कुड़मी समुदाय ने पारंपरिक आस्था से की बारी पूजा

पानी को समर्पित प्रकृति आराधना में शामिल हुए ग्रामीण, दी गयी बत्तख की बलि

By SANJEET KUMAR | August 18, 2025 11:34 PM

पथरगामा प्रखंड अंतर्गत पीपरा पंचायत के होपना टोला गांव में कुड़मी समुदाय द्वारा पारंपरिक बारी पूजा (जिसे मानसा पूजा भी कहा जाता है) श्रद्धा और हर्षोल्लास के साथ संपन्न की गयी. यह पूजा वर्षा ऋतु के दौरान प्रकृति और जल के प्रति आभार प्रकट करने की एक पारंपरिक विधा है. इस अवसर पर टोटेमिक कुड़मी विकास मोर्चा के जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार महतो ने जानकारी दी कि बारी पूजा झारखंड के अलावा अन्य राज्यों में भी मनायी जाती है, जहां गुस्टीधारी कुड़मी जनजाति के लोग निवास करते हैं. यह पूजा सावन संक्रांति से लेकर पूरे भाद्रपद मास तक, विशेष रूप से रोपनी कार्य के बाद संपन्न होती है. दिनेश महतो ने बताया कि कुड़मी समुदाय मूलतः कृषि पर निर्भर है और उनकी खेती वर्षा पर आधारित होती है. जब वर्षा से संतुष्टि मिलती है तो किसान जल और प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हैं और पूजा के माध्यम से प्रकृति को धन्यवाद देते हैं. पूजा में बेलपत्र, दुब घास, तुलसी पत्ता, अरवा चावल, पीठा, धान का खइ, मकई जैसे घरेलू उत्पादों को अर्पित किया जाता है. परंपरागत रूप से इसमें बत्तख की बलि दी जाती है, हालांकि आज के समय में कुछ स्थानों पर बकरी, भेड़ आदि की बलि भी दी जाती है. विशेष बात यह है कि इस पूजा में किसी मूर्ति की आराधना नहीं की जाती. दिनेश महतो ने बताया कि लगभग 150-200 वर्ष पहले तक यह पूजा जल पूजन के रूप में व्यापक रूप से प्रचलित थी. इस अवसर पर जिला कोषाध्यक्ष दीपक कुमार महतो, रामेश्वर महतो, दिव्यांश कुमार महतो, सोनी महतो, कलावती महतो, दीप्ति श्री महतो सहित कई लोग मौजूद थे.

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