कोयलांचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है बीसीसीएल, वाशरी, सीबीएम-सोलर प्रोजेक्ट से बढ़ेंगी नयी संभावनाएं
BCCL CMD Manoj Kumar Agrawal: भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) के सीएमडी मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा है कि बीसीसीएल कोयलांचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. आने वाले दिनों में कोयले की डिमांड घटेगी नहीं, और बढ़ेगी. वाशरी, सीबीएम-सोलर प्रोजेक्ट से नयी संभावनाएं बढ़ेंगी. उन्होंने वाशरी, सीबीएम और सोलर प्लांट पर भी बात की. क्या है बीसीसीएल की भविष्य की योजनाएं. यहां पढ़ें.
BCCL CMD Manoj Kumar Agrawal: धनबाद कोयलांचल की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) आज भी जिले के विकास की सबसे बड़ी शक्ति है. धनबाद के आसपास के गांवों और शहरों की प्रगति में बीसीसीएल का सीधा प्रभाव है. वर्ष 1971-72 में स्थापना के बाद से कंपनी ने न सिर्फ प्रत्यक्ष, बल्कि परोक्ष रूप से भी सबसे अधिक रोजगार उपलब्ध करवाया है. आउटसोर्सिंग कार्यों में हजारों युवा कार्यरत हैं. यह प्रक्रिया लगातार बढ़ रही है. वर्तमान में बीसीसीएल में प्रतिवर्ष 35-40 मिलियन टन कोयला उत्पादन होता है. अगले 5 से 10 वर्षों में कंपनी का लक्ष्य 50 से 100 मिलियन टन कोयला उत्पादन का है. ये बातें बीसीसीएल के सीएमडी मनोज अग्रवाल ने प्रभात खबर धनबाद कार्यालय में संवाद के दौरान कहीं.
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धनबाद कोयलांचल में जमीन अधिग्रहण की समस्या है. इसकी वजह से कंपनी की कई परियोजनाओं का विस्तार नहीं हो पा रहा है. इसका निदान हो जाये, तो बीसीसीएल को क्या लाभ होंगे. नहीं होने से क्या परेशानी हो रही है?
माइनिंग के लिए जमीन रॉ-मटेरियल होता है. बिना जमीन के परियोजना विस्तार और कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी सुनिश्चित करना संभव नहीं है. जमीन की समस्या निश्चित रूप से कोल इंडिया की अनुषंगी कंपनी बीसीसीएल, सीसीएल और इसीएल में ज्यादा है. सबसे ज्यादा समस्या बीसीसीएल के लिए है. यहां शहर और बस्ती के बीच खनन हो रहा है. यहां कोई बड़ा उद्योग नहीं है. इसलिए अधिकांश लोग बीसीसीएल पर ही निर्भर हैं. रिवाइज्ड मास्टर प्लान में इनके लिए भी प्रावधान है. जमीन की समस्या दूर होगी, तो निश्चित रूप से कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ बीसीसीएल आर्थिक रूप से सुदृढ़ होगी.
बीसीसीएल पिछले कुछ माह से लक्ष्य के मुताबिक कोयले का उत्पादन व डिस्पैच नहीं कर पा रही है. कोयले के डिमांड में भी कमी की बात कही जा रही है. रियलाइजेशन में भी कमी आयी है. ऐसे में बीसीसीएल को आर्थिक रूप से मजबूत करने के दिशा में क्या कदम उठाये जा रहा है?
क्वालिटी कोल प्रोडक्शन हमारी प्राथमिकता है, क्योंकि क्वालिटी बेहतर होगी, तो ग्राहक खुद कोयले की डिमांड करेंगे. ऐसे में क्वालिटी से किसी भी सूरत में समझौता नहीं होगा. क्वालिटी कोल प्रोडक्शन और डिस्पैच के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है. कुछ अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है. कुछ का तबादला भी किया गया है. क्वालिटी कोल और वाश्डकोल के उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करके ही बीसीसीएल को आर्थिक रूप से मजबूत किया जा सकता है.
अनुकंपा के आधार पर नियोजन के लिए अक्सर बीसीसीएल के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलन होता रहता है. उत्पादन भी ठप करा दिया जाता है. इसको टालने के लिए कंपनी के पास कोई ठोस योजना है क्या?
इसके लिए एक्शन प्लान है. पूरी पारदर्शिता के साथ चीजों को सुधारा जा रहा है. जल्द रिजल्ट दिखेगा.
