11 से श्रावणी मेले की शुरुआत, बाबा भीमशंकर महादेव मंदिर में उमड़ेंगे श्रद्धालु

ऐतिहासिक व पौराणिक विरासत से जुड़ा धाम

By RAJEEV KUMAR JHA | July 10, 2025 5:58 PM

राघोपुर. श्रावण मास की शुरुआत 11 जुलाई से हो रही है, इसी के साथ जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बाबा भीमशंकर महादेव मंदिर धरहरा धाम (राघोपुर) मंदिर में श्रावणी मेले की धूम शुरू हो जाएगी. आस्था का केंद्र यह मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर और राघोपुर रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. हर वर्ष की भांति इस बार भी लाखों कांवरियां महादेवपुर घाट और कोसी बैराज से जल लेकर धरहरा स्थित बाबा भीमशंकर महादेव का जलाभिषेक करेंगे. इस बार श्रावण मास में चार सोमवारी पड़ने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि की संभावना है. श्रावणी मेले की तैयारियां चरम पर मंदिर विकास समिति के सचिव संजीव कुमार यादव ने बताया कि इस बार श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए व्यापक प्रबंध किए गए हैं. मंदिर को रंग-बिरंगी आकर्षक लाइटिंग से सजाया जा रहा है, साथ ही शिवगंगा पोखर का जीर्णोद्धार और नए स्नान घाटों का निर्माण भी जारी है. स्थायी शौचालय, स्नानगृह और चापाकलों की संख्या बढ़ा दी गई है ताकि दूर-दराज से आने वाले भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो. भीड़ प्रबंधन को ध्यान में रखते हुए सभी प्रवेश मार्गों पर बैरिकेडिंग की जा रही है और वाहनों की आवाजाही के लिए विशेष व्यवस्था की गई है. शृंगार पूजा: अद्भुत परंपरा की प्रतीक धरहरा धाम शृंगार पूजा की अपनी विशेष परंपरा के लिए विख्यात है. सावन की प्रत्येक सोमवारी को बाबा का विशेष शृंगार किया जाता है. इस पूजा में भाग लेने के लिए श्रद्धालु वर्षों पहले नाम दर्ज कराते हैं. कई भक्तों को अपनी बारी के लिए 06 से 08 वर्षों तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, जो इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है. ऐतिहासिक व पौराणिक विरासत से जुड़ा धाम यह स्थल न केवल धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक और पुरातात्विक महत्व भी रखता है. मान्यता है कि 1934-35 में कोसी नदी किनारे मवेशी चराते समय एक शिवलिंग की प्राप्ति हुई थी, जिसे हिलाया नहीं जा सका. बाद में यहीं मंदिर निर्माण का निर्णय लिया गया. खुदाई में अष्टधातु की विष्णु प्रतिमा सहित कई पुरावशेष मिले, जिससे इस स्थल का महत्व और बढ़ गया. पुजारी दुर्गेश नंदन गिरी बताते हैं कि यह स्थान महाभारत काल से भी जुड़ा है. मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान यहां विश्राम किया और भीम ने तपस्या कर शिवलिंग की स्थापना की. इसी कारण इसे “भीमशंकर महादेव ” कहा जाता है. यह भूमि अंगराज कर्ण से भी जुड़ी मानी जाती है. सुरक्षा व्यवस्था होगी अभेद्य श्रावणी मेले के दौरान प्रशासन ने सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. वीरपुर एसडीएम और मंदिर विकास समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार ने बताया कि पूरे मेला क्षेत्र में सीसीटीवी लगाए जा रहे हैं. मजिस्ट्रेट की तैनाती, साथ ही महिला एवं पुरुष पुलिस बल की संख्या में वृद्धि की गई है. भीड़ नियंत्रण और यातायात प्रबंधन के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं.

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