैसे उग्रवादी संगठन हावी थे. कई छोटे गिरोह भी रंगदारी के लिए क्राइम करते थे. पहले आये दिन उग्रवादी घटनाएं घटती थी. यहां तक कि पुलिस पार्टी पर भी उग्रवादी हमला कर चुके हैं. उग्रवादियों ने कई बेकसूर ग्रामीणों की हत्या कर चुके हैं. उग्रवादियों के आतंक को देखते हुए कोंडरा पंचायत में पुलिस पिकेट की स्थापना की गयी थी. परंतु, पुलिस की दबिश के बाद यह क्षेत्र पूरी तरह उग्रवाद से मुक्त हो गया है. अब इस क्षेत्र में उग्रवादी नहीं हैं. न ही उग्रवादी घटनाएं घट रही है. इसलिए सरकार ने कोंडरा में बने पुलिस पिकेट को बंद कर दिया और यहां तैनात सीआरपीएफ को वापस बुला लिया है. लेकिन, ग्रामीणों की शिकायत है. कोंडरा पुलिस पिकेट बंद होते ही इस क्षेत्र में बकरी चोरी व बाइक की लूट बढ़ गयी है. पिकेट हटने से छोटे अपराधी सक्रिय हो गये हैं. आये दिन किसी ने किसी घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं. सबसे अधिक बकरी चोरी बढ़ गयी है. ग्रामीणों को डर है. कहीं इस क्षेत्र में पुन: कोई गिरोह न खड़ा हो जाये और आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने लगे. इसलिए कोंडरा में पुन: पुलिस पिकेट की स्थापना की मांग ग्रामीणों ने की है. ताकि गांव व गांव में रहने वाले लोगों की जान माल की सुरक्षा हो सके. ग्रामीणों ने कहा : छत्तीसगढ़ के बदमाश कोंडरा में घुसते हैं कोंडरा पंचायत के सीताराम सिंह, रमेश सिंह, बलदेव सिंह, ननकू खड़िया, कलिंद्र राम, कृष्णा सिंह, बिराज किसान, शिवकुमार सिंह, सुलेंद्र सिंह सहित पंचायत के सैंकड़ों ग्रामीणों ने कहा है कि कोंडरा से पुलिस पिकेट को हटा दिया गया है. जिस कारण इस क्षेत्र में बकरी, गाय व गाड़ी की चोरी बढ़ गयी है. छत्तीसगढ़ से भी बदमाश लोग इस क्षेत्र में अब घुसने लगे हैं. पहले पुलिस पिकेट था तो उग्रवाद खत्म हो गया. छोटे अपराधी भी पलायन कर गये थे. परंतु, पुलिस पिकेट हटते ही हाल के दिनों में कई घटनाएं घटी है. ग्रामीणों ने पुन: यहां पिकेट बहाल करने की मांग की है. इस संबंध में ग्रामीणों ने तीन दिन पहले गुमला उपायुक्त से मिलकर कोंडरा पंचायत की समस्याओं को रखा था. जिसमें कोंडरा पुलिस पिकेट को पुन: चालू करने की मांग की है. इसपर डीसी ने गुमला एसपी को आवेदन भेजते हुए मामले की जांच कराने की बात कही है. इधर, पुलिस अधिकारी का कहना है कि गुमला जिला नक्सलमुक्त हो गया है. इस कारण सीआरपीएफ को यहां से हटा दिया गया है. सीआरपीएफ के जाने के बाद पुलिस पिकेट को भी बंद कर दिया गया है. मोबाइल में बात करने के लिए पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है रायडीह प्रखंड के कोंडरा पंचायत में बागबोथा गांव है. परंतु, यहां मोबाइल टावर नहीं है. इस कारण लोगों को अगर किसी से बात करनी है. पुलिस को कोई सूचना देनी है. या दूसरे राज्य व जिला में रह रहे रिश्तेदारों से कोई बात करनी है तो पहाड़ पर चढ़कर मोबाइल टावर खोजना पड़ता है. पहाड़ पर कहीं-कहीं मोबाइल टावर का कनेक्शन रहता है. पहाड़ पर टावर खोजकर बात करते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि राशन लेने के लिए भी पहाड़ पर चढ़ना पड़ता है. ग्रामीणों ने गांव में मोबाइल टावर की स्थापना करने की मांग की है. जिससे लोगों को परेशानी न हो. 78 साल बाद भी गांव में बिजली नहीं पहुंची है सरकार का दावा है. हर गांव में बिजली जल रही है. परंतु, कोंडरा पंचायत के डोंगाबारी व कुशियाझारन गांव में आजादी के 78 साल बाद भी बिजली नहीं पहुंची है. समीर खड़िया, जीतू कुमार, रेवती देवी, आरती कुमारी, भारती कुमारी ने कहा है कि हमारे गांव में आज तक बिजली नहीं पहुंची है. जबकि गांव में बिजली बहाल करने की मांग को लेकर कई बार बिजली विभाग को अवगत कराया गया. परंतु, सिर्फ आश्वासन मिला है. इधर, बिजली विभाग द्वारा मदद नहीं मिलने के बाद गुमला उपायुक्त को भी समस्या बतायी गयी है. ताकि गांव की समस्रूा दूर हो सके. हमारे बागबोथा गांव में दो सालों से ट्रांसफॉर्मर खराब है. कई बार बनाने की मांग की. परंतु, बिजली विभाग सुन नहीं रहा है. इतना ही नहीं. डोंगाबारी व कुशियाझारन में तो आजादी के 78 सान बाद भी बिजली नहीं पहुंची है. सीताराम सिंह, ग्रामीण, कोंडरा कोंडरा से पुलिस पिकेट हटा देने से ग्रामीणों को परेशानी हो गयी है. चूंकि कोंडरा पंचायत जिले का सबसे बड़ा क्षेत्र है. यहां पुलिस पिकेट जरूरी है. यह छत्तीसगढ़ राज्य से सटा हुआ है. गुमला डीसी से पिकेट की मांग की गयी है. लंकेश चीक बड़ाइक, मुखिया, कोंडरा
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