Giridih News: मुरैना में 2007-08 में शुरू हुआ था निर्माण, 17 वर्षों में नहीं बन पाया आंगनबाड़ी भवन

Giridih News: बिरनी प्रखंड के पडरिया पंचायत अंतर्गत मुरैना में 17 वर्ष बीत जाने के बाद भी आंगनबाड़ी भवन नहीं बन पाया है. बावजूद इस ओर न तो मुखिया का ध्यान जा पाया है और न ही विभागीय अधिकारियों का, लिहाजा नौनिहाल बच्चे सामुदायिक भवन में पढ़ने को विवश हैं. मुखिया विजय दास के घर से लगभग 150 मीटर दूर पर अधूरा पड़ा है भवन, बावजूद इस ओर किसी की नजर नहीं पड़ी है.

By MAYANK TIWARI | November 19, 2025 8:54 PM

विभाग द्वारा आंगनबाड़ी भवन का कराया जा रहा था निर्माण: बता दें कि वर्ष 2007-08 में विभाग के द्वारा लगभग 3 लाख रुपये की लागत से भवन का निर्माण कराया जा रहा था, जिसमें पूर्व जेई लखन भगत के नाम से एग्रीमेंट हुआ था, परंतु उक्त जेई के द्वारा बिरनी में लगभग आधा दर्जन भवन की राशि की निकासी कर गबन कर लिया गया था. लखन भगत के खिलाफ पूर्व के उपायुक्त के द्वारा कार्यवाई भी की गई थी, परंतु कोई सुधार नहीं हो पाया और कई भवन अधूरे रह गये. इसके बाद तत्कालीन विधायक बिनोद सिंह ने उक्त भवन को पूरा करने का भी काफी प्रयास किया था.

क्या कहते हैं मुखिया

मुखिया विजय दास ने कहा कि वर्ष 2017 में पूर्व मुखिया सबिता देवी के द्वारा अधूरे भवन का निर्माण कराने को लेकर काफी प्रयास किया गया था, लेकिन सफल नहीं हो पाया था. इतना ही नहीं तत्कालीन विधायक बिनोद सिंह ने भी काफी पहल की थी, परंतु विभागीय लापरवाही के कारण भवन का कार्य अधूरा है. कहा कि 15वीं वित्त आयोग में राशि नहीं रहने के कारण भी अधूरे भवन का काम नही करवा पा रहे हैं. भवन नहीं रहने के कारण छोटे छोटे बच्चों को पठन पाठन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

क्या कहती हैं उपमुखिया

उपमुखिया किरण कुमारी ने कहा कि विभाग की लचर व्यवस्था के कारण आज तक आंगनबाड़ी भवन अधूरा है, जबकि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से लगभग सारी राशि की निकासी हो चुकी है. जिससे बच्चों को पठन पाठन का सही माहौल नहीं मिल पा रहा है. सेविका के द्वारा मिलनेवाली पोषण सामग्री मजबूरन वे अपने घर में रखती हैं. इस संबंध मे उपायुक्त को भी आवेदन देकर कई बार शिकायत की गयी है.

क्या कहते हैं प्रभारी सीडीपीओ

सीओ सह प्रभारी सीडीपीओ संदीप मधेशिया ने कहा कि आंगनबाड़ी भवन बनने के बाद छोटे छोटे बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छा माहौल मिल पाता. भवन का बनना जरूरी है. जिले में पत्र भेजकर अधूरे भवन का निर्माण कराने की वे मांग करेंगे.

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