कोलकर्मियों की पेंशन खतरे में : रमेंद्र

9 को दिल्ली में यूनियनों की बैठक, आंदोलन का एलान संभव दसवां वेतन समझौता अधर में, विलय बना मुख्य मुद्दा धनबाद : एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जेबीसीसीआइ सदस्य रमेंद्र कुमार ने कहा है कि कोयला मजदूरों की पेंशन खतरे में है. अभी पेंशन का भुगतान पेंशन फंड की पूंजी से हो रहा है. 2016-17 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 26, 2017 8:38 AM
9 को दिल्ली में यूनियनों की बैठक, आंदोलन का एलान संभव
दसवां वेतन समझौता अधर में, विलय बना मुख्य मुद्दा
धनबाद : एटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जेबीसीसीआइ सदस्य रमेंद्र कुमार ने कहा है कि कोयला मजदूरों की पेंशन खतरे में है. अभी पेंशन का भुगतान पेंशन फंड की पूंजी से हो रहा है. 2016-17 में कुल पूंजी 13306.71 करोड़ रुपये में से 215.19 करोड़ निकाल कर पेंशन भुगतान किया गया है. साल 2022-23 में पेंशन फंड माइनस छह हजार करोड़ रुपये हो जायेगा. वह मंगलवार को जगजीवन नगर स्थित बीसीकेयू कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उनके साथ सीटू नेता सह जेबीसीसीआइ सदस्य डीडी रामानंदन, एचएमएस के राजेश कुमार सिंह, एटक नेता लखन लाल महतो, विनोद मिश्रा, सीटू नेता मानस चटर्जी भी थे.
कोयला मंत्री को विलय की जल्दी : रमेंद्र कुमार ने कहा : सरकार बुढ़ापे का सहारा पेंशन छीनना चाहती है. एक तरफ हम पेंशन फंड बचाने की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ सरकार सीएमपीएफ का इपीएफओ में विलय कराना चाहती है. कोल मंत्रालय ने इपीएफओ में विलय के लिए पांच सदस्यीय कमेटी बनायी है. इसमें कोल मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेटरी सुरेश कुमार अध्यक्ष, डिप्टी सेक्रेटरी महेंद्र प्रताप सचिव बनाये गये हैं. सीएमपीएफ के कमिश्नर सदस्य के रूप में शामिल हैं. कमेटी को विलय के बारे में एक माह में रिपोर्ट देने को कहा गया है. कोयला मंत्री विलय को लेकर बहुत जल्दी में हैं. संसद के 14 जुलाई से शुरू होने वाले मानसून सत्र में ही विलय का बिल पेश होगा.तो नहीं बिकेगा कोल इंडिया का कोयला: एटक नेता ने कहा : सरकार के कारण कोयला उद्योग की भयानक स्थिति है.
कोयला मंत्री के नेतृत्व में कोयला उद्योग और कोयला मजदूरों पर हमले हो रहे हैं. मंत्री की कथनी और करनी में अंतर है. सरकार के हस्तक्षेप के कारण दसवें वेतन समझौता में विलंब हो रहा है. अब तो समझौता अधर में लटक गया है. कोल इंडिया के डीपी आर मोदन दास के टर्मिनेशन के बाद कोल इंडिया के अधिकारी दहशत में हैं. बैठक पर बैठक हो रही है. पर अभी तक कोल इंडिया के किसी अधिकारी ने यह नहीं बताया कि कितनी वेतन बढ़ोतरी देंगे. क्योंकि उन्हें डर है कि बोलने पर एक्शन हो जायेगा. सरकार व्यावसायिक खनन की अनुमति देने जा रही है. इससे कोल इंडिया का कोयला नहीं बिकेगा. सरकार ने कोल इंडिया को कंगाल कर दिया है. 63 हजार करोड़ पूंजी में से सरकार ने सब ले लिया है . अब मात्र आठ हजार करोड़ ही बचा है. उन्होंने कहा कि तमाम मुद्दों को लेकर हम सब 9 मई को दिल्ली में भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय में बैठक कर आगे की रणनीति बनायेंगे. अंतिम दम तक लड़ेंगे. मजदूरों का हक नहीं छिनने देंगे.
ऑल इंडिया कोल वर्कर फेडरेशन (सीटू) के महासचिव और जेबीसीसीआइ सदस्य डीडी रामानंदन ने कहा कि सरकार और कोल इंडिया के रवैये को देखते हुए 7,8,9 मई को दिल्ली में आयोजित 10 जेबीसीसीअाइ की बैठक से कोई उम्मीद नहीं है. सरकार के इस रूख को लेकर सभी ट्रेड यूनियनों से बात हो रही है. इंटक के संपर्क में हैं. सीएमपीएफ का इपीएफओ में विलय से कोयला मजदूरों को भारी घाटा होगा, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. वेज बोर्ड से भी बड़ी लड़ाई है. वेज बोर्ड में तो हजार पांच सौ बढ़ेगा. पर विलय से तो रिटायरमेंट के बाद का सबसे बड़ा सहारा छिन जाएगा. उन्होंने कहा कि संघर्ष की बदौलत कोयला मजदूरों ने जो हासिल किया है, उसे छिनने नहीं देंगे. भारी विरोध होगा. इस सवाल पर सभी ट्रेड यूनियन एकजुट हैं. सरकार को अपनी शक्ति और एकजुटता से झुकने पर मजबूर कर देंगे.
किसके मुंह में पान की गिलौरी?
धनबाद के सांसद पीएन सिंह पर कटाक्ष करते हुए एटक नेता रमेंद्र कुमार ने कहा कि मानसून सत्र में सीएमपीएफ का इपीएफओ में विलय से संबधित बिल पेश होगा. अधिकांश सांसद शासक पार्टी के हैं, जिन्हें कोयला उद्योग की जानकारी नहीं है. जिन्हे जानकारी है वे बोलेंगे नहीं, क्योंकि उनके मुंह में पान की गिलौरी रहती है जिसे वे चुभलाते रहते हैं.

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