Chaibasa News : गुवा गोलीकांड के साक्षी रहे दरगड़ाय सिरका का निधन
दरगड़ाय के गाल से आर-पार हुई थी पुलिस की गोली, घटना के बाद लंबे समय तक चला था इलाज, अक्सर रहते थे बीमार
गुवा.
झारखंड आंदोलन का काला अध्याय गुवा गोलीकांड (8 सितंबर, 1980) के साक्षी रहे बड़ा राइका गांव निवासी सह आंदोलनकारी दरगड़ाय सिरका का सोमवार को निधन हो गया. उक्त खबर से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गयी. दरगड़ाय सिरका ने गुवा में आदिवासियों के अधिकारों और न्याय की मांग पर हुए आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था. गुवा गोलीकांड में पुलिस की गोली उनके गाल के आर-पार निकल गयी थी. वे गंभीर रूप से घायल हो गये थे. घटना ने उनके जीवन को बदल दिया. चोट और लंबे उपचार के कारण वह अक्सर अस्वस्थ रहते थे. पिछले दिनों उनका पैर टूट गया था. उनकी स्थिति और नाजुक हो गयी थी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मानवता और संवेदनशीलता दिखाते हुए उनके इलाज की जिम्मेदारी उठायी थी. उन्हें रांची के रिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इलाज के बाद वे घर लौट आये थे. उनकी सेहत लगातार गिर रही थी. सोमवार की सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली. गांव में मातम पसर गया.दरगड़ाय सिरका को नहीं मिला सम्मान
गौरतलब हो कि गुवा गोलीकांड की याद में हर वर्ष 08 सितंबर को कार्यक्रम होता है. वहां शहीदों को सम्मान दिया जाता है. दरगड़ाय सिरका हर साल गुवा जाने की इच्छा रखते थे, ताकि उन्हें आंदोलनकारी के रूप में सम्मान मिल सके. विडंबना रही कि आज तक उन्हें सम्मान नहीं मिल पाया. उनके निधन से गांव वासियों तथा आंदोलन से जुड़े लोगों में शोक और आक्रोश है.
लोग बोले- हमारी यादों में जिंदा रहेंगे दरगड़ाय सिरका
लोग सवाल भी उठा रहे हैं कि जिस व्यक्ति ने आंदोलन में अपनी जान दांव पर लगा दी, उसे जीवनभर उचित सम्मान क्यों नहीं मिला? दरगड़ाय सिरका के जाने से गुवा गोलीकांड से जुड़ी संघर्ष गाथा का एक और अध्याय समाप्त हो गया, लेकिन उनकी यादें और संघर्ष हमेशा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
