Giridih News: नहीं खुला सरकारी धान खरीद केंद्र, औने-पौने दाम पर धान बेच रहे किसान

Giridih News: बिरनी प्रखंड में राज्य सरकार ने अभी तक धान खरीद केंद्र खोलने की पहल नहीं की है. वहीं, किसानों ने लगभग 20 प्रतिशत धान की कटाई कर चुके हैं. सप्ताह-पंद्रह दिनों में कटाई पूरी हो जायेगा.

By MAYANK TIWARI | November 13, 2025 9:41 PM

केंद्र नहीं खुलने पर किसान के खून पसीने से उपजाई गयी फसल औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं. व्यवसायी बिचौलिये को छोड़ रखा है, जो किसानों के खलिहान से सीधा धान की खरीदी कर अपने गोदाम लाते हैं और पुनः उसे बड़ी-बड़ी मालवाहक वाहन में लोडकर बंगाल व बिहार भेज रहे हैं. इससे मोटी रकम की कमाई करते हैं. बिरनी प्रखंड के कपिलो, रजमनिया, नावाडीह, जीतकुंडी, पलौंजिया, मरकोडीह, जुठहाआम, खरखरी, सरांडा, मंझलाडीह, भरकट्टा समेत अन्य इलाकों से प्रतिदिन 20-30 ट्रक धान बंगाल व बिहार ले जाया जा रहा है. 15 दिनों के बाद धान खरीदी और बढ़ जायेगी.

1400-1500 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीद रहे बिचौलिये

बिचालिये किसानों से 1400-1500 रुपये प्रति क्विंटल धान की खरीद रहे हैं. जबकि, पिछले वर्ष सरकार ने 2450 रुपये प्रति क्विंटल धान की खरीदी की थी. इस बार अभी तक धान खरीदने को लेकर निर्देश ही जारी नहीं किया गया है. यदि सरकार जल्द ही खरीद केंद्र नहीं खोलती है, तो किसान सारा धान खुले बाजार में बेचने को मजबूर होंगे. इससे उन्हें काफी नुकसान होगा. खेती.

दोहरी मार झेल रहे हैं किसान

एक तरफ किसान औने-पौने दाम पर धान को किसान बेच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर किसानों की गाढ़ी कमाई पर बिचौलियों की भी निगाह बनी रहती हैं. किसानों से खरीदारी के दौरान बिचौलिये वजन में पांच से 10 किलो की हेराफेरी कर लेते हैं.

क्या कहते हैं किसान

किसान पांचू साव, जहलू साव, रामू दास, देवशरण साव, बालो महतो, गोविंद साव, प्रयाग महतो आदि ने कहा कि सरकार से धान खरीदने के संबंध में कोई घोषणा नहीं की गयी है. किसान मजबूर उन्हें धान खुले बाजार में बेचना पड़ रहा है. सरकार की गलत नीति के कारण किसानों को फायदा नहीं मिल पा रहा है,जब तक धान खरीदने के लिए सरकार घोषणा करेगी, तब तक किसान अपना धान बेच चुके होंगे. इससे सिर्फ कालाबाजारियों और पूंजीपतियों को फायदा होगा.

क्या कहते हैं प्रभारी कृषि पदाधिकारी

प्रभारी कृषि पदाधिकारी संजय स्वर्णकार ने कहा कि अब तक सरकार से कोई आदेश नहीं प्राप्त हुआ है. सरकारी आदेश मिलने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है कि किस दर से धान की खरीदी जायेगी.

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