Bokaro News : जब शहीद की पत्नी को तेनुघाट उपकारा में देने पड़ा था दस रुपया नजराना
Bokaro News : परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का शहादत दिवस 10 सितंबर को है.
बेरमो, परमवीर चक्र विजेता अब्दुल हमीद का शहादत दिवस 10 सितंबर को है. उनका जन्म उत्तरप्रदेश के गाजीपुर जिले के धामुपूरा गांव में एक जुलाई 1933 को हुआ था. पिता उस्मान व मां सकीना के दो बेटों में वह सबसे बड़े थे. शहीद अब्दुल हमीद के चार बेटे हैं. जैनुल हसन, अली हसन, जैनुद आलम और तहत महमूद है. एक बेटी भी है, जिनका नाम नाजबून निशा हैं. तलत महमूद बेरमो में सीसीएल के बीएंडके एरिया में सुरक्षा गार्ड थे और वर्ष 2018 में सेवानिवृत्त हुए. वर्ष 1999 में रसूलन बीबी को बेरमो में उस वक्त अपमान का सामना करना पड़ा था, जब वे अपने छोटे बेटे तलत महमूद से मिलने तेनुघाट जेल गयी थीं. उपकारा के मुख्य द्वार पर चिलचिलाती धूप में खड़ी रसूलन बीबी को तब तक उनके बेटे से मिलने नहीं दिया गया, जब तक दस रुपया नजराना देने को तैयार नहीं हुईं. तलत महमूद अपने साथी सुरक्षा प्रहरी की हत्या के षडयंत्र में शामिल होने के आरोप में उपकारा में बंद थे. बाद में पत्रकार सह सामाजिक संगठन शोषित मुक्ति वाहिनी के संरक्षक सुबोध सिंह पवार ने रसूलन बीबी को बेरमो लाकर सम्मानित किया. उसी समय से हर वर्ष 10 सितंबर को शोमुवा की ओर से रसूलन बीबी के साथ उपकारा में हुए अपमान के प्रायश्चित के लिए समारोह का आयोजन कर अब्दुल हमीद का शहादत दिवस मनाया जाता है.
लोहिया ने किया था परमवीर अब्दुल हमीद के गांव की मिट्टी को नमन
देश की सरहद की सुरक्षा में तैनात अब्दुल हमीद ने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान दुश्मन देश के सात पैटर्न टैंकों के परखच्चे उड़ा दिये थे. दुश्मन देश की फौज ने पैटर्न टैंकों के साथ 10 सितंबर को पंजाब प्रांत के खेमकरन सेक्टर में हमला बोला. भारतीय थलसेना की चौथी बटालियन की ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात कंपनी क्वार्टर मास्टर हवलदार अब्दुल हमीद अपनी जीप पर सवार होकर दुश्मन फौज को रोकने के लिए आगे बढ़े. उन्होंने अकेले ही पैटर्न टैंकों का ग्रेनेड के जरिये सामना करना शुरू कर दिया. भीषण गोलाबारी के बीच पलक झपकते ही अब्दुल हमीद के अचूक निशाने ने पाक सेना के पहले पैटर्न टैंक के परखच्चे उड़ा दिये. हालांकि अब्दुल हमीद भी शहीद हो गये थे. उनके पराक्रम व शहादत की खबर परिवार व गांव वालों के लिए गर्व और गम वाली थी. समाजवादी नेता डॉ राम मनोहर लोहिया वीर हमीद की पत्नी रसूलन बीबी से मिलने उनके गांव धामुपूरा गांव पहुंचे थे और उस मिट्टी को नमन किया था. ग्रामीणों के लगातार दबाव के बाद पांच मार्च 1999 को इस गांव का नाम हमीद धाम किये जाने की औपचारिकताएं पूरी की गयी थी.नसीरुद्दीन शाह ने निभायी थी अब्दुल हमीद की भूमिका
वर्ष 1966 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर शहीद अब्दुल हमीद को परमवीर चक्र से नवाजते हुए उनकी पत्नी रसूलन बीबी को यह पुरस्कार दिया गया था. वर्ष 1988 में फिल्म निर्देशक चेतन आनंद ने परमवीर चक्र सीरियल बनाया था, जिसमें अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने परमवीर अब्दुल हमीद की भूमिका अदा की थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
