ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के शताब्दी वर्ष पर पढ़िए झारखंड में मजदूरों के संघर्ष की कहानी

बोकारो (सुनील तिवारी): भारत के मजदूर वर्ग का प्रथम राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन संगठन 'ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक)' आज यानी 31 अक्तूबर को 100 वर्ष का हो जायेगा. अपने स्थापना काल से यूनियन मजदूर वर्ग के हक व अधिकारों के साथ-साथ जनहित, देशहित व भारत को सार्वजनिक और आर्थिक आजादी दिलाने के लिए संघर्षों का स्वर्णिम 100 वर्ष 31 अक्टूबर 2020 को पूरा करेगा. एटक से संबद्ध 'बोकारो इस्पात कामगार यूनियन' स्थापना के 50 साल पूरा कर चुका है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 31, 2020 11:47 AM

बोकारो (सुनील तिवारी): भारत के मजदूर वर्ग का प्रथम राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन संगठन ‘ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक)’ आज यानी 31 अक्तूबर को 100 वर्ष का हो जायेगा. अपने स्थापना काल से यूनियन मजदूर वर्ग के हक व अधिकारों के साथ-साथ जनहित, देशहित व भारत को सार्वजनिक और आर्थिक आजादी दिलाने के लिए संघर्षों का स्वर्णिम 100 वर्ष 31 अक्टूबर 2020 को पूरा करेगा. एटक से संबद्ध ‘बोकारो इस्पात कामगार यूनियन’ स्थापना के 50 साल पूरा कर चुका है.

06 जुलाई 1968 में चिन्यम मुखर्जी, एके अहमद, पीएस पूर्ति व वसी अहमद ने माराफारी-बोकारो में ‘बोकारो इस्पात कामगार यूनियन’ की स्थापना की थी. गया सिंह व अनिरुद्ध जैसे नेताओं ने इस संगठन को इस्पात उद्योग में अलग पहचान दी. एनजेसीएस में मजदूरों को सुविधा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. बोकारो स्टील प्लांट के प्रारंभिक निर्माण का दौर था. भूमि समतलीकरण सहित प्रारंभिक फेब्रिकेशन का माराफारी के फेब्रिकेशन यार्ड में शुरू हुआ.

एटक यूनियन देश की निजी कंपनी व मालिकों के शोषण का मुकाबला करते हुए मजदूरों के बीच में काफी प्रभावशाली बन गया था. 1969 गया सिंह बोकारो इस्पात संयंत्र में ट्रेड यूनियन मोर्चा पर कार्य करते हुए स्टील के देशभर के मजदूर नेता के रूप में उभर कर सामने आये. दो बार राज्यसभा में सांसद भी रहे. 1971 में गया सिंह को बोकारो इस्पात कामगार यूनियन का महामंत्री चुना गया. उन्होंने यूनियन को मजदूरों के बीच एक अलग खास पहचान दिलायी.

गया सिंह एटक के राष्ट्रीय सचिव के साथ-साथ कार्यकारी अध्यक्ष तक का सफर पूरा किये. गया सिंह आज अपने बीच नहीं है. चिन्यम मुखर्जी 1970 के बाद स्टील से कोयला मजदूरों के नेता के रूप में कार्य करना शुरू किये. धनबाद विधानसभा के सदस्य रहे. वह आज हमारे बीच नहीं हैं. 1973 में फेब्रिकेशन यार्ड के मजदूरों को न्यूनतम वेतन की लड़ाई से विद्यासागर गिरी व राजेंद्र प्रसाद यादव जैसे नेता भी संगठन के साथ जुड़े और मजदूर आंदोलन में योगदान दिया.

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विद्यासागर गिरी एटक के राष्ट्रीय सचिव के रूप में कार्यभार संभाल रहे हैं. 1974 के अंत में अनिरुद्ध जुड़े और 1985 में यूनियन के महामंत्री चुने गये. विभिन्न मजदूर आंदोलन को आगे बढ़ाते हुए 2017  तक यूनियन के महामंत्री रहे. 05 अगस्त 2017 को उन्होंने अंतिम सांस ली. 80 के दशक में संगठन के साथ रामाश्रय प्रसाद सिंह, पीके पांडे, स्वयंवर पासवान यूनियन से जुड़े. अनिरुद्ध के निधन के बाद रामाश्रय प्रसाद सिंह को महामंत्री सर्वसम्मति से चुना गया.

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फिलहाल, संस्थापक एके अहमद नौकरी को छोड़ कर मजदूरों के हक व अधिकार के लिए संघर्षरत हैं. रामाश्रय प्रसाद सिंह यूनियन के महामंत्री के रूप में मजदूर आंदोलन को दिशा दे रहे हैं. एटक को आगे ले जा रहे हैं. एटक के 100 वर्ष पूरा होने पर ‘बोकारो इस्पात कामगार यूनियन’ की ओर से 31 अक्टूबर 2020 को संध्या पांच बजे नया मोड़ से जुलूस निकाला जायेगा. संध्या साढ़े बजे यूनियन कार्यालय के मैदान (सेक्टर-3डी) में मुख्य कार्यक्रम होगा.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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