खतरनाक हुई धनबाद के लुबी सर्कुलर रोड की हवा, प्रदूषण पहुंचा 147 AQI

धनबाद शहर में पीएम 2.5 का यह स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक से 10 से 12.5 गुना तक अधिक बताया जा रहा है. एकतरफ धनबाद की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्थिति में दिख रही है.

By Prabhat Khabar | March 16, 2023 8:27 AM

धनबाद, अशोक कुमार : बदलते मौसम, निर्माण कार्यों और गाड़ियों की वजह से धनबाद शहर की हवा सांसों के लिए खतरनाक हो गयी है. शहर की हृदय-स्थली लुबी सर्कुलर रोड की स्थिति बेहद चिंताजनक है. यहां बुधवार दोपहर वायु गुणवत्ता सूचकांक 147 रिकाॅर्ड किया गया. वहीं पीएम 2.5 का स्तर 126.4 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया था. लुबी सर्कुलर रोड में नगर निगम कार्यालय के सामने वायु प्रदूषण की निगरानी के लिए स्थापित रियल टाइम मॉनिटरिंग डिसप्ले मॉनिटर पर बुधवार शाम 6.05 बजे पीएम 2.5 का स्तर 100.4 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. रात 7.50 बजे इसका स्तर फिर बढ़कर 100.6 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर हो गया.

धनबाद शहर में पीएम 2.5 का यह स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय मानक से 10 से 12.5 गुना तक अधिक बताया जा रहा है. एकतरफ धनबाद की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्थिति में दिख रही है, तो दूसरी तरफ स्विट्जरलैंड की संस्था आइक्यू एयर की ताजा जारी वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2022 में धनबाद प्रदूषित शहरों की सूची से बाहर है. यह धनबाइट्स के लिए काफी राहत की बात है.

धनबाद में प्रदूषण की मुख्य वजह पीएम 10

आइक्यू एयर की ताजा रिपोर्ट में दुनिया भर के 100 सबसे अधिक प्रदूषित शहरों को शामिल किया गया है. सूची में भारत के 61 शहर शामिल हैं. आइक्यू ने इस रिपोर्ट में पीएम 2.5 से प्रदूषित शहरों को शामिल किया है. धनबाद इन प्रदूषित शहरों की सूची से बाहर है. दरअसल, यहां प्रदूषण की मुख्य वजह पीएम 10 है. पीएम 10 यहां बड़े पैमाने पर होने वाली खनन गतिविधियों के कारण बढ़ता है. धनबाद के कोल बीयरिंग क्षेत्रों में पीएम 10 का औसत स्तर हमेशा 225 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर बना रहता है. यह तय मानक 100 माइक्रो ग्राम प्रति घन मीटर से काफी अधिक है. हालांकि अब पीएम 2.5 को लेकर भी धनबाद को सचेत होने की आवश्यकता है, क्योंकि शहर की हवा में पीएम 2.5 के स्तर में लगातार इजाफा दर्ज किया जा रहा है.

गंभीर बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा

आइआइटी आइएसएम में एनवायरमेंटल साइंस विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो गुरदीप सिंह कहते हैं, ‘पीएम 2.5 प्रदूषक कणों की उस श्रेणी को संदर्भित करता है, जिसका आकार 2.5 माइक्रोन के करीब होता है. यह मुख्य रूप से वाहनों से निकलने वाले धुआं, आग, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक प्रक्रियाओं के कारण बढ़ता है. पीएम 2.5 के बढ़ने से कई गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. ये कण आसानी से सांस के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर गले में खराश, जलन और फेफड़ों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके साथ ही आंखों में जलन, आंखों से पानी आना, खांसी और त्वचा संबंधित समस्याओं का खतरा सबसे अधिक होता है.

Also Read: झारखंड के इस गांव की सीमा में हाथियों के प्रवेश करते ही बजने लगेगा हूटर, विभाग ने मशीन लगाने का भेजा प्रस्ताव

Next Article

Exit mobile version