बीपीएल सूची में भी नाम दर्ज नहीं

स्वतंत्रता सेनानी सह पलामू के प्रथम सांसद जेठन सिंह खरवार के परिवार के लोग दयनीय स्थिति में जीवन गुजारने को मजबूर हैं. वैसे तो किसी को एक बार सांसद बन जाने के बाद अनुमान रहता है कि सांसद ने कम से कम अपने परिवार के लिए जरूर विकास किया होगा. लेकिन जेठन सिंह की बात ही कुछ और है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 12, 2020 2:09 AM
  • दयनीय हालत में जी रहे हैं प्रथम सांसद जेठन सिंह के परिजन

  • गिरते मिट्टी के घर में रहने को मजबूर हैं सांसद के तीनों बेटे

रंका: स्वतंत्रता सेनानी सह पलामू के प्रथम सांसद जेठन सिंह खरवार के परिवार के लोग दयनीय स्थिति में जीवन गुजारने को मजबूर हैं. वैसे तो किसी को एक बार सांसद बन जाने के बाद अनुमान रहता है कि सांसद ने कम से कम अपने परिवार के लिए जरूर विकास किया होगा. लेकिन जेठन सिंह की बात ही कुछ और है.

वे सांसद बनने के बाद भी अपना जीवन सादगी में बिताये. उन्होंने अपने सांसद होने का लाभ व्यक्तिगत धनोपार्जन में नहीं लिया. यहां तक की अपने मिट्टी के घर में जीवन गुजार दिया. चिनिया प्रखंड के बरवाडीह गांव निवासी जेठन सिंह की वर्ष 1980 में मौत हो गयी. तब से उनके चारों पुत्र सरकार व प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. उन्हें आज तक कोई सरकारी लाभ नहीं मिला.

आर्थिक अभाव के शिकार उनके पुत्रों का नाम बीपीएल सूची में नहीं जोड़ा गया. इसके कारण वे बुनियादी सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं. सरकारी योजना से आवास नहीं मिलने के कारण उनके परिवार के परिवार के लोग टूटे-फूटे मिट्टी के घर में रहने को मजबूर हैं. स्वतंत्रता सेनानी व प्रथम सांसद के घर तक जाने के लिए न तो सड़क बन पाया है और न ही पेयजल व सिंचाई की व्यवस्था है.

स्वर्गीय जेठन सिंह के चार पुत्रों में सबसे बड़े विमल सिंह को लकवा हो गया था. पैसे के अभाव में उनका उचित इलाज नहीं हो पाया. इस कारण दो साल पहले उनकी मौत हो गयी. उनके शेष तीन भाई सत्यदेव सिंह, कृष्ण मुरारी सिंह व प्रदीप सिंह किसी तरह अपने परिवार का जीविकोपार्जन कर रहे हैं. लेकिन आज तक प्रशासन की ओर से कभी भी इस स्वतंत्रता सेनानी सह पलामू के प्रथम सांसद के परिवार की सुध नहीं ली गयी.

जेठन सिंह खरवार के पुत्र सत्यदेव सिंह, कृष्ण मुरारी सिंह एवं प्रदीप सिंह ने बताया कि उनके पास आजतक न तो बीपीएल सूची में नाम शामिल हुआ और न ही उनको इंदिरा आवास अथवा प्रधानमंत्री आवास मिला. घर तक सड़क नहीं रहने के कारण उबड़-खाबड़ रास्तों से होकर आना पड़ता है. पूर्व सांसद के घर से बाहर एक चापाकल है, उसी से पानी लाकर परिवार के लोग काम चलाते हैं.

पुत्र सत्यदेव सिंह ने कहा कि पिताजी के बनाया हुए कच्चा खपड़ैल घर में वे लोग आजतक रहते आ रहे हैं. लेकिन यह घर एक तरफ से गिरने लगा है. उन्होंने कहा कि पिताजी की छोड़ी हुई कुछ जमीन है. वे किसी तरह किसानी करके पेट पालते हैं. कहते हैं कि कर्ज लेकर खेती करते हैं. खेती नहीं होने पर महाजन के कर्ज भी नहीं भर पाते हैं.

प्रथम सांसद पुत्र कहते हैं कि उनका परिवार दो जून की रोटी के लिये मोहताज हैं. कहते हैं कि पिता जेठन सिंह के बाद बने सांसद व इस क्षेत्र के बने विधायक आज उनकी स्थिति को जानने की कोशिश नहीं किये. ऐसे में स्वतंत्रता सेनानी सह प्रथम सांसद के परिवारों का हालात और बिगड़ती चली गयी है.

उन्हें जानकारी नहीं है : एसडीओ

इस संबंध में पूछे जाने पर एसडीओ संजय पांडेय ने कहा कि प्रथम सांसद के परिवार के लोगों को कोई सरकारी लाभ नहीं मिल रहा है, इस बात की जानकारी उन्हें नहीं है. उनके परिवार के लोग यदि उनके पास आयेंगे, तो उन्हें सभी सरकारी सुविधा मुहैया करायी जायेगी.

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