East Singhbhum News : ‘गांव में भूखे मरने से बेहतर है, बाहर रोजगार कर जिंदगी संवारा जाये’

गुड़ाबांदा. जियान गांव के युवा रोजगार लिए कर रहे पलायन

By ATUL PATHAK | August 19, 2025 11:32 PM

गुड़ाबांदा. गुड़ाबांदा के सबसे बीहड़ गांव जियान कभी नक्सली नेता कान्हू मुंडा के नाम से जाना जाता था. उनके सरेंडर करने के बाद गांव के अधिकतर युवा रोजगार के लिए पलायन कर रहे हैं. जियान गांव बीहड़ इलाके में है. यहां विकास के नाम कुछ नहीं हुआ है. रोजगार का संकट है. गरीबी व बेरोजगारी से परेशान अधिकतर युवा बाहर चले गये हैं. यहां के युवा पढ़े-लिखे हैं. युवाओं के माता-पिता व परिजन कहते हैं कोई शौक से बाहर नहीं जाता है. यहां रहेगा, तो कमायेगा क्या? मजबूरी में बाहर रहना पड़ रहा है. वहां से जो पैसा भेजता है, उससे परिजन अपना गुजारा करते हैं. गांव में अधिकतर बुजुर्ग दिखाई देते हैं.

सरकार व प्रशासन ने सब्ज बाग दिखाये, लेकिन विकास नहीं हुआ

जियान गांव में एक भी व्यक्ति को सरकारी नौकरी नहीं है. यह गांव नक्सली के नाम से जाना जाता रहा है. इससे कारण विकास से हमेशा पिछड़ा रहा. उम्मीद थी कि कान्हू मुंडा के सरेंडर के बाद स्थिति बदलेगी. विकास होगा, पर ऐसा नहीं हुआ. हां सब्जबाग खूब दिखाये गये. 2017-18 में तत्कालीन मुख्य सचिव राजवाला वर्मा और डीजीपी डीके पांडेय यहां आये थे. कई घोषणाएं हुई थीं. जमीन पर आज तक कुछ नहीं हुआ.

मनरेगा से भी रोजगार पर आफत

गांव तक जाने के लिए सड़क बदहाल है. जियान गांव के कई टोले में करीब 5000 की आबादी है. ग्रामीणों ने कहा कि मनरेगा के तहत रोजगार देने की बात कह गयी थी. वह भी प्रधान और जिम्मेदार अधिकारियों के रहम-ओ-करम पर निर्भर है. मजदूरी के बाद भी पैसे नहीं मिल रहे. इससे अच्छा है कि बाहर जाकर मेहनत-मजदूरी कर परिवार का भरण पोषण किया जाये. गांव के कुड़न मुंडा, राजेश मुंडा, बुधनी मुंडा, राखी मुंडा, सुखलाल मुंडा, सनातन मुंडा,सेमो मुंडा आदि कहते हैं कि गांव में रह कर भूखे मरने से बेहतर है, बाहर जाकर अपनी और परिवार की जिंदगी संवारा जाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है