Bokaro News : पुराने दिनों की याद लेकर लौटे पूर्ववर्ती विद्यार्थी

Bokaro News : डीवीसी हाई स्कूल, बोकारो थर्मल के पूर्ववर्ती विद्यार्थियों का दो दिवसीय महामिलन समारोह शनिवार की देर रात को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हो गया.

By JANAK SINGH CHOUDHARY | September 7, 2025 11:48 PM

चंद्रपुरा, डीवीसी हाई स्कूल, बोकारो थर्मल से पास आउट 1967 से 1997 बैच के पूर्ववर्ती विद्यार्थियों का दो दिवसीय महामिलन समारोह शनिवार की देर रात को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हो गया. पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने स्कूल के कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की और नगर भ्रमण में उन्होंने पूरे चंद्रपुरा को देखा. पुराने परिचितों से भी मिले. वर्षों बाद चंद्रपुरा आकर उत्साहित दिखे. समारोह के बाद रविवार वापस लौटते समय कई भावुक हो गये. उन्हें दुख इस बात का रहा कि नये प्लांट निर्माण को लेकर चंद्रपुरा का स्वरूप बदल जायेगा. जिस चंद्रपुरा में उनका जन्म हुआ और पले-बढ़े, वह आने वाले समय में नहीं दिखेगा.

पूर्ववर्ती विद्यार्थियों ने कहा

अजय दत्ता (कोलकाता) : पुराने सहपाठियों व मित्रों से मिलकर काफी खुशी हुई. यह मंच जीवन भर याद रहेगा. आयोजन समिति को धन्यवाद.

प्रदयोत दास (कोलकाता) : इन दो दिनों में ढेर सारे मधुर पल आये, दोस्तों से गले मिलना और हंसी मजाक व ठहाके लगाने की खुशबू जीवन भर याद रहेगी.

विनोद आंनद (मुंबई) : जिस उद्देश्य से यह आयोजन किया गया, वह सफल रहा. चंद्रपुरा से जाना भावुकता वाला है, मगर ऐसा आयोजन आगे भी हो.

राजेश लाल (पटना) : छह महीने की ड्यूटी पर अमेरिका में था. तय किया कि यदि इंडिया लौट गया तो जरूर इस समारोह में भाग लूंगा. अपने क्वार्टर को देख पुराने दिनों को याद किया.

बलकृत (पटियाला) : वर्षों बाद यहां आया, बहुत अच्छा लगा. पुराने लोगों से भी मिला. पता चला कि चंद्रपुरा की यह कॉलोनी हट जायेगी, सुनकर खराब लगा.

राकेश सिंह (दिल्ली) : यह कार्यक्रम हमेशा याद रहेगा. बहुत दिनों के बाद उन दोस्तों से मिला, जिनके साथ पढ़ाई की थी, खेला था. कई जगहों पर जाकर पुराने दिनों को याद किया.

41 वर्ष बाद चंद्रपुरा आये सिख बंधू

समारोह में आये दो भाई बलबीर सिंह व कुलबीर सिंह ने बताया कि 41 वर्षो के बाद चंद्रपुरा आया. जब पता चला कि महामिलन समारोह का आयोजन किया जा रहा है तो अपने आप को रोक नहीं पाया. प्रभात खबर से उन्होंने कहा कि इस शहर को छोड़ने का मन नहीं था, मगर परिस्थिति के बीच उस समय छोड़ना पड़ा. काफी समय चंद्रपुरा को याद करते रहे. पचास के दशक में पिता को डीवीसी में नौकरी मिली थी और उन्हें पंचेत भेजा गया. चंद्रपुरा में पावर प्लांट के लिए सिविल का काम शुरू हुआ तो यहां ट्रांसफर कर दिया गया. पिता चंद्रपुरा आये थे, तब हमलोग बहुत छोटे थे. प्राथमिक की पढ़ाई अस्थायी रूप से वर्तमान समय के हिंदी साहित्य परिषद के हाॅल में किया. 1972 में सेकेंडरी पास की. बड़े हुए तो उन्होंने यहां जमीन आवंटन करा कर स्टूडियो, आटा चक्की व मेडिकल की दुकान खोली. फिलहाल चंडीगढ़ में ंव्यवसाय कर रहे हैं, बच्चे व्यवसाय संभाल रहे हैं. एक बेटा कनाड़ा में है.

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