गुमला जिले की 95 हजार आबादी संकट में, बीमार पड़ें, तो कहां कराये इलाज, इन 2 प्रखंड में डॉक्टर ही नहीं

डुमरी व जारी प्रखंड में डॉक्टर ही नहीं हैं. डुमरी में सात डॉक्टर का पद है. जिसमें चार डॉक्टर कार्यरत थे. परंतु तीन डॉक्टरों की बदली हो गयी. जबकि एक डॉक्टर प्रशिक्षण में है.

By Prabhat Khabar | August 10, 2021 12:41 PM

गुमला : स्वास्थ्य विभाग गुमला से एक साथ 17 डॉक्टरों का तबादला हो गया है. जिसमें सीएचसी डुमरी के तीन डॉक्टर हैं. डुमरी सीएचसी में चार डॉक्टर थे. जिसमें तीन की बदली हो गया. अभी एक डॉक्टर है. इसी एक डॉक्टर पर डुमरी व जारी प्रखंड की 95 हजार आबादी का इलाज का जिम्मा है. डुमरी सीएचसी में डॉक्टरों के नहीं रहने से केंद्र की स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी है. सीएचसी में चिकित्सकों की पद सात है. जहां फिलहाल सिर्फ एक चिकित्सक डॉ रोशन खलखो पदस्थापित हैं.

परंतु वे भी सात अगस्त से एक सप्ताह के लिए रांची प्रशिक्षण लेने चले गये हैं. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के नहीं रहने से केंद्र चिकित्सक विहीन हो गया है. स्वास्थ्य केंद्र में लंबे समय के बाद वर्ष 2021 के जनवरी माह में तीन चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति हुई थी. जिसमें डॉ कुलदीप कुमार, डॉ. अपूर्वा, डॉ. शशि टोप्पो थे. इन तीनों चिकित्सकों ने सीएचसी में सात माह तक सेवा कार्य में अपना योगदान दिया. फिर अचानक से अगस्त माह में तीन चिकित्सकों का तबादला हो गया.

डॉ शशि टोप्पो की पोस्टिंग घाघरा सीएचसी में था. जिसको सीएचसी डुमरी में प्रतिनियुक्त किया गया था. कोरोना महामारी व बरसात के समय में बहुत सी मौसमी बीमारियां होती हैं. डाक्टरों के नहीं रहने से मरीजों को इलाज के लिए भारी परेशानी होगी. इस संबंध में प्रभारी चिकित्सक डॉ. रोशन खलखो ने कहा कि अकेला चिकित्सक प्रतिदिन ओपीडी देखेगा. चिकित्सकों के नहीं रहने से इमरजेंसी सेवा ठप हो जायेगी. ग्रामीणों की स्वास्थ्य संबंधी व बीमारी की जांच करने में भारी परेशानी होगी. इलाज के लिए मरीजों को दूसरे जगहों पर जाना पड़ सकता है. चिकित्सक की कमी को देखते हुए सीएस को चिकित्सक की मांग के लिए आवेदन भेजा जायेगा.

सांसद सुदर्शन भगत ने कहा :

सांसद सुदर्शन भगत ने कहा कि मैं इस मामले में डीसी व सीएस से बात कर सीएचसी डुमरी में चिकित्सकों की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए बात करूंगा. राज्य सरकार लोगों को स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधा नहीं दे सकती है. यह तो शर्म की बात है. राज्य सरकार सुनिश्चित व व्यवस्थित करें कि हरेक सीएचसी में चिकित्सकों की उपस्थिति रहनी चाहिए.

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