VIDEO : जसीडीह स्टेशन पर हुआ महात्मा गांधी पर हमला, तो अहिंसा के पुजारी बापू ने दिया ये जवाब

रांची : ‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि आज प्रात:काल के व्यवहार से सनातनियों ने सनातनधर्म के ध्वज को इस पवित्र स्थान में उसी प्रकार झुका दिया है, जिस प्रकार महाराज युधिष्ठिर ने एक अर्द्ध सत्य कहकर उसे झुका दिया था. क्या महाभारत काल की यह बात आपको स्मरण नहीं कि महाराज युधिष्ठिर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 2, 2019 11:15 AM

रांची : ‘मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं कि आज प्रात:काल के व्यवहार से सनातनियों ने सनातनधर्म के ध्वज को इस पवित्र स्थान में उसी प्रकार झुका दिया है, जिस प्रकार महाराज युधिष्ठिर ने एक अर्द्ध सत्य कहकर उसे झुका दिया था. क्या महाभारत काल की यह बात आपको स्मरण नहीं कि महाराज युधिष्ठिर के असत्य भाषण करते ही उनका पैर धरती में धंस गया और उन्हें मृत्यु के बाद भी उसका प्रायश्चित करना पड़ा? इसलिए मैं सनातनी मित्रों से विनती करता हूं कि उनको अपने इस दुर्व्यवहार के लिए हृदय से पश्चाताप करना चाहिए और निश्चय करना चाहिए कि भविष्य में ऐसे हिंसात्मक कार्य नहीं करेंगे.’

महात्मा गांधी ने 1934 में अपने ऊपर हुए हमले के बाद देवघर की एक जनसभा में यह टिप्पणी की थी. ‘प्रभात खबर’ के कार्यकारी संपादक अनुज कुमार सिन्हा ने अपनी पुस्तक ‘महात्मा गांधी की झारखंड यात्रा’ मेंलिखा है कि 25 अप्रैल, 1934 की देर रात करीब ढाई बजे जब मोहनदास करमचंद गांधी जसीडीह रेलवे स्टेशन पर उतरे, तो उनके खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई. उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां दी गयीं. उनकी कार पर हमला कर दिया गया. कार के शीशे चकनाचूर हो गये. हालांकि, गांधी को चोट नहीं आयी. स्वयंसेवियों ने उन्हें सुरक्षित निकाल लिया. गांधी ने खुद देवघर की जनसभा में कहा कि लोगों ने उन्हें अपशब्द कहे. लोग हिंसा पर उतारू थे. हिंसक भीड़ का वश चलता, तो वे मोटर के हुड को तोड़ डालते.

1915 में अफ्रीका से लौटने के बाद मोहनदास करमचंद गांधी जिन जगहों पर सबसे पहले गये, उनमें झारखंड का देवघर भी शामिल है. आजादी से पहले गांधी दो बार देवघर आये. पहली बार 1925 में और दूसरी बार 1934 में. पहली यात्रा के बाद उन्होंने बाबा मंदिर और उसके आसपास फैली गंदगी, अव्यवस्था पर चिंता जतायी थी. हालांकि, उन्होंने यहां के पंडों की काफी तारीफ की थी. महात्मा गांधी ने बाबाधाम के पंडों को सुसंस्कृत और सभ्य कहा था. गांधी ने नगरपालिका के कर्मचारियों को स्वच्छता का संदेश दिया. कहा कि नगरपालिका के कर्मचारियों में क्षमता है कि वे अपने क्षेत्र को साफ रख सकते हैं. उन्हें इस क्षमता का इस्तेमाल करना चाहिए.

देवघर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए महात्मा गांधी ने अपने समर्थकों से कहा कि उनके खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को रोकें नहीं. वो चाहे जो भी करें, आप हमेशा धैर्य रखें और सज्जनता से पेश आयें. विशेषकर इसलिए कि आप भारी बहुमत में हैं. सनातनी मित्रों को समझाने-बुझाने का प्रयास कीजिए और यदि इसमें भी सफलता नहीं मिले, तो आप यह समझकर धैर्य धारण करें कि यदि आप सत्य को ईमानदारीसे पेश कर रहे हैं, तो वह समय शीघ्र ही आ रहा है, जब वे उसे स्वीकार करेंगे. कोई सुधारवादी बदले की कार्रवाई न करें. आप समझ लें कि यह आंदोलन आत्मशुद्धि का है और सुधारवादियों की ओर से किया गया कोई भी हिंसात्मक कार्य मेरे लिए गंभीर प्रायश्चित का कारण बन सकता है.

इस सभा में सनातन धर्म को मानने वालों की बापू ने जमकर आलोचना भी की थी. उन्होंने कहा था कि लाखों की संख्या में संताल हैं, जो खुद को हिंदू कहते हैं. हिंदू देवी-देवताओं की पूजा करते हैं. हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करते हैं. फिर भी वे हर तरह से अछूत माने जाते हैं. उनमें से जो खुद को हिंदू नहीं कहते, वे अछूत नहीं हैं. लेकिन, जो हिंदू धर्म का पालन करते हैं, उन्हें सनातन धर्मी दंडित करते हैं. उनका अपराध क्या है? यही कि उन्होंने मदिरा का पान करना छोड़ दिया. वे गौ की पूजा करते हैं. मांस का भक्षण नहीं करते. रामनाम का उच्चारण किसी हिंदू से ज्यादा श्रद्धा से करते हैं.

महात्मा गांधी ने यह भी कहा कि शास्त्रों में किसी को अस्पृश्य मानने की कोई व्यवस्था नहीं है. यदि ऐसी व्यवस्था है, तो हम जितना शीघ्र संसार से मिट जायें, उतना ही हमारे और संसार के लिए अच्छा रहेगा.

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