Giridih News :खंडोली के जंगल में बैठकर साइबर ठगी करते दो भाई पकड़ाये
Giridih News : गिरिडीह साइबर थाना पुलिस ने बेंगाबाद के लछुआडीह के दो सगे भाइयों को साइबर क्राइम मामले में रविवार को गिरफ्तार किया. भीमलाल महतो के पुत्र शंकर कुमार वर्मा (29) और धनुषधारी प्रसाद वर्मा बेंगाबाद के खंडोली डैम के पास शहरपुरा जंगल में बैठकर मोबाइल से ठगी कर रहे थे.
साइबर डीएसपी आबिद खान ने पत्रकारों को बताया कि पुलिस को साइबर ठगी की गुप्त सूचना मिली थी. पुष्टि करने के बाद एसपी डॉ विमल कुमार के निर्देश पर एक विशेष टीम गठित की गयी. छापेमारी के दौरान दोनों आरोपी भागने लगे, पर पुलिस ने खदेड़कर उन्हें पकड़ लिया. आरोपियों के पास से कई मोबाइल, सिम कार्ड और पासबुक बरामद किये गये हैं. पुलिस के अनुसार, दोनों भाई काफी समय से साइबर ठगी में लिप्त थे. डीएसपी आबिद खान ने कहा कि गिरिडीह पुलिस साइबर अपराधियों पर लगातार कड़ा रुख अपना रही है. मामले में साइबर थाना गिरिडीह में कांड सं.-37/2025 दर्ज किया गया है. पुलिस आरोपियों का मोबाइल डाटा, बैंक खातों, डिजिटल वॉलेट और कॉल डिटेल्स को खंगाल रही है, ताकि गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचा जा सके.
गर्भवती महिलाओं को मातृत्व लाभ दिलाने के नाम पर करते थे ठगी
दोनों आरोपी भाई खुद को आंगनबाड़ी का अधिकारी या कर्मचारी बताकर पीड़ित महिलाओं के नंबर पर फोन करते थे. वे महिलाओं को यह कहकर विश्वास दिलाते थे कि सरकार द्वारा संचालित मातृत्व सुरक्षा योजना के तहत उनके खाते में सहायता राशि भेजी जाएगी. इसके लिए वे महिलाओं से बैंक खाते का नंबर, एटीएम विवरण और ओटीपी प्राप्त कर लेते थे. जानकारी हाथ में आते ही आरोपी पीड़ित के खाते से ऑनलाइन राशि निकाल लेते थे. पुलिस ने बताया कि ठगी के जरिये हासिल रकम बैंक खातों में नहीं मंगवाते थे. आरोपी मोबाइल रिचार्ज, ऑनलाइन शॉपिंग और अपने डिजिटल वॉलेट भरते थे. यानी ठगी की राशि को तुरंत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और डिजिटल भुगतान एप्स में खर्च कर देते थे, ताकि लेन-देन को ट्रेस करना कठिन हो जाये.बिहार के एक शातिर साइबर ठग विकास मंडल का नाम आया सामने
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दोनों बीते कई वर्षों से संगठित तरीके से साइबर ठगी की वारदात को अंजाम देते आ रहे थे. स्थानीय स्तर पर भी इनकी पहचान ऐसे युवक के रूप में थी जो बिना किसी स्थायी रोजगार के अचानक संपन्न होते दिखाई दिये. हालांकि इस संपत्ति की औपचारिक पुष्टि पुलिस ने नहीं की है. पुलिस का कहना है कि इनकी चल-अचल संपत्ति, बैंक लेनदेन और डिजिटल वॉलेट ट्रांजेक्शन की जांच की जा रही है. पुलिस जांच में इस गिरोह के पीछे एक और बड़े हाथ का खुलासा हुआ है. सूत्रों के अनुसार इस पूरे नेटवर्क को बिहार राज्य के रहने वाले एक साइबर ठग विकास मंडल संचालित करता है. बताया जा रहा है कि विकास मंडल ही दोनों गिरफ्तार आरोपियों को साइबर ठगी के तरीके और तकनीक सिखाता था. गर्भवती महिलाओं के फोन नंबरों की सूची भी वही उपलब्ध करवाता था. पुलिस ने अब इस पूरे नेटवर्क की कड़ियां जोड़नी शुरू कर दी हैं.बरामद सामग्री :
छापेमारी के दौरान पुलिस ने दोनों आरोपियों से तीन मोबाइल फोन, तीन सिम कार्ड, तीन एटीएम कार्ड, दो आधार कार्ड, एक पैन कार्ड, एक श्रम कार्ड और एक वोटर कार्ड बरामद किये गये हैं. पुलिस के अनुसार सभी दस्तावेज और उपकरण साइबर ठगी की गतिविधियों में उपयोग किये जाते थे.टीम में ये थे शामिल :
इस छापेमारी अभियान में साइबर थाना प्रभारी रामेश्वर भगत, एसआई पुनित गौतम, एसआई गुंजन कुमार, एएसआई राम प्रवेश यादव, एएसआई संजय मुखियार समेत पुलिस लाइन से प्राप्त सशस्त्र बल के जवान शामिल थे.साइबर अपराध में लिप्त कोई भी बख्शा नहीं जायेगा : साइबर डीएसपी
साइबर डीएसपी आबिद खान ने कहा कि गिरिडीह पुलिस साइबर अपराध पर लगातार विशेष निगरानी रख रही है. उन्होंने कहा कि साइबर अपराध में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जायेगा. गिरफ्तार दोनों आरोपी लंबे समय से खुद को सरकारी अधिकारी बताकर खासकर गर्भवती महिलाओं को निशाना बनाते थे. कहा इनके नेटवर्क की जांच जारी है. इस नेटवर्क में शामिल हर व्यक्ति की पहचान कर गिरफ्तारी की जाएगी. उन्होंने आम जनता से भी अपील करते हुए कहा कि सरकार या आंगनबाड़ी विभाग कभी भी फोन पर बैंक विवरण, एटीएम नंबर या ओटीपी नहीं मांगता है. यदि किसी को ऐसे कॉल आएं तो तुरंत 1930 साइबर हेल्पलाइन या नजदीकी साइबर थाना में इसकी सूचना दें.
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