स्मृति शेष: …जब 1992 का गिरिडीह लोकसभा उपचुनाव हार गए थे बीजेपी प्रत्याशी समरेश सिंह

समरेश सिंह का बोकारो के बेरमो से गहरा नाता रहा था. खासकर 1992 का लोकसभा उपचुनाव वे गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से बतौर भाजपा प्रत्याशी लड़ रहे थे, तो उस वक्त यहां के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी नजदीकियां काफी बढ़ गयी थीं.

By Guru Swarup Mishra | December 1, 2022 5:15 PM

झारखंड के कद्दावर नेता समरेश सिंह का आज गुरुवार को निधन हो गया. शुक्रवार को चंदनकियारी में उनका अंतिम संस्कार किया जायेगा. बोकारो के बेरमो से इनका गहरा लगाव था. 1992 के लोकसभा उपचुनाव के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं से इनकी नजदीकियां बढ़ गयी थी. भाजपा प्रत्याशी समरेश सिंह ने पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं की हौसला अफजाई की थी. हालांकि ये उपचुनाव हार गए थे.

गिरिडीह लोकसभा सीट से हार गए थे चुनाव

समरेश सिंह का बोकारो के बेरमो से गहरा नाता रहा था. खासकर 1992 का लोकसभा उपचुनाव वे गिरिडीह संसदीय क्षेत्र से बतौर भाजपा प्रत्याशी लड़ रहे थे, तो उस वक्त यहां के भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ उनकी नजदीकियां काफी बढ़ गयी थीं. 1991 के लोकसभा चुनाव में गिरिडीह लोकसभा सीट से झामुमो प्रत्याशी बिनोद बिहारी महतो ने भाजपा प्रत्याशी रामदास सिंह (बेरमो निवासी) को पराजित कर चुनाव जीता था, लेकिन बिनोद बाबू के आकस्मिक निधन के बाद गिरिडीह संसदीय सीट पर 1992 में उपचुनाव हुआ था. इसमें बिनोद बिहारी महतो के पुत्र राजकिशोर महतो झामुमो प्रत्याशी बनाये गये थे, जबकि भाजपा ने अपने पूर्व प्रत्याशी व पूर्व सांसद रहे रामदास सिंह का टिकट काटकर समरेश सिंह को गिरिडीह लोकसभा सीट से भाजपा का प्रत्याशी बनाया था. इस चुनाव में बिनोद बाबू की सहानुभूति की लहर के साथ-साथ झामुमो की क्षेत्र में अपनी जबरदस्त पैठ के कारण बिनोद बाबू के पुत्र राजकिशोर महतो चुनाव जीत कर पहली बार सांसद बने थे. भाजपा प्रत्याशी समरेश सिंह ने भी पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं की हौसला अफजाई की थी. इस चुनाव में भाजपा की ओर से समरेश सिंह के साथ बेरमो निवासी व पूर्व सांसद रामदास सिंह के अलावा भाजपा के वरीय नेता डॉ प्रहलाद वर्णवाल, केडी सिंह, जगरनाथ राम, बिनोद महतो आदि काफी सक्रिय थे.

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200 बूथों पर नहीं बैठे थे भाजपा के पोलिंग एजेंट

कहते हैं कि इस चुनाव में उस वक्त राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी झामुमो की मदद की थी, जबकि समरेश सिंह के पक्ष में साध्वी ऋतंभरा ने बेरमो के संडे बाजार में एक चुनावी सभा को संबोधित किया था. इसके बाद वो जरीडीह बाजार स्थित पुराने जनसंघी परिवार गोपाल डालमिया के घर पर रुकी थीं. वहीं पूर्व सांसद रीता वर्मा ने भी चुनावी सभा को संबोधित किया था. भाजपा नेता डॉ प्रहलाद वर्णवाल बताते हैं कि 1992 के उपचुनाव में भाजपा के करीब 200 बूथों पर भाजपा के पोलिंग एजेंट को बैठने नहीं दिया गया था. शिकायत की गई थी कि इन सभी का सिग्नेचर नहीं मिल रहा है.

पोल पर ही बंधा रहेगा पार्टी का झंडा

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष व पार्टी के पुराने नेता बिनोद महतो बताते हैं कि लोकसभा उपचुनाव से पहले 1991 में नावाडीह प्रखंड के गुंजरडीह में बिजली के पोल पर भाजपा के टांगे गये झंडे को किसी ने फाड़ दिया था. इसकी जानकारी जब भाजपा नेता समरेश सिंह को हुई तो उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं के समक्ष ऐलान किया था कि पार्टी का झंडा अब उसी पोल पर बंधेगा तथा हवाई फायरिंग से सलामी दी जायेगी. उस वक्त भाजपा के वरिष्ठ नेता राधा मोहन सिंह प्रभारी थे तथा फुसरो स्थित विवेक लॉज में भाजपा का कार्यालय था. इसमें समरेश सिंह बोकारो से आकर बैठा करते थे. समरेश सिंह ने जिस वक्त भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ गुंजरडीह मार्च का ऐलान किया. उस वक्त झामुमो के शिबू सोरेन, शैलेंद्र महतो, कृष्णा मार्डी आदि सांसद तथा डुमरी के झामुमो विधायक शेरे शिवा महतो थे, जबकि वर्तमान शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो उस वक्त टाइगर फोर्स के कमांडर हुआ करते थे.

