चंदवा : इम्तियाज के पिता बोले: आंखों के सामने बेटे को मरते देख भी कुछ नहीं कर पाया

चंदवा : कामता टंडवा निवासी मो निजामुद्दीन घटना को याद कर आज भी सिहर उठते है. उन्होंने बताया कि अगर उस दिन मैं वहां से नहीं भागता, तो वे लोग मुझे भी मार देते. बताया कि शुक्रवार 18 मार्च की सुबह करीब तीन बजे डुंमरटांड़ चीरु से मजलूम अंसारी व इम्तियाज आठ बैल लेकर पैदल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 22, 2018 8:36 AM
चंदवा : कामता टंडवा निवासी मो निजामुद्दीन घटना को याद कर आज भी सिहर उठते है. उन्होंने बताया कि अगर उस दिन मैं वहां से नहीं भागता, तो वे लोग मुझे भी मार देते. बताया कि शुक्रवार 18 मार्च की सुबह करीब तीन बजे डुंमरटांड़ चीरु से मजलूम अंसारी व इम्तियाज आठ बैल लेकर पैदल टूटीलावा सिमरिया (चतरा) मेला के लिए निकले थे. मैं कुछ देर बाद बाइक से उनके पीछे निकला था.
जैसे ही वह झाबर गांव के समीप पहुंचा. देखा कि उसके पशु सड़क किनारे भटक रहे हैं. मजलूम व इम्तियाज नजर नहीं आये. आसपास खोजने के बाद वे लोग रस्सी से बंधे दिखे और वहां आठ से 10 लोग खड़े थे. गाड़ी की आवाज सुन आरोपियों ने मेरी ओर देख कर बोले कि असली व्यापारी आ गया है.
इसे भी पकड़ो. इतना सुनते मैं बाइक से भाग निकला. सामान्य होने पर मैंने कई लोगों को फोन से घटना की सूचना दी. मजलूम के भाई मन्नुवर सबसे पहले घटनास्थल पहुंचे.
तब तक वे लोग दोनों को पकरी जंगल की ओर ले गये थे. हमलोग डर के मारे दूर से ही छिप कर घटना देख रहे थे. आरोपियों ने दोनों को अधमरा कर पेड़ पर फांसी से लटका दिया. आरोपियों के जाने के बाद पुलिस प्रशासन के आने पर हम लोग घटनास्थल पर पहुंचे.
उनके पैकेट से 45 हजार रुपये नकद, दो मोबाइल व बैल खरीदी की रसीद भी उनलोगों ने निकाल लिया था. नाबालिग इम्तियाज के पिता आजाद ने बताया कि उनके पैर में चोट थी. इसलिए वह पैदल मेला नहीं गये. बाइक से वे पीछे से निकले थे.
करीब पांच बजे झाबर गांव के समीप इम्तियाज की बचाओ-बचाओ की आवाज सुनायी पड़ी. वह जंगल की ओर मुड़ गये. झाड़ी से छिप कर पूरी घटना को आंखों से देखा. आरोपियों के हाथों में टांगी, रस्सी, गड़ासा, लाठी-डंडा समेत अन्य हथियार थे. अपनी आंखों के सामने अपने नाबालिग पुत्र को मरते देख भी कुछ नहीं कर पाया.

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