Deoghar news : कोर्ट में ट्रायल के दौरान पक्षकार नहीं कर सकते हैं सूट प्रोपर्टी की खरीद बिक्री

प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में अधिवक्ता ललित कुमार सिन्हा ने दी लोगों को कानूनी सलाह

By FALGUNI MARIK | November 8, 2025 7:37 PM

देवघर. हाल के दिनों में जमीन के स्वामित्व को लेकर वाद विवाद का सिलसिला बढ़ते जा रहा है. सिविल जज सीनियर डिविजन के काेर्ट में हर साल सैकड़ों टाइटिल सूट दाखिल हो रहे हैं. इसके आलवा क्रिमिनल केस दर्ज कराने का भी ग्राफ बढ़ा है. सिविल जज की अदालत में अगर जमीन संबंधी विवाद चल रहा है, तो सूट प्रोपर्टी के कोई भी पक्षकार चाहे वादी हो या प्रतिवादी, वादग्रस्त जमीन को न तो खरीद सकते हैं और न ही बेच सकते हैं. अगर कोई भी पक्षकार वादग्रस्त जमीन को चोरी छुपे बेच देते हैं और सेलडीड बनवा देते हैं, तो वह विधि के प्रतिकूल होता है. उपरोक्त बातें देवघर कोर्ट के अधिवक्ता ललित कुमार सिन्हा ने शनिवार को प्रभात खबर की ओर से आयोजित ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग के दौरान कही. इस दौरान देवघर, जामताड़ा, दुमका व गोड्डा जिले से तकरीबन डेढ़ दर्जन लोगों ने ऑनलाइन सवाल किये व अधिवक्ता से कानूनी सलाह ली. सबसे अधिक जमीन संबंधी विवाद को लेकर सवाल पूछे गये, जिसके बाद अतिक्रमण, पारिवारिक विवाद, सूचना अधिकार अधिनियम आदि से संबंधित सवाल पूछे गये. अधिवक्ता ने लोगों द्वारा पूछे गये सवालों पर ऑनलाइन विधि सम्मत तरीके से कानूनी सलाह दी. सवाल पूछने वालों ने आभार जताया. जामताड़ा से ललित पंडित का सवाल : मेरी पुश्तैनी रैयती जमीन है और लगातार दखल भोग करते आ रहे हैं. इस वर्ष भी धान लगाये हैं. जमीन का बंटवारा मौखिक हुआ है. मेरे भैयाद धान लगी जमीन पर कब्जा करना चाह रहे हैं. क्या वे दावा कर सकते हैं. अधिवक्ता की सलाह : देखिए, हिंदू उतराधिकार अधिनियम में इजमाल जमीन पर सभी हिस्सेदारों का वारिस के अनुसार हक प्राप्त है. जमाबंदी जमीन है, तो सभी उतराधिकारियों का हक बनता है, जहां तक मौखिक बंटवारा का सवाल है. वह तो घरेलू है. आपस में मिल कर इस विवाद को खत्म करना लाभकारी होगा. स्थायी समाधान के लिए सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में टाइटिल पार्टीशन सूट दाखिल करें व फैसला आने तक इंतजार करें. देवघर के जसीडीह से सुधीर कुमार का सवाल : सिविल जज की अदालत में जमीन बंटवारा को लेकर टाइटिल सूट चल रहा है. वादी व प्रतिवादीगण अदालत में हर हाजिर हो चुके हैं व लिखित कथन भी दाखिल कर चुके हैं. कुछ प्रतिवादियों ने चोरी छुपे कामत प्रकृति की जमीन को महंगे दाम में बेच दिया हैं. क्या विचारण की अवधि में जमीन की खरीद-ब्रिकी की जा सकती है या नहीं. मार्गदर्शन चाहिए. अधिवक्ता की सलाह: न्यायालय में बंटवारा को लेकर टाइटिल सूट चल रहा है और प्रतिवादीगण अदालत में हाजिर होकर अपना पक्ष रख चुके हैं. उनकी जानकारी में वादग्रस्त जमीन यानि सूट प्रोपर्टी है, तो उसे न तो बेच सकते हैं और न ही खरीद सकते हैं. यहां तक कि किसी भी प्रकार का निर्माण भी नहीं कर सकते हैं. अगर विवादित जमीन का सेलडीड निष्पादित किया गया है, तो उसे रद कराने के लिए याचिका दाखिल कर सकते हैं. विवादित जमीन का सेलडीड विधि के प्रतिकूल है. दुमका मसलिया से मनोज कुमार साह का सवाल : मेरे पिताजी किसी दूसरे की जमीन पर घर