मॉर्निंग वॉक में राजनीति की चर्चा, स्टेशन चौक बना चुनावी अड्डा

शहर के स्टेशन चौक पर रोजाना सुबह की ताजी हवा के साथ चुनावी गर्मी भी महसूस की जा सकती है

By RAJEEV KUMAR JHA | November 6, 2025 5:44 PM

सुपौल. कहते हैं “स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन बसता है”, लेकिन सुपौल में इन दिनों स्वस्थ शरीर के साथ राजनीति का मन भी जाग रहा है! चुनावी मौसम में सुबह-सुबह का मॉर्निंग वॉक अब केवल तंदुरुस्ती का जरिया नहीं रहा, बल्कि राजनीति पर चर्चा का खुला मंच बन गया है. शहर के स्टेशन चौक पर रोजाना सुबह की ताजी हवा के साथ चुनावी गर्मी भी महसूस की जा सकती है. यहां सुबह 05 बजे से ही धीरे-धीरे लोग जुटने लगते हैं. कोई टहलता है, कोई स्ट्रेचिंग करता है, लेकिन कानों में वही आवाज गूंजती है “इस बार कौन जीतेगा?”, “किस पार्टी की लहर है?” राजनीतिक चर्चाओं की यह सुबह की महफिल देखते ही बनती है. कुछ लोग अखबार के ताजा खबर के आधार पर तर्क देते हैं, तो कुछ अपने पुराने अनुभवों से भविष्यवाणी करते हैं. चाय की चुस्कियों के बीच कभी हंसी-मजाक, तो कभी गंभीर बहस का माहौल बन जाता है. स्थानीय नागरिक कौशल कहते हैं, “पहले मॉर्निंग वॉक सिर्फ सेहत के लिए करते थे, लेकिन अब राजनीति का तड़का लगाना जरूरी हो गया है. आखिर देश की दिशा तय करने वाले फैसले यहीं से शुरू होते हैं.” वहीं शिक्षक राकेश का मानना है कि इस तरह की चर्चाएं लोगों में जागरूकता बढ़ाती हैं. वे कहते हैं, “कम से कम लोग अब मुद्दों पर बात कर रहे हैं, सिर्फ चेहरों पर नहीं.” महिला वॉकर्स भी इस माहौल से अछूती नहीं हैं. स्थानीय महिला समूह की सदस्य शशि देवी बताती हैं कि वे अब सिर्फ योग नहीं करतीं, बल्कि उम्मीदवारों के विकास कार्यों पर भी चर्चा करती हैं. उनका कहना है, “हम अपने वोट की कीमत समझते हैं. इस बार सोच-समझकर मतदान करेंगे.”स्टेशन चौक का यह नजारा अब पूरे शहर की पहचान बन गया है. यहां सुबह की ठंडी हवा में चुनावी चर्चाओं की गर्माहट घुली रहती है. कोई नये नेता की तारीफ करता है, तो कोई पुराने जनप्रतिनिधि से नाराजगी जताता है. मॉर्निंग वॉक के दौरान ही लोग एक-दूसरे से राय लेते हैं, अपनी पसंद साझा करते हैं और कभी-कभी बहस इतनी गहराती है कि पैदल चलने की जगह लोग चाय की दुकान के इर्द-गिर्द घेरा बना लेते हैं. चुनावी मौसम ने वाकई स्टेशन चौक की सुबह को बदल दिया है. जहां कभी सिर्फ पक्षियों की चहचहाहट सुनाई देती थी, अब वहां लोकतंत्र की गूंज है. यह कहना गलत न होगा कि सुपौल में अब मॉर्निंग वॉक केवल शरीर को नहीं, बल्कि लोकतंत्र को भी मजबूत बना रहा है.

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