राजाभिट्ठा के जंगल में मिले तेंदुए के निशान, वन विभाग ने लिया डीएनए सैंपल
जंगली जानवरों की मौजूदगी से खुश है वन विभाग, संग्रह किये जा रहे पंजे के निशान और मल
गोड्डा जिले के वन विभाग के लिए यह खुशी की बात है कि गोड्डा का पर्यावरण आज भी बेहतर स्थिति में है. इसका प्रमाण बोआरीजोर प्रखंड के राजाभिट्ठा क्षेत्र के जंगलों और पहाड़ों के बीच तेंदुए के पंजे के निशान और मल के नमूने हैं, जिन्हें वन विभाग के कर्मियों ने सर्वे के दौरान संग्रहित किया. 15 दिन पहले वन विभाग ने ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन के तहत जानवरों का सर्वे शुरू किया था. इस दौरान राजाभिट्ठा के छोटा सहरपुर, पहाड़पुर और जूली-मांको पहाड़ क्षेत्रों में तेंदुए के पंजे के निशान और मल के नमूने वन कर्मियों द्वारा संग्रहित किये गये. फॉरेस्ट गार्ड अमित कुमार, रतन कुमार, राजीव रंजन और अशोक कुमार ने युद्ध स्तर पर सर्वे का कार्य पूरा किया. पंजे के निशान और मल की उम्र का पता अब डीएनए जांच के माध्यम से ही लगाया जा सकेगा. फिलहाल, वन विभाग द्वारा सर्वे कार्य जारी है.
जंगल में अन्य जंगली जानवरों के भी मिले प्रमाण
बोआरीजोर प्रखंड का राजाभिट्ठा क्षेत्र मुख्य रूप से रजमहल पहाड़ी क्षेत्र में आता है. यहां घने जंगल, पहाड़, न्यूनतम तापमान और सुंदर जलाशयों की उपलब्धता के कारण जंगली जानवरों की अच्छी संख्या पायी जाती है. सर्वे में तेंदुए के निशान के साथ अजगर, कई प्रकार के सांप और छिपकली, मोर और नीलगाय के मल भी मिले. सभी नमूनों को उठाकर रिपोर्ट तैयार की गयी और सीधे डीएनए परीक्षण के लिए लैब भेजा जाएगा. फॉरेस्ट गार्ड अमित कुमार के अनुसार, जंगल में जंगली जानवरों का पाया जाना अच्छी खबर है. जंगल के घने होने के कारण जानवरों का निवास बढ़ता है. सर्वे के दौरान ऐप के माध्यम से जानवरों के निशान सीधे विभाग को अपलोड किये जा रहे हैं.ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2026 सर्वेक्षण का उद्देश्य
देश में बाघों की गिनती का काम शुरू हो गया है, जिसे ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2026 कहा जा रहा है. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य बाघों की जनसंख्या, उनके आवास और मानव-वन्यजीव संघर्ष का मूल्यांकन करना है. यह कार्यक्रम हर चार साल में आयोजित किया जाता है और बाघ संरक्षण योजनाओं के लिए महत्वपूर्ण वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है. पिछले सर्वेक्षण (2022) के अनुसार, भारत में लगभग 3,682 बाघ हैं, जो 2018 में 2,967 बाघों की संख्या से लगभग 24% अधिक है. राज्यों की स्थिति की बात करें तो मध्य प्रदेश : 785 बाघ, कर्नाटक : 563 बाघ, उत्तराखंड : 560 बाघ हैं. यह सर्वेक्षण देश में बाघों के संरक्षण और उनके आवास की सुरक्षा के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने में अहम भूमिका निभाता है.
सर्वे काय में 18 गार्ड और स्थानीय ग्रामीणों का सहयोग
जिले में चल रहे वन सर्वेक्षण में कुल 18 फॉरेस्ट गार्ड लगे हैं, जो डिवीजनल क्षेत्र को पूरी तरह कवर करके सर्वे का काम कर रहे हैं. इसके अलावा, स्थानीय ग्रामीणों का भी सहयोग लिया जा रहा है. स्थानीय लोगों को क्षेत्र की पूरी जानकारी होने के कारण वे नमूना संग्रहण और सर्वे में वन कर्मियों की मदद कर रहे हैं.2016 में सप्ताह भर तक गुफा में छिपा था पैंथर
गोड्डा के सुंदरपहाड़ी प्रखंड के मोनाडीह गांव के मसीप पहाड़ पर वर्ष 2016 में लगभग एक सप्ताह तक पैंथर गुफा में छिपा हुआ था. उस दौरान स्थानीय लोगों ने बाघ के साथ उसके शावक को भी देखा था. बाघ के आने का कारण यह था कि गांव के समीप पहाड़ी इलाके में छह जानवर (बछड़े और बकरियां) पैंथर द्वारा पास की गुफा में ले जाया गया था. ग्रामीणों ने यह सूचना वन विभाग तक पहुंचायी थी, लेकिन विभाग कार्यवाही में आने तक पैंथर वहां से पलायन कर गया था. उस समय गोड्डा के डीएफओ राम भरत पदभार में थे. बताया गया है कि पैंथर का आवागमन दुमका के कांठीकुड से लेकर बिहार के बौंसी जिले के शक्तिनगर डैम तक होता रहता था. वहीं, वर्ष 2006 में गोड्डा के पोड़ैयाहाट के डांड़े गांव में तेंदुए ने गांव के छह लोगों को घायल कर दिया था. ग्रामीणों द्वारा तेंदुए को खदेड़ने पर वह बौंसी डैम की ओर चला गया था.‘बोआरीजोर प्रखंड के राजाभिट्ठा क्षेत्र में सर्वे के दौरान तेंदुए के पंजे के निशान और मल के नमूने विभाग द्वारा प्राप्त किये गये हैं. डीएनए परीक्षण के बाद यह पता चलेगा कि यह कितने पुराने हैं. सर्वे कार्य कुछ दिन और जारी रहेगा.
-संजय कुमार, रेंजरB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
