कांवर यात्रा के बीच उठक-बैठक, जानिए क्या है कान पकड़ने की परंपरा के पीछे की आस्था?
Kanwar Yatra: श्रावणी मेले में कांवरिया पथ पर आपने कई बार कांवरियों को कान पकड़ कर उठक-बैठक करते देखा होगा. लेकिन, क्या आप इस परंपरा के पीछे की धार्मिक आस्था को जानते हैं. अगर नहीं, तो चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको इस आस्था के बारे में बताते हैं.
Kanwar Yatra | देवघर, विजय कुमार: श्रावणी मेले में लगातार कांवरियों की भीड़ उमड़ रही है. दूर-दराज से लाखों की संख्या श्रद्धालु बाबा नगरी देवघर पहुंच रहे हैं. मेले में कई कांवरिये अनोखे रूप में भी नजर आ रहे हैं. कोई अलग रूप धारण कर, तो कोई अनोखा कांवर लेकर बाबा धाम पहुंच रहे हैं. श्रावणी मेले में कांवरिया पथ पर आपने कई बार कांवरियों को कान पकड़ कर उठक-बैठक करते देखा होगा. लेकिन, क्या आप इस परंपरा के पीछे की धार्मिक आस्था को जानते हैं. अगर नहीं, तो चलिए आज इस आर्टिकल में हम आपको इस आस्था के बारे में बताते हैं.
क्यों उठक-बैठक करते हैं कांवरिये
निरंतर बारिश और धूप के बीच थके हुए कांवरिये जब शिविरों से उठकर दोबारा यात्रा शुरू करने जाते हैं, तो परंपरागत रीति के अनुसार कांवर उठाने से पहले भगवान शिव से क्षमा याचना प्रार्थना करते हुए उठक-बैठक करते हैं. इस संबंध में कांवरियों का कहना है कि हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि कांवर यात्रा में कोई भूल-चूक हो गयी है तो उसे माफ करना. यह भगवान शिव के प्रति अपनी भक्ति और सम्मान करने का तरीका है. ऐसा मानना है कि यात्रा के दौरान आने वाली बाधाएं दूरी होती है.
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दूसरी सोमवारी पर बाबा धाम में हुआ रिकॉर्ड तोड़ जलार्पण
बाबा धाम में कल मंगलवार को 2,30,307 श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया. बाह्य अर्घा के माध्यम से 79,327, आंतरिक अर्घा से 1,38,597 एवं शीघ्र दर्शनम के माध्यम से 12383 श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया. मालूम हो सावन की दूसरी सोमवारी पर बाबा धाम में रिकॉर्ड तोड़ 3 लाख से श्रद्धालुओं ने जलार्पण किया था.
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