अस्पतालों में बढ़े वायरल फीवर के मरीज, बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे अधिक असर

वायरल फीवर से डरने की जरूरत नहीं लेकिन सावधानी अनिवार्य

By RAJEEV KUMAR JHA | November 15, 2025 6:10 PM

– दिन में गर्मी और रात में ठंड से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है कमजोर – बच्चे और बुजुर्ग बाहर निकलते समय हल्के ऊनी कपड़े पहनें – 70 प्रतिशत मरीजों में पाए जा रहे वायरल संक्रमण के लक्षण – वायरल फीवर से डरने की जरूरत नहीं लेकिन सावधानी अनिवार्य सुपौल. जिले में मौसम के लगातार उतार-चढ़ाव ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है. दिन के समय धूप और रात में ठंड के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर इसका सीधा असर पड़ रहा है. मौसम के इस बदलाव का सबसे अधिक दुष्प्रभाव बच्चों और बुजुर्गों पर देखा जा रहा है. अस्पतालों और क्लीनिकों में वायरल फीवर, सर्दी-खांसी, गले में दर्द और बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. सदर अस्पताल में पिछले एक सप्ताह से ओपीडी में मरीजों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. शनिवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में 541 मरीजों का इलाज किया गया. इसमें शिशु रोग विभाग (पेडियाट्रिक ओपीडी) में 110 से अधिक बच्चों की जांच की गई, जबकि जेनरल ओपीडी में 193 मरीज पहुंचे. इसके अलावा स्त्री रोग विभाग में 65, नेत्र विभाग में 53, हड्डी रोग (ऑर्थो) में 104, डेंटल में 17 और फिजियोथेरेपी विभाग में 5 मरीजों का इलाज किया गया. वहीं इमरजेंसी वार्ड में 100 से अधिक मरीजों का इलाज किया गया. शुक्रवार को भी कुल 600 से अधिक मरीज इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचे थे. निजी क्लीनिकों और नर्सिंग होम में भी मरीजों की स्थिति कुछ ऐसी ही है. सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक डॉ ठाकुर प्रसाद ने बताया कि इस समय मौसम में अचानक हो रहे बदलाव से वायरल फीवर का प्रकोप बढ़ गया है. दिन में धूप और रात में ठंड से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे वायरस का संक्रमण तेजी से फैल रहा है. अधिकतर मरीजों में वायरल संक्रमण के लक्षण पाए जा रहे हैं, जिनमें लगातार बुखार, सर्दी-जुकाम, गले में दर्द, बदन दर्द और खांसी प्रमुख हैं. उन्होंने कहा जब मौसम अस्थिर होता है तो शरीर को तापमान के अनुरूप ढलने में वक्त लगता है. इस दौरान इम्युनिटी कम हो जाती है और वायरस को हमला करने का मौका मिल जाता है. कहा कि सुबह-शाम तापमान में अंतर बहुत अधिक है. इसलिए लोगों को अचानक ठंड या गर्मी से बचना चाहिए. बच्चे और बुजुर्ग बाहर निकलते समय हल्के ऊनी कपड़े पहनें. पानी का सेवन पर्याप्त मात्रा में करें और खान-पान संतुलित रखें. 70 प्रतिशत मरीज वायरल संक्रमण से ग्रसित अस्पताल में आने वाले मरीजों में करीब 60 से 70 प्रतिशत मरीजों में वायरल संक्रमण के लक्षण पाए जा रहे हैं. इनमें बुखार, सर्दी-जुकाम, खांसी और सांस लेने में तकलीफ प्रमुख हैं. डॉक्टरों के अनुसार तापमान के उतार-चढ़ाव से सबसे अधिक प्रभावित वे लोग हो रहे हैं जिनकी इम्युनिटी कमजोर है. शिशु रोग विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चों में बुखार और गले में दर्द की शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं. कई बच्चों को तेज बुखार के साथ गले में इंफेक्शन और खांसी की समस्या हो रही है. वहीं बुजुर्गों में यह संक्रमण सांस की तकलीफ और थकान की शिकायत के रूप में दिख रहा है. सदर अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ओपीडी सेवाओं को दुरुस्त किया है. डॉक्टरों को मरीजों की भीड़ के अनुसार ड्यूटी पर लगाया गया है. अस्पताल प्रबंधन ने लोगों से कहा कि वायरल फीवर से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन सावधानी अनिवार्य है. सभी स्वास्थ्य केंद्रों में बुखार जांच और आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है. वहीं मौसम विभाग के अनुसार सुपौल समेत सीमावर्ती जिलों में अगले कुछ दिनों तक दिन में हल्की गर्मी और रात में ठंड बनी रहेगी. इस दौरान तापमान में 6 से 8 डिग्री सेल्सियस तक का अंतर देखने को मिल सकता है.

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