Deoghar News : दीपोत्सव पर जगमगाये घर-आंगन, लाखों दीयों से रौशन हुआ बाबा मंदिर

बाबा बैद्यनाथ की नगरी सोमवार को दीपों की रोशनी से जगमगा उठी. दीपावली के अवसर पर बाबा मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा और पूरे शहर ने दीपों की लौ से आस्था का उजास फैलाया.

By Sanjeev Mishra | October 21, 2025 6:58 PM

संवाददाता, देवघर : बाबा बैद्यनाथ की नगरी सोमवार को दीपों की रोशनी से जगमगा उठी. दीपावली के अवसर पर बाबा मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा और पूरे शहर ने दीपों की लौ से आस्था का उजास फैलाया. शाम ढलते ही मंदिर परिसर, दुर्गा मंडप और गलियों में दीपों की कतारें जगमगाने लगीं, तो वहीं घर-घर में मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के साथ खुशियों का माहौल छा गया. पारंपरिक अनुष्ठानों और आधुनिक साज-सज्जा के संगम ने इस बार की दीपावली को खास बना दिया. सोमवार को बाबा मंदिर में सुबह से देर रात तक श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रही. लोगों ने बाबा बैद्यनाथ के दरबार में दीप जलाकर दीपावली की शुरुआत की. मंदिर परिसर में रात 10 बजे तक दीप जलाने का सिलसिला चलता रहा. इस अवसर पर चार लाख से अधिक दीपों की लौ से मंदिर परिसर जगमगा उठा. घर-घर में दीपों के साथ आकर्षक लाइटें सजायी गयी थी. बदलते दौर में लोगों ने पारंपरिक दीपों के साथ आधुनिक साज-सज्जा का सुंदर संगम पेश किया. शहर की गलियां, चौक-चौराहे और प्रतिष्ठान रंग-बिरंगी रोशनी से जगमगाते रहे.

मां काली व गणेश-लक्ष्मी की हुई पूजा

अमावस्या तिथि पर पूरे शहर में करीब एक सौ जगहों पर मां काली की प्रतिमा स्थापित कर तांत्रिक विधि से पूजा की गयी. बाबा मंदिर के भीतखंड स्थित दुर्गा मंदिर में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा ने रात 10 बजे से लेकर अहले सुबह तीन बजे तक मां काली की पूजा-अर्चना की. वहीं शुभ मुहूर्त के अनुसार शाम पांच बजे से शहर की सभी बड़ी-छोटी दुकानों में गणेश व मां लक्ष्मी की पूजा की. दुकानों को फूलों और लाइटों की लड़ियों से आकर्षक ढंग से सजाया गया था. व्यापारी वर्ग ने मां लक्ष्मी के आगमन की कामना करते हुए पूरी रात दुकानें खुली रखीं. अहले सुबह पुष्पांजलि और कलश विसर्जन के साथ पूजा संपन्न की गयी.

लोगों ने जलाये सोनलाठी

दीपावली की रात पितृहीन लोगों ने मंत्रोच्चारण के साथ सोनलाठी जलाकर पूर्वजों को श्रद्धांजलि दी. उन्होंने सोनलाठी को घर के समीप चौराहे पर रखकर यह कामना की कि पूर्वजों की आत्मा को पूरे वर्ष प्रकाश प्राप्त हो. वहीं मंगलवार अहले सुबह स्थानीय परंपरा के अनुसार दरिद्रा की परंपरा निभायी गयी. सूर्योदय से पहले लोगों ने डलिया को छड़ी से पीटते हुए घर से बाहर निकाला. इसके बाद डलिया को घर से बाहर फेंककर वर्षभर सुख-समृद्धि की कामना की.

हाइलाइट्स

दीपावली पर काली पूजा और पारंपरिक अनुष्ठानों का आयोजन

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