बना कर रह रहे थे. विगत 40 वर्षों से हमलोग दखलकार हैं. जमीन किसी दूसरे के नाम से है, जो जमाबंदी जमीन है. किसी भी प्रकार का दस्तावेज वर्तमान में नहीं है. सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी द्वारा जमीन से मुझे उच्छेद कर दिया गया है. अब क्या करें, जानकारी चाहिए. अधिवक्ता की सलाह : सबसे पहले तो सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी की अदालत द्वारा जो आदेश पारित किया गया है, उसकी सर्टिफाइड कॉपी प्राप्त करें. इसके बाद जमीन के दावा को लेकर बंदोबस्त पदाधिकारी की अदालत में अपील दाखिल करें. स्थल जांच के लिए याचना करें. जांच के बाद अदालत में मजबूती से पक्ष रखें और फैसले का इंतजार करें. एसपीटी एक्ट के तहत किसी की जमाबंदी जमीन पर दूसरे का नाम दर्ज करने का प्रावधान साधारण तौर पर नहीं है. गोड्डा शहर से रामावतार शर्मा का सवाल : ट्रैक्टर लोन पर लिये हैं, जो वारंटी की अवधि में है. इसके इंजन में खराबी आ गयी है. कई बार शौ-रूम में शिकायत किये, लेकिन हमेशा टालते आ रहे हैं. हर माह किस्त की राशि देनी पर पड़ रही है. कहां जायें, सलाह चाहिए. अधिवक्ता की सलाह : आपने जिस प्रतिष्ठान से ट्रैक्टर लिये हैं, उसके प्रोपराइटर एवं कंपनी को इसकी लिखित शिकायत करें. समाधान नहीं होने पर जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम, गोड्डा में शिकायत दर्ज करायें. मुआवजा मिलेगा और समस्या का समाधान हो जायेगा. शपथ पत्र के साथ इसमें सारे दस्तावेजों की छाया प्रति भी संलग्न करें. जसीडीह डाबरग्राम से निर्मल झा का सवाल : मैंने रामपुर मौजा में अपनी धर्मपत्नी के नाम पर सेलेबुल जमीन वर्ष 1991 में खरीदी थी. किसी कारण से म्यूटेशन नहीं करा पाया. सेल डीड में वर्णित जमीन कहां पर है. इसका पता नहीं चल पा रहा है. उपाय बतायें. अधिवक्ता की सलाह : सेल डीड में अगर प्रस्तावित नक्शा बना है, तो उसमें वर्णित प्लॉट, मौजा व जमाबंदी नंबर के आधार पर मापी के लिए अंचल कार्यालय में आवेदन दे सकते हैं. अंचलाधिकारी के आदेश से अमीन मापी के लिए नियुक्त किया जायेगा व मापी कर जमीन को चिह्नित कर दिया जायेगा. इसके लिए एसडीओ कोर्ट में भी आवेदन दे सकते हैं. देवघर के बैजनाथपुर नावाडीह से जगदीश राउत का सवाल : इजमाल जमीन है और घर भी बना हुआ है. बंटवारा के लिए विपक्षियों ने सब जज के कोर्ट में टाइटिल सूट दाखिल किया था, जो उचित पैरवी के अभाव में खारिज हो गया. जमीन को लेकर पुन: झंझट चल रहा है. क्या मुकदमा कर सकते हैं. अधिवक्ता की सलाह : अगर पहले से चल रहा टाइटिल सूट, जो बंटवारा के लिए किया था, खारिज हो चुका है. अगर जमीन को लेकर पुन: झगड़ा झंझट चल रहा है, तो फिर से मुकदमा कर सकते हैं. अगर पक्षकार चाहे तो पहले के खारिज सूट में भी रेस्टोरेसन यानि पुनर्जीवित करने का पिटीशन दाखिल कर सकते हैं. इसके अलावा देवघर मारगोमुंडा से रिजवान अंसारी, मधुपुर से बजीर शेख, देवघर बिलासी से अनूप कुमार रजहंस, चांदपुर से मनीष कुमार, देवीपुर से मो रहमत मियां आदि ने सवाल किये. सभी लोगों के सवालों को अच्छी तरह से सुन कर अधिवक्ता से विधिसम्मत तरीके से कानूनी सलाह दी. ॰प्रभात खबर की ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में अधिवक्ता ललित कुमार सिन्हा ने दी लोगों को कानूनी सलाह

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