लोन दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी, गुस्साए लोगों ने सड़क जाम कर किया विरोध

बढ़ रहे फर्जी वित्तीय संस्थान जिले के लिए बड़ा खतरा

By RAJEEV KUMAR JHA | November 21, 2025 5:51 PM

– गुरुवार को ही ब्रांच का शटर बंद कर सभी कर्मचारी फरार – स्वयं सहायता समूह और महिला ऋण योजना के नाम पर वसूली गई थी राशि – संचालक, एजेंटों की गिरफ्तारी व पैसे वापस दिलाने की मांग कर रहे थे लोग – एक घंटे तक हुसैन चौक के पास सुपौल-सहरसा मुख्य सड़क जाम कर लोगों ने किया प्रदर्शन सुपौल. लोन दिलाने के नाम पर बड़े पैमाने पर ठगी का मामला सामने आया है. जिला मुख्यालय स्थित निधि लिमिटेड (मेंबर बैंक) ब्रांच के कर्मियों पर हजारों लोगों से करोड़ों रुपये हड़पने का आरोप लगा है. गुरुवार से ही ब्रांच का शटर बंद है और कर्मचारी फरार हो गए हैं. शुक्रवार को खाताधारी जब हुसैन चौक के पास ब्रांच पहुंचे तो शटर बंद पाया. खोजबीन करने पर पता चला कि सभी कर्मचारी ब्रांच बंद कर फरार हो गए हैं. इससे खाताधारियों का गुस्सा फूट पड़ा. गुस्साए खाताधारियों ने ब्रांच के सामने सुपौल–सहरसा मुख्य मार्ग को जाम कर दिया. लगभग एक घंटे तक मुख्य सड़क पूरी तरह जाम कर खाताधारियों ने बैंक प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. जाम में मौजूद महिलाओं ने बताया कि उन्हें स्वयं सहायता समूह और महिला ऋण योजना के नाम पर विश्वास दिलाकर पैसे वसूले गए. एक महिला ने कहा हमें कहा गया था कि दो लाख रुपये तक का लोन पास हो जाएगा. इसी भरोसे में हमने तीन हजार रुपये जमा किए थे. अब ब्रांच में ताला लगा है. हमारी जमा पूंजी सब ले ली गई. दूसरी महिलाओं ने कहा कि घर की बचत तक दे दी, लेकिन अब संस्था के किसी भी कर्मी से संपर्क नहीं हो रहा है. लोगों ने मांग की कि सभी संचालकों और एजेंटों को जल्द गिरफ्तार किया जाए और उनके पैसे वापस दिलाए जाएं. दो महीने में पांच हजार से अधिक लोग बने शिकार पीड़ितों ने बताया कि पिछले दो महीनों में उक्त ब्रांच के कर्मियों ने लगभग पांच हजार से अधिक लोगों से लोन दिलाने के नाम पर तीन से पांच हजार रुपये तक वसूली की. कहा कि लोगों को भरोसा दिलाया गया था कि एक से दो लाख रुपये तक का ऋण बेहद आसानी से स्वीकृत करा दिया जाएगा. इसी झांसे में ग्रामीण, मजदूर, किसान, महिलाएं और छोटे कारोबारी अपनी मेहनत से जुटाई गई राशि ब्रांच के कर्मियों को दे दी. लेकिन गुरुवार को जब ब्रांच पर पहुंचे तो शटर पर ताला लटका मिला. अंदर कोई मौजूद नहीं था और कर्मचारियों से संपर्क भी पूरी तरह बंद हो चुका था. ठगी का अहसास होते ही शुक्रवार सुबह से ही लोग बड़े पैमाने पर इकट्ठा होने लगे और देखते ही देखते भीड़ सैकड़ों में पहुंच गई. गुस्साए लोगों ने मुख्य सड़क को जाम कर विरोध जताया. अचानक हुए इस जाम से सुपौल-सहरसा मार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गई. इस दौरान स्कूल बस, निजी गाड़ियां, बसें और दोपहिया वाहन जाम में फंसे रहे. हालांकि एक घंटे बाद स्थिति सामान्य हो सकी. जाम की सूचना पर सदर थाना पुलिस और महिला पुलिस बल मौके पर पहुंची. पुलिस अधिकारियों ने आक्रोशित लोगों को शांत कराने का प्रयास किया और कार्रवाई का भरोसा दिया. काफी समझाने–बुझाने के बाद लोगों ने जाम हटाया, जिसके बाद यातायात बहाल हो पाया. सदर थानाध्यक्ष अनिरुद्ध कुमार ने कहा कि पीड़ितों की ओर से अब तक लिखित शिकायत नहीं मिली है. शिकायत प्राप्त होते ही संस्था के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने लोगों से अपील की किसी भी संस्था में पैसे जमा करने या फीस देने से पहले उसकी वैधता, पंजीकरण और लाइसेंस की जांच जरूर करें. केवल सरकारी मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थानों पर ही भरोसा करें. बढ़ रहे फर्जी वित्तीय संस्थान जिले के लिए बड़ा खतरा जानकार कहते हैं कि जिले में बीते कुछ वर्षों में फर्जी वित्तीय कंपनियों, गैर पंजीकृत माइक्रोफाइनेंस संस्थानों और चिट फंड जैसे समूहों की सक्रियता तेजी से बढ़ी है. ये संस्थान गांव-गांव जाकर आसान लोन और त्वरित कर्ज स्वीकृति का लालच देकर लोगों से पैसे वसूलते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता की कमी और बैंकिंग प्रक्रिया की जटिलता का फायदा उठाकर ऐसे गिरोह लगातार सक्रिय रहते हैