छह प्रोफेसर के भरोसे 533 छात्र-छात्राओं की पढ़ाई

मॉडल कॉलेज सुग्गाबथान में बुनियादी सुविधाओं का अभाव, आठ विषयों के शिक्षक नहीं

By SANJEET KUMAR | November 29, 2025 11:19 PM

पोड़ैयाहाट. भले ही सरकार गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा पर जोर दे रही है. मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं. पोड़ैयाहाट प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत मॉडल कॉलेज सुग्गाबथान में मात्र छह प्रोफेसर के भरोसे 533 छात्र-छात्राएं की पढ़ाई हो रही है. पोड़ैयाहाट के सुगाबथान के मॉडल कॉलेज बुनियादी सुविधाएं तक मयस्सर नहीं है. भवन भले ही विशाल हो. लेकिन सुविधाएं सरकारी विद्यालय से भी बदतर स्थिति में है. मॉडल कॉलेज का शुभारंभ 30 जून 2017 को हुआ था. राज्यपाल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू थीं. उद्घाटन के बाद से इलाके के छात्र-छात्रों का भविष्य बेहतर बनेगा. इस बात की उम्मीद जगी थी. उद्घाटन के पांच साल बाद कॉलेज प्रारंभ हुआ. क्षेत्र के लोगों में काफी प्रसन्नता हुई कि अब गरीब व दलित, आदिवासी के बच्चे उच्च शिक्षा घर बैठे ले सकेंगे. कॉलेज में कुल 14 विभागों में पढ़ाई होती है. बच्चों ने यहां नामांकन भी लिया है. विडंबना देखिए अभी प्राचार्य समेत छह प्राध्यापक कार्यरत हैं. 14 विभाग खुले हुए हैं. महाविद्यालय में हिंदी, अंग्रेजी, राजनीतिक शास्त्र, समाजशास्त्र, इतिहास, भूगोल, मनोविज्ञान के अतिरिक्त साइंस के फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ, जूलॉजी, बॉटनी तथा कॉमर्स के विभाग में मान्यता मिली है. लेकिन कॉलेज की विडंबना देखिए कॉलेज में छह शिक्षक की नियुक्ति हुई है. प्राचार्य डॉ ज्योति कुमार पंकज (अर्थशास्त्र), डॉ राहुल राज (हिंदी) डॉ अमित कुमार अंबष्ट (फिजिक्स) डॉ तारिक अनवर इंग्लिश) डॉ संतोष कुमार (कॉमर्स) तथा सुचित कुमार (हिस्ट्री) वर्तमान में कार्यरत है. केमिस्ट्री, साइकोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, बॉटनी, जूलॉजी, सोशियोलॉजी, ज्योग्राफी समेत आठ विषय के शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है. कॉलेज पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं का आरोप है कि वे लोग ग्रामीण क्षेत्र से पढ़ने कॉलेज तो आते हैं. पर सभी विषय के शिक्षक नहीं रहने के कारण उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. कॉलेज में बुनियादी सुविधाएं भी नहीं है. कहने को तो यह मॉडल कॉलेज है. लेकिन अगर सुविधा के बात करें तो इसकी स्थिति मध्य विद्यालय से भी बदतर है. पूरे महाविद्यालय में वाटर सिस्टम ही नहीं है. कहा जाता है कि कोरोना के बाद यहां का सबमर्सिबल पंप की चोरी हो गयी थी. तब से आज तक पंप नहीं लगा है. जब वाटर सिस्टम नहीं है तो ऐसे में शौचालय की स्थिति कितनी बदतर होगी अंदाजा लगाया जा सकता है. खास करके छात्राओं को कितनी परेशानी होती होगी. इतना ही नहीं किसी भी शौचालय में किवाड़ तक नहीं है. महाविद्यालय में बिजली कनेक्शन तक नहीं है. बिना दरवाजे के रूम में बैठते हैं प्राचार्य प्राचार्य के कार्यालय में भी दरवाजा नहीं है. यहां तक के प्राचार्य कक्ष का शौचालय में भी दरवाजा नहीं था तो किसी तरह इधर प्राचार्य डॉ ज्योति कुमार पंकज ने काम चलाने लायक दरवाजा लगवाया है. कॉलेज में दो बार चोरी हो चुकी है. कॉलेज में साइंस सहित आर्ट्स के प्रैक्टिकल विषय की पढ़ाई होती है. लेकिन उपयोग करने का कोई भी सामान महाविद्यालय में नहीं है.

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