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झामुमो हुआ था सक्रिय

समरेश सिंह के ऐलान के बाद इस क्षेत्र में झामुमो भी सक्रिय हो गया तथा भाजपा व झामुमो के बीच हिंसक टकराव की स्थिति सी पैदा हो गई. तय तिथि को भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ समरेश सिंह ने नावाडीह, तेलो होते हुए गुंजरडीह की ओर कूच किया. जब गुंजरडीह पहुंचे तो वहां झामुमो विधायक शिवा महतो का भाषण चल रहा था. यहां कोई अनहोनी घटना के मद्देनजर काफी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती की गई थी. बेरमो के तत्कालीन इंस्पेक्टर रतनेश्वर ठाकुर तथा नावाडीह थाना प्रभारी रवींद्र राय ने किसी प्रकार मामले को शांत कराया. इसके बाद समरेश सिंह ने बिजली के पोल पर अपनी उपस्थिति में भाजपा का झंडा बंधवाया. इसी बीच यहां पूर्व सांसद रामदास सिंह भी पहुंच गये.

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कार्यकर्ता को जीप में बैठाकर पहुंचे बेरमो थाना

90 के दशक में एक बार समरेश सिंह बेरमो के कुरपनिया बाजार में भाजपा आपके द्वार कार्यक्रम के तहत सभा को संबोधित कर रहे थे. इस दरम्यान भाजपा कार्यकर्ता बिनोद महतो ने उनसे बात की तथा कहा कि प्रशासन सीसीएल प्रबंधन के कहने पर उनके कार्यालय और होटल को तोड़ रहा है. उस वक्त बीएंडके एरिया के जीएम बी अकला तथा बेरमो इंस्पेक्टर ए तिग्गा थे. कुरपनिया में सभा समाप्त कर समरेश सिंह सीधे बिनोद महतो के पास पहुंचे तथा उन्हें अपनी जीप की अगली सीट पर बैठाया और सीधे बेरमो थाना पहुंचे. गाड़ी में बैठे ही समरेश सिंह ने थाना के किसी स्टॉफ से थाना प्रभारी को बुलाने को कहा, लेकिन थाना प्रभारी की जगह बेरमो इंस्पेक्टर श्री तिग्गा जब समरेश सिंह के पास पहुंचे तो उन्होंने चिल्लाते हुए कहा कि बिनोद पार्टी का कार्यकर्ता है. अगर इसके होटल व कार्यालय को किसी प्रकार की क्षति हुई तो फिर खैर नहीं. इसके बाद श्री तिग्गा ने खुद थाना के वाहन से बिनोद महतो को उनके आवास पहुंचाया था.

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बीजीएच इलाज कराने वाले लोगों को खुद कराते थे एडमिट

कहते हैं 90 के दशक में बेरमो से कोई भी भाजपा कार्यकर्ता या आम आदमी इलाज के लिए बोकारो के उस वक्त एकमात्र अस्पताल बीजीएच जाता था तो खुद समरेश सिंह या फिर उनकी पत्नी वैसे लोगों को बीजीएच में एडमिट कराते थे. समरेश सिंह मजदूर आंदोलन से भी जुड़े रहे. इसलिए 1992 का लोकसभा उचुनाव हारने के बाद उन्होंने बेरमो कोयला क्षेत्र में मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ को भी सशक्त बनाने में अपनी अहम भूमिका अदा की. भाजपा नेता डॉ प्रहलाद वर्णवाल कहते हैं कि उस वक्त दूसरे यूनियन से भी कई लोग टूटकर समरेश सिंह के नेतृत्व में भारतीय मजदूर संघ में शामिल हुए थे. बेरमो के भाजपा के वरिष्ठ नेता व पुराने जनसंघी स्व केडी सिंह के साथ समरेश सिंह के काफी घनिष्ठ संबंध रहे थे, जबकि बेरमो निवासी स्व केदार सिंह ने समरेश दा के कहने पर ही बेरमो से निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसमें उनका चुनाव चिन्ह बैलगाड़ी छाप था. आपको बता दें कि केदार सिंह की अपनी सगी बहन की शादी समरेश सिंह के चचेरे भाई डेउलटांड़ (चंदनक्यारी) निवासी स्व असीत सिंह के साथ हुई थी.

गांधीनगर निवासी स्व सुशील सिन्हा के बड़े साला थे समरेश

जानकारी के अनुसार समरेश सिंह बेरमो के गांधीनगर काश्मीर कॉलोनी निवासी स्व सुशील कुमार सिन्हा के बड़े साला थे. यहां अक्सर समरेश सिंह का आना-जाना लगा रहता था. करगली निवासी सिक्यूरिटी ऑफिसर रहे निर्मल दा के साथ भी समरेश सिंह के पारिवारिक संबंध थे.

रिपोर्ट : राकेश वर्मा, बेरमो

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