Bokaro News : विश्वकर्मा पूजा में स्वनिर्मित मशीनों की लगाते थे प्रदर्शनी
Bokaro News : पुरानी बोकारो कोलियरी के एक्सकैवेशन में आयोजित विश्वकर्मा पूजा कभी पूरे कोल इंडिया में चर्चित थी.
राकेश वर्मा, बेरमो, बेरमो कोयलांचल की सौ साल से भी ज्यादा पुरानी बोकारो कोलियरी के एक्सकैवेशन में आयोजित विश्वकर्मा पूजा कभी पूरे कोल इंडिया में चर्चित थी. 60 से 90 के दशक तक धूमधाम से पूजा की जाती थी. मौके पर कामगार अपने हाथों से निर्मित एक से बढ़ कर एक कोयला उत्पादन से जुड़ी मशीनों की प्रदर्शनी लगाते थे. अधिकारियों में भी खासा उत्साह रहता था. एक माह पहले से ही कामगार पूजा की तैयारी में जुट जाते थे. हर कामगार के वेतन से चंदा लिया जाता था. पूजा के पांच-छह दिन पहले से पूजा कमेटी के लोग तैयारी को लेकर एक्सकैवेशन में ही दिन-रात रहते थे. पूजा के दिन दूर-दराज के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में लोग मशीनों की प्रदर्शनी, मेला व सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने आते थे. उस समय कोलियरियों में ओडिसा, छत्तीसगढ़, रायपुर, चापा, जौनपुर, गौरखपुर, बिलासपुर इलाके के कोलकटर काफी संख्या में थे. सुबह पूजा खत्म होने के बाद प्रसाद में बुंदिया दो-तीन दिनों तक बांटा जाता था. विश्वकर्मा पूजा में फूल सज्जा का काम नागेश्वर प्रसाद किया करते थे.
नामी क्रेन ऑपरेटर थे अनवर अहमद खान
बोकारो कोलियरी एक्सकैवेशन में संडे बाजार निवासी अनवर अहमद खान नामी क्रेन ऑपरेटर व गुरुबख्श सिंह नामी शॉवेल ऑपरेटर थे. फौजा सिंह, टीके पांडेय, ओमप्रकाश शर्मा, खुशहाल सिंह, रिखिराज सिंह, हजारा सिंह, जॉन आदि चर्चित डंपर ऑपरेटर थे. मैकेनिक अब्दुल जब्बार, वेल्डर एके राय, लोहार केशू मिस्त्री, वेल्डर सुनील चटर्जी, फीटर मैकेनिक जार्ज, ऑटो इलेक्ट्रीशियन एमएम शिवकुमारन, सीनियर इलेक्ट्रीशियन बिनोद कुमार राय व पीए अंथोनी के हाथ मशीन से खेलते थे. काजीम खान, सागर पेनका और भरत सिंह भी चर्चित मैकेनिक थे. महावीर गोप व रामजीत मांझी चर्चिच ड्रिल ऑपरेटर थे. वीर सिंह व बच्चू सिंह नामी डोजर ऑपरेटर थे. इसके अलावा शहादत मिस्त्री व सुकूर मिस्त्री भी दक्ष कामगार माने जाते थे.एक्सकैवेशन में मशीनों का हुआ करता था भरमार
पहले बोकारो कोलियरी एक्सकैवेशन में दो बड़ी इलेक्ट्रिकल रशियल ड्रील मशीन, मेड इन अमेरिका की पीएंचएच शॉवेल मशीन, 30 हॉलपेक (डंपर), मेड इन अमेरिका का एस बड़ा लिंक बेल्ट क्रेन व एक छोटा क्रेन, मेड इन अमेरिका दो युकलेटा डंपर (इसके पहले मेक कंपनी का डंपर हुआ करता था), छह शॉवेल, एक बड़ा पेलोडर सहित कई बड़ी-बड़ी मशीनों का भरमार हुआ करता था. मशीनों के हर तरह के पार्ट पूर्जे यहीं के स्टोर में मिलते थे. किसी भी मशीन में खराबी आने पर एक्सकैवेशन के ही कुशल कामगार दुरुस्त कर लेते थे. विश्वकर्मा पूजा के दिन सभी मशीनों को एक्सकैवेशन परिसर में सजा कर खड़ा किया जाता था. पूजा व मेला देखने आने वाले लोग यहां की मशीनों को भी देखते थे.शॉवेल, डोजर, डंपर की लगती थी प्रदर्शनी
विश्वकर्मा पूजा के दिन बोकारो कोलियरी के एक्सकैवेशन में कार्यरत ऑटो इलेक्ट्रीशियन, सीनियर इलेक्ट्रीशियन, मैकनिक, फीटर, वेल्डर व हैमर के दक्ष कामगार एक से बढ़ कर एक स्वनिर्मित व विद्युत से चलने वाली छोटे-छोटे शॉवेल, डंपर, डोजर, सहित कई मशीनों की प्रदर्शनी लगाते थे. इन मशीनों के साथ कोलकटर को भी कोयला काटते हुए दिखाया जाता था. इस एक्सकैवेशन में बड़ी-बड़ी लेथ मशीनें थीं, जिसमें चेंजर फीट कर के इलेक्ट्रीक सप्लाई की जाती थी. विश्वकर्मा पूजा के पहले साफ-सफाई व रंगाई की जाती थी. इस एक्सकैवेशन के कई कामगारों को उत्कृष्ट कार्य के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार मिला है. लेकिन डेढ़ दशक पूर्व अपने पुराने स्थान पर ही भूमिगत आगे के कारण यह एक्सकैवेशन जमींदोज हो गया. कई पुरानी व भारी मशीनें जमीन में समा गयी थीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
