Dhanbad News: इलेक्ट्रिक वाहन, रिन्यूएबल एनर्जी व डिफेंस में देश को आत्मनिर्भर बनाना क्रिटिकल मिनरल्स मिशन का उद्देश्य : जी किशन रेड्डी

Dhanbad News: केंद्रीय कोयला व खान मंत्री ने दिखाया तकनीक, रिफॉर्म और स्वदेशी नवाचार के सहारे 2047 तक विकसित भारत का रोडमैप

By MANOJ KUMAR | December 24, 2025 2:08 AM

Dhanbad News: धनबाद. केंद्रीय कोयला व खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश ने पहली बार यह महसूस किया कि क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना अब विकल्प नहीं, बल्कि अनिवार्यता है. भारत वर्तमान में अपनी जरूरत का लगभग 95 प्रतिशत क्रिटिकल मिनरल्स आयात करता है और ऑपरेशन सिंदूर के बाद कुछ देशों द्वारा इन खनिजों की आपूर्ति से इंकार किये जाने से यह स्पष्ट हो गया कि रणनीतिक क्षेत्रों में आयात पर निर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती है. इसी अनुभव ने सरकार को देश में क्रिटिकल मिनरल्स मिशन शुरू करने के लिए प्रेरित किया.

श्री रेड्डी मंगलवार को आइआइटी आइएसएम के पेनमैन ऑडिटोरियम में छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इस मिशन का उद्देश्य इलेक्ट्रिक वाहन, रिन्यूएबल एनर्जी और डिफेंस सेक्टर में भारत को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाना है. यह लक्ष्य केवल स्वदेशी तकनीक, उन्नत शोध और नवाचार के बल पर ही हासिल किया जा सकता है.

खनन क्षेत्र में तकनीक का निर्णायक रोल :

जी किशन रेड्डी ने कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और वैश्विक स्तर पर चौथे स्थान पर पहुंच चुका है. इस प्रगति में खनन क्षेत्र की भूमिका अहम रही है, लेकिन आने वाले समय में इस क्षेत्र को पर्यावरण संतुलन के साथ आधुनिक तकनीक से जोड़ना होगा. उन्होंने डिजिटलाइजेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, रियल टाइम मॉनिटरिंग और ऑटोमेशन को अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि इन्हीं उपायों से खनन को सुरक्षित, टिकाऊ और अधिक उत्पादक बनाया जा सकता है. उन्होंने स्वदेशी नवाचार, क्लीन कोल टेक्नोलॉजी, कार्बन न्यूट्रल माइंस और क्रिटिकल मिनरल्स पर उन्नत शोध के लिए अकादमिक जगत, उद्योग और सरकार के बीच मजबूत साझेदारी की आवश्यकता बतायी.

2047 तक विकसित भारत के लिए निरंतर रिफॉर्म :

अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री ने आइआइटी आइएसएम के टेक्समिन की सराहना करते हुए कहा कि यह नेक्स्ट जेनरेशन रिफॉर्म को आगे बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण मंच है. उन्होंने कहा कि यदि भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनना है तो खनन क्षेत्र में भी हमें वैश्विक मानकों पर खरा उतरना होगा. प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये रिफॉर्म मंत्र का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि एक रिफॉर्म के बाद दूसरा रिफॉर्म लाना जरूरी है और इसी निरंतर प्रक्रिया के तहत सभी मंत्रालय मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया नये तकनीक के बल पर ही इस वर्ष पहली बार एक बिलियन टन से अधिक कोयला उत्पादन हुआ है. आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कोयला उत्पादक और उपभोक्ता देश बन चुका है.

सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में एक आइआइटी आइएसएम भी :

जी किशन रेड्डी ने कहा कि क्रिटिकल और रेयर अर्थ मिनरल्स में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए देश भर में सात सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है. इनमें से एक प्रमुख सेंटर आइआइटी आइएसएम धनबाद में स्थापित किया गया है. उन्होंने यह भी बताया कि क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए 35 हजार करोड़ रुपये का व्यापक एक्शन प्लान तैयार किया गया है. इस राशि का उपयोग विदेशों में रेयर अर्थ मिनरल्स की खदानों के अधिग्रहण, देश में प्रोसेसिंग सुविधाओं के विकास और अनुसंधान एवं विकास कार्यों पर किया जा रहा है. आइआइटी आइएसएम को शुरुआती सफलता : केंद्रीय मंत्री ने कहा कि क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में आइआइटी आइएसएम को शुरुआती सफलता मिल चुकी है. संस्थान के वैज्ञानिकों ने टेलिंग पांड और माइंस से कुछ क्रिटिकल मिनरल्स निकालने में सफलता हासिल की है. इसके साथ ही कोल बियरिंग क्षेत्रों में ओवर बर्डन, फ्लाई ऐश और माइंस वेस्ट से क्रिटिकल मिनरल्स प्राप्त करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण काम हो रहा है.

कार्यक्रम में सीआइएल चेयरमैन बी साईंराम भी उपस्थित थे. संस्थान के निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने स्वागत भाषण में सतत खनन, क्रिटिकल मिनरल शोध और जियो-एनर्जी नवाचार के प्रति आइआइटी आइएसएम की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया. कार्यक्रम में उप निदेशक प्रो धीरज कुमार सहित बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी और छात्र मौजूद रहे.

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