Bokaro News : टीटीपीएस में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बन कर तैयार

Bokaro News : तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) के सिविल एरिया में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बन कर तैयार हो गया है.

By JANAK SINGH CHOUDHARY | August 24, 2025 10:20 PM

महुआटांड़, ललपनिया स्थित झारखंड सरकार के एकमात्र ताप विद्युत संयंत्र तेनुघाट थर्मल पावर स्टेशन (टीटीपीएस) के सिविल एरिया में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बन कर तैयार हो गया है. इसका ट्रायल रन रविवार को किया गया. टीटीपीएस जीएम सह अभियंता प्रमुख अनिल कुमार शर्मा ने पूजा के बाद फीता काट कर इसका लोकार्पण किया. उन्होंने कंट्रोल रूम में पैनल के स्विच ऑन कर मशीनों को चलाया. इसके बाद यह संयंत्र बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक फंक्शनल हो गया. एमडी ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से प्राप्त निर्देशों के तहत आज प्लांट के प्रस्तावित विस्तारीकरण की ओर एक और कदम बढ़ाया गया है. प्लांट परिसर में एफलुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (एटीपी) पहले से फंक्शनल है. विस्तारीकरण के लिए जरूरी अब सिर्फ ऐश वाटर रिसरर्कुलेशन सिस्टम (एडब्ल्यूआरएस) को चालू करना बाकी है. इसका निर्माण भी तेज गति से चल रहा है. 30 सितंबर तक हर हाल में इसका काम पूरा करें. डीजीएम एचआर अशोक प्रसाद ने बताया कि एसटीपी की क्षमता एक मिलियन लीटर पर डे (एमएलडी) है. वरीय विद्युत अधीक्षण अभियंता आशीष कुमार शर्मा, यूनियन महामंत्री बबूली सोरेन ने भी समारोह को संबोधित किया. मौके पर वरीय अधीक्षण अभियंता आशीष कुमार शर्मा, नीरज कुमार सहित जेके सिंह, रघुनाथ सिंह देव, बीएन सिंह, एसकेपी श्रीवास्तव, अरुण कुमार सिंह, शत्रुघ्न पाहन, उमेश सिंह, सुरेश राम, दशरथ मार्डी, आरडी साहू, नरेंद्र सिंह, सीआइएसएफ इंस्पेक्टर राजलक्ष्मी वर्मा, एएसआइ पिंटू कुमार, मनोज बास्के, अनंत लाल मांझी, मुकुल पंडा, मंजूर अंसारी, मकसूद सहित दर्जनों लोग मौजूद थे.

ऐसे काम करेगा एसटीपी

संपूर्ण आवासीय क्षेत्र के नाला व नालियों को पाइपलाइन से जोड़ कर इस संयंत्र में सबसे पहले कचरे को छान कर कलेक्शन टैंक में अपशिष्ट पानी गिराया जायेगा. इसके बाद एक- एक कर कई टैंकों में पानी साफ करने की विभिन्न चरणों की प्रक्रिया होगी. इसके बाद इस पानी का उपयोग गार्डनिंग, सड़कों में छिड़काव आदि के लिए किया जायेगा. ठोस या दूसरे कचरे का उपयोग जैविक खाद के तौर पर किया जा सकता है. इस संयंत्र से पारिस्थितिकी तंत्र प्रदूषण से मुक्त रहेगा. इस प्रकार स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए यह संयंत्र काफी अहम है.

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