BCCL CMD Manoj Kumar Agrawal: आउटसोर्स कंपनियों के उत्पादन और बीसीसीएल के उत्पादन में बड़ा अंतर है. इसके पीछे का क्या कारण है?
असल में उत्खनन अत्यंत महंगा और तकनीक आधारित काम है. इसमें बड़े और उन्नत मशीनरी की जरूरत पड़ती है. आउटसोर्स कंपनियों के पास आधुनिक मशीनें, बेहतर तकनीक और लगातार काम करने वाली टीम होती है. इसी वजह से वे तेज रफ्तार से उत्पादन कर पाती है. इसके विपरीत बीसीसीएल जैसी कंपनियों के पास मशीनरी की उपलब्धता, रख-रखाव, मैन पावर आदि चुनौतियां होती हैं.
वैश्विक स्तर पर कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करने की पहल चल रही है. इसको लेकर बीसीसीएल की क्या योजना है?
आने वाले समय में इसका प्रभाव कोल सेक्टर पर दिखेगा. बीसीसीएल कोकिंग कोल का उत्पादन करती है, बीसीसीएल पर बहुत असर नहीं दिखेगा. इसके बाद भी बीसीसीएल कई सेक्टर में काम कर रही है. इसमें से एक शौर्य ऊर्जा है. दुग्दा में 20 मेगावाट का प्लांट लगाया गया है. दुग्दा में ही एक और 50 मेगावाट का सोलर प्लांट लगाया जा रहा है. दूसरे कोल बेड मीथेन (सीबीएम) पर मुनीडीह में काम चल रहा है. बोर होल किया गया है. मुनीडीह में फेज-2 का काम चल रहा है. सीबीएम और सोलर के साथ ही अन्य क्षेत्रों में काम शुरू करने की तैयारी है.
आप लंबे समय से कोल सेक्टर से जुड़े हैं. कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुके हैं. वर्तमान समय में कोयला उद्योग के समक्ष क्या चैलेंज है, उसका निदान कैसे हो सकता है?
हमारे देश में कुल 3900 बिलियन टन कोकिंग कोल है. इसमें बीसीसीएल के पास 8 बिलियन टन कोयला रिजर्व है. इसे निकालने के लिए चुनौतियां हैं. अंडरग्राउंड माइंस में जाना और फिर काम करना अपने आप में चुनौती है. अब नयी-नयी तकनीक और मशीनें आ गयी हैं, जिससे बहुत हद तक काम आसान हो गया है. कोयले की मांग घटने वाली नहीं है. आने वाले वर्षों में इसकी डिमांड और बढ़ेगी.
धनबाद के लोगों के लिए बीसीसीएल के पास क्या कोई कल्याणकारी योजना है?
मैं धनबाद में पढ़ा हूं. किसी भी व्यक्ति के लिए जहां से वह पढ़ा हो वहां के लिए कुछ करने का मौका मिलता है तो बड़े सौभाग्य की बात होती है. धनबाद में बीसीसीएल 15 लाख लोगों का नेतृत्व करता है. बीसीसीएल में 33 हजार कर्मी हैं. जबकि यहां कार्यरत आउटसोर्सिंग कंपनियों में भी 33 हजार से अधिक कर्मी हैं. इन कर्मियों के परिजन भी बीसीसीएल पर निर्भर हैं. इसके अलावा खदानों तथा कोयला कंपनियों से लाखों लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं. धनबाद के लोगों के लिए बीसीसीएल के पास कई कल्याणकारी योजनाएं हैं. सीएसआर के तहत लगातार काम किये जा रहे हैं. कई योजनाएं अभी पाइपलाइन में हैं.
बीसीसीएल द्वारा संचालित केंद्रीय अस्पताल जगजीवन नगर की स्थिति खराब है. एक समय इसे धनबाद का लाइफलाइन माना जाता था. आज यह रेफरल अस्पताल जैसा हो गया है?
बीसीसीएल प्रबंधन ने केंद्रीय अस्पताल जगजीवन नगर कायाकल्प करने का निर्णय लिया है. कारपोरेट अस्पताल की तर्ज पर इसे विकसित किया जा रहा है. इसमें ना केवल बीसीसीएल कर्मी. बल्कि बाहरी लोगों को भी सस्ते दर पर उपाचर की सुविधा मिलेगी. यह अस्पताल धनबाद का सबसे बेहतरीन अस्पताल बनेगा.
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