Chaibasa News : कुपोषित शिशुओं में संक्रमण व मृत्यु का खतरा अधिक

चाईबासा के सैफरन सुइटी स्थित सभागार में सोमवार को 6 माह तक के शिशुओं में कुपोषण के खतरे से बचाव के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ.

By AKASH | August 25, 2025 11:42 PM

चाईबासा.

चाईबासा के सैफरन सुइटी स्थित सभागार में सोमवार को 6 माह तक के शिशुओं में कुपोषण के खतरे से बचाव के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू हुआ. इसमें जिला समाज कल्याण विभाग चाईबासा, एससीओइ सैम, रिम्स (रांची) व यूनिसेफ ने तकनीक सहयोग किया. प्रशिक्षण में प्रखंड स्तरीय चिकित्सा पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका, बीटीटी, सहिया साथी व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया. इसमें 6 माह तक अति गंभीर बच्चों की पहचान व प्रबंधन, जन्म से 6 माह के बच्चों में कुपोषित होने के खतरे की पहचान जानकारी दी गयी. रिम्स की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ मनीषा कुजूर ने बताया कि यह राज्य सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है. 0- 59 माह तक के गंभीर कुपोषित बच्चों का सामुदायिक आधारित प्रबंधन का क्रियान्वयन किया जाना है. इस अवधि में शिशुओं में शारीरिक व मानसिक विकास तेजी से होता है. शिशुओं में सही विकास, न्यूरो डेवलपमेंट व शिशु के जीवनकाल में होने वाली गैर-संचारी बीमारियों की रोकथाम के लिए पोषण महत्वपूर्ण घटक है. इस दौरान शिशुओं में पोषण संबंधी आवश्यकता पूरी नहीं होती है, तो कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. कुपोषित शिशुओं में संक्रमण, मृत्यु का खतरा, अवरोध मस्तिष्क विकास का खतरा अधिक होता है. सही पोषण न केवल जीवित रहने, बल्कि जीवन को सफल, स्वस्थ व खुशहाल बनाने के लिए आवश्यक है. इस अवसर पर यूनिसेफ के स्टेट कंसल्टेंट सुजीत कुमार सिन्हा, राज्य पोषण मिशन के स्टेट कंसल्टेंट अजय कुमार, यूनिसेफ के रिजनल कंसल्टेंट रामनाथ राय, सदर अस्पताल चाईबासा के डॉक्टर जगन्नाथ हेंब्रम, आरबीएस के चिकित्सा पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षिका, सीएचओ, बीटीटी, साहिया साथी व अन्य ने भाग लिया.

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