धनबाद : निर्भया तुम आज भी हमारे बीच हो…

सत्या राज धनबाद : निर्भया की सातवीं पुण्यतिथि रविवार को है. 16 दिसंबर 2012 की वह ठिठुरानेवाली रात में अपनी अस्मत बचाने के लिए एक लड़की ने अंतिम क्षण तक जद्दोजहद जारी रखा, लेकिन वह हार गयी. घटना के बाद पूरे देश निर्भया के साथ खड़ा था. दिल्ली के साथ ही देश के हर कोने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 16, 2018 10:48 AM

सत्या राज

धनबाद : निर्भया की सातवीं पुण्यतिथि रविवार को है. 16 दिसंबर 2012 की वह ठिठुरानेवाली रात में अपनी अस्मत बचाने के लिए एक लड़की ने अंतिम क्षण तक जद्दोजहद जारी रखा, लेकिन वह हार गयी. घटना के बाद पूरे देश निर्भया के साथ खड़ा था. दिल्ली के साथ ही देश के हर कोने में वह घटना जन मानस के जेहन में कहीं न कहीं आज भी जीवंत है.

निर्भया का नाम आते ही उन दरिंदों का अक्श भी सामने आता है, जिन्होंने घटना को अंजाम दिया था. उस घटना को गुजरे छह साल हो गये, दरिंदों को उनके कुकृत्य की सजा भी मिली, लेकिन क्या आज यह सिलसिला बंद हो गया है? हर साल निर्भया की पुण्यतिथि पर उसे श्रद्धांजलि दी जाती है, पर क्या निर्भया लौटकर आयेगी. ये सवाल हमेशा उठते रहेंगे.

महिलाओं के कानूनी हक

हमारे संविधान में घरेलू हिंसा और प्रताड़ना संबंधी कई धारा है.

304 (बी) भा.दं.सं : विवाह के सात वर्षों के अंदर अप्राकृतिक मृत्यु होने पर उम्रकैद तक की सजा

354 भा.दं.सं : महिला से छेड़छाड़ या रेप की कोशिश में दस साल तक की सजा का प्रावधान

498(ए) भा.दं.सं : सजा सात वर्ष तक3/4 घरेलू उत्पीड़न कानून के तहत पति की संपत्ति पर महिला का अधिकार.

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