Dhanbad News: 68 वर्ष की उम्र में अरूप घोष ने ली डॉक्टरेट की उपाधि

Dhanbad News: “सपने वे नहीं होते जो हम सोते वक्त देखते हैं, बल्कि सपने वे होते हैं जो हमें सोने न दें.” डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की इस पंक्ति को 68 वर्षीय अरूप घोष ने आत्मसात किया.

By MAYANK TIWARI | December 27, 2025 1:50 AM

उम्र को कभी बाधा न मानने वाले श्री घोष ने 68 वर्ष की आयु में पीएचडी उपाधि प्राप्त कर यह साबित कर दिया कि सीखने और आगे बढ़ने की कोई आयु सीमा नहीं होती. वर्षों की साधना और समर्पण के बाद अरूप घोष का सपना आखिरकार साकार हो गया. अरूप घोष बीन भलोठिया पीजी कॉलेज, आसनसोल में जूलॉजी विभाग में स्थायी शिक्षक रह चुके हैं और 30 जून 2022 को सेवानिवृत्त हो गये. उन्होंने रांची विश्वविद्यालय के तत्कालीन आरएसपी कॉलेज सेंटर से इकोलॉजी स्पेशल पेपर के साथ एमएससी जूलॉजी की पढ़ाई पूरी की थी.

पीएचडी फुल स्टॉप नहीं, डीएससी करेंगे डॉ अरूप घोष

खास बात यह है कि पीएचडी के बाद भी डॉ अरूप घोष डॉक्टर ऑफ साइंस (डीएससी) करना चाहते हैं. बताते चलें कि डीएससी डिग्री पीएचडी से अधिक उच्च और प्रतिष्ठित होती है. बताते चलें कि बीबीएमकेयू के पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ एसके सिन्हा के गाइडेंस में अरूप घोष ने शोध किया था. उन्होंने अपने शोध में यह बताया है कि मच्छर केवल गंदगी में ही नहीं साफ पानी में विकास करते हैं. इसके अलावा संबंधित विषय पर उन्होंने गहन शोध किया है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है