बाबा धाम LIVE : देवघर एक ऐसी जगह जहां ज्‍योर्तिलिंग के साथ शक्तिपीठ भी मौजूद, देखें लाइव आरती

देवघर : अगर आप श्रावणी मेले के दौरान बाबा बैद्यनाथ मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं लेकिन व्यस्तता के बीच समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तो हमारे फेसबुक पेज व प्रभात खबर डॉट काम में आकर हर रोज शाम साढ़े सात बजे देवघर मंदिर के महाआरती का लाइव देख सकते हैं. बाबाधाम देवघर में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 26, 2017 5:26 PM

देवघर : अगर आप श्रावणी मेले के दौरान बाबा बैद्यनाथ मंदिर का दर्शन करना चाहते हैं लेकिन व्यस्तता के बीच समय नहीं निकाल पा रहे हैं, तो हमारे फेसबुक पेज व प्रभात खबर डॉट काम में आकर हर रोज शाम साढ़े सात बजे देवघर मंदिर के महाआरती का लाइव देख सकते हैं. बाबाधाम देवघर में शाम होते ही माहौल भक्तिमय हो जाता है.

आपको बता दें कि दुनियाभर में देवघर ही एक ऐसी जगह है जहां ज्‍योर्तिलिंग के साथ-साथ शक्ति पीठ भी है. देवघर मंदिर में भगवान भोलेनाथ के मंदिर के साथ माता पार्वती का भी एक मंदिर है. इसके बारे में मान्‍यता है कि देवी सती का हृदय यहां गिरा था. इसी कारण से इस शक्ति पीठ को हार्द पीठ के नाम से भी जाना जाता है. (जिस समय देवी सती ने देह का त्‍याग किया था, उसे कुपित होकर भगवान शंकर उनके देह को लेकर तांडव करने लगे थे. तब भगवान के क्रोध को शांत करने और पूरे ब्राह्माण्‍ड को बचाने के लिए भगवान विष्‍णु ने सुदर्शन चक्र से सती के देह को भंग कर दिया था. तब सती के देहका अंग, भिन्‍न-भिन्‍न जगहों पर गिरा, जहां शक्ति पीठ की स्‍थापना की गयी.)

महाआरती में घंटी, शंख, ढोल की आवाज और पूजा अर्चना में उपयोग होने वाले धूप, दीया, पुष्प और अगरबत्ती ऐसे माहौल को गढ़ती है, जिसे देख आप स्वत : प्राचीन परंपरा से जुड़ जाते हैं. शाम के वक्त महाआरती का आयोजन होता है. इस भक्तिमय माहौल के बीच प्रभात खबर डॉट कॉम लगातार बाबा बैद्यनाथ धाम की महाआरती का सीधा प्रसारण कर रहा है.

महाआरती का वीडियो

छतीसगढ़ के भक्त ने बाबा मंदिर में चढ़ाया दो किलो चांदी का मुकुट, नाग और त्रिशूल

श्रावणी मास के पवित्र महीने में बाबा मंदिर में देश के दूरदराज इलाकों से कांवरियां पहुंचते हैं. कल पटना सिटी के कांवरियों के एक जत्था 108 फीट का कांवर के साथ बाबाधाम पहुंचे थे. आज छतीसगढ़ के एक भक्त ने बाबा मंदिर में दो किलो चांदी का मुकुट,नाग और त्रिशुल बाबा मंदिर में चढ़ाया. यह एक गुप्त दान था. गौरतलब है कि सावन महीने में बाबा बैद्यनाथ मंदिर में रिकार्ड संख्या में भक्त पहुंचते हैं.

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