नीरज सिंह हत्याकांड : सामने आया हमले में बचा आदित्य राज

धनबाद : नीरज सिंह के वाहन पर हमले में एकमात्र जीवित बचे जख्मी आदित्य राज नामक युवक दो दिन बाद पुलिस के समक्ष हाजिर हुआ. पुलिस की कड़ी मेहनत के बाद उसे गुरुवार को हाजिर कराया गया. आदित्य से सर्किट हाउस में डेढ़ घंटे तक सात आइपीएस व एक प्रभारी एसपी ने पूछताछ की. आदित्य […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 24, 2017 7:34 AM

धनबाद : नीरज सिंह के वाहन पर हमले में एकमात्र जीवित बचे जख्मी आदित्य राज नामक युवक दो दिन बाद पुलिस के समक्ष हाजिर हुआ. पुलिस की कड़ी मेहनत के बाद उसे गुरुवार को हाजिर कराया गया. आदित्य से सर्किट हाउस में डेढ़ घंटे तक सात आइपीएस व एक प्रभारी एसपी ने पूछताछ की. आदित्य ने अभिषेक सिंह की ओर से दर्ज एफआइआर में उल्लेखित बातों की पुष्टि की.

पुलिस अफसरों ने आदित्य से सवाल जबाव किया. पुलिस के सवालों का जबाव देने में आदित्य के पसीने छूटते रहे. आदित्य से सवाल किया गया कि कितने लोगों के हाथ में हथियार थे? गोली किस तरफ से चल रही थी? गोली चलाने के बाद वे लोग किधर भागे? वह कितने लोगों को पहचानता है? गोली चलने के बाद उसने किन-किन लोगों को फोन किया था? वह किस गाड़ी से सेंट्रल अस्पताल पहुंचा था? अस्पताल में इलाज के बाद वह कागज लेकर क्यों भाग गया? भागते समय हॉस्पिटल वालों को सूचना क्यों नहीं दी? आदित्य पुलिस अफसरों को रटा-रटाया जबाव दे रहा था. वह काफी भयभीत लग रहा था. अपने को जख्मी बता परेशान दिखने की कोशिश करता रहा. पुलिस को आदित्य से रटे-रटाये जवाब के अलावा कुछ नहीं मिला है.

पूछताछ के बाद डीएसपी डीएन बंका ने पुलिस के साथ सर्किट हाउस के पीछे से आदित्य का गमछा से मुंह ढंककर निकालवा दिया. बाहर मीडिया वाले इंतजार करते रहे. आनन-फानन में चेहरा ढंके आदित्य को लेकर सादे लिबास में पुलिस निकल गयी. अादित्य को लेकर पुलिस कई स्थानों पर गयी है. आदित्य के बारे में पुलिस कुछ जानकारी देने से बच रही है. आदित्य को बिना नंबर की बलेरो में लेकर पुलिस ने देर रात तक कई स्थानों पर छापामारी की.

सरायढेला थाना में एफआइआर, चिरकुंडा थानेदार अनुसंधानकर्ता

धनबाद. पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या में सरायढेला थाना में अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू सिंह की ओर से कांड संख्या 48-17 धारा 307, 302, 120 (बी) भादवि व 27 आर्म्स एकट के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है. प्राथमिकी 23 मार्च की तिथि में अंकित की गयी है. चिरकुंडा थानेदार निरंजन तिवारी को अनुसंधानकर्ता बनाया गया है.

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