Bokaro News : हिंदी साहित्य के क्षेत्र में भी है चंद्रपुरा की पहचान

Bokaro News : चंद्रपुरा की पहचान हिंदी साहित्य के क्षेत्र में भी है.

By JANAK SINGH CHOUDHARY | September 14, 2025 12:42 AM

चंद्रपुरा, चंद्रपुरा की पहचान भले ही विद्युतनगरी के रूप में है, मगर हिंदी साहित्य के क्षेत्र में भी इस शहर को प्रसिद्धि है. डीवीसी उच्चतर विद्यालय चंद्रपुरा की सेवानिवृत्त शिक्षिका चंद्रपुरा निवासी काबेरी प्रसाद हिंदी व साहित्य के क्षेत्र में एक अलग पहचान रखती हैं. हिंदी में इनकी लिखी रचनाएं कई विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जा रही हैं. सुमंगली, द्रोणाचार्य एक नहीं, अभावों में पलता स्वाभिमान, शिखा के अलावा टुकड़ा-टुकड़ा जीवन जैसर रचनाओं को काफी प्रसिद्वि मिली. नाटक डिप्टी कलक्टर का साला व कविता संग्रह उजली हंसी के लिए भी इनकी लेखनी को साहित्य जगह में पसंद किया गया. इनकी कहानी द्रोणाचार्य एक नहीं, सुमंगली व उपन्यास मिस रमिया लखनउ, गोवा, गुलवर्गा विश्वविद्यालय में पढ़ायी जा रही है. काबेरी प्रसाद बताती हैं कि उनकी रचनाएं दबी-कुचली महिलाओं को एक उर्जा देती हैं. सुमंगली कहानी में महिलाओं के शोषण का जिक्र है. झारखंड की प्रकृति और आसपास बिखरे पात्र लिखने को प्रेरित करते हैं.

डीवीसी के पूर्व हिंदी अधिकारी डाॅ दयानंद बटोही की लेखनी आज देश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ायी जा रही है. बिनोद बिहारी महतो विश्वविद्यालय धनबाद ने एमए के कोर्स में इनकी लिखी कहानी सुरंग को शामिल किया है. इसके पूर्व यह कहानी लखनऊ विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी विश्वविद्यालय वर्धा, सेंट्रल यूनिवर्सिटी गया, गुलबर्ग विश्वविद्यालय, लातुर विश्वविद्यालय के विभिन्न कोर्स में पढ़ायी जा रही है. वर्ष 2010 में कर्नाटक के डाॅ भौलेजा राय, हैदराबाद में कला ससनल, महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी में गया प्रसाद सरोज, लातूर विश्वविद्यालय में मनमोहन भंडारी, लखनउ यूनिवर्सिटी में रामकृपाल पांडेय ने इनकी कहानी पर शोध किया है. उन्होंने बताया कि सुरंग की चर्चा अमेरिका में भी है. डाॅ बटोही कथाकार, कवि, नाटककार के साथ समालोचक भी हैं. यहां के लोग उन्हें कवि सर कहते हैं.

केबी कॉलेज में मनाया गया हिंदी दिवस

कथारा. केबी कॉलेज बेरमो में शनिवार को हिंदी विभाग द्वारा हिंदी दिवस मनाया गया. मुख्य अतिथि बीडीए कॉलेज पिछरी के प्राचार्य डॉ रवींद्र कुमार सिंह ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि हिंदी एक भाषा ही नहीं, बल्कि एक संस्कृति की भी परिचायक है. कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो लक्ष्मी नारायण राय ने कहा कि हिंदी जन-जन की भाषा है. विभागाध्यक्ष डॉ मधुरा केरकेट्टा, प्रो इंचार्ज प्रो गोपाल प्रजापति, डाॅ अरुण कुमार रॉय महतो, डॉ अरुण रंजन ने भी संबोधित किया. छात्र-छात्राओं ने कविता, भाषण, पोस्टर, नाट्य मंचन, लोकगीत व नृत्य प्रस्तुत किये. मौके पर डा नीला पूर्णीमा तिर्की, डाॅ अलीशा वंदना लकड़ा, डाॅ प्रभाकर कुमार, डाॅ व्यास कुमार, प्रो अमीत कुमार रवि, प्रो विपुल कुमार पांडेय, डाॅ शशि कुमार, डाॅ विश्वनाथ प्रसाद, प्रो पीपी कुशवाहा, प्रो संजय कुमार दास, प्रो सुनीता कुमारी आदि उपस्थित थे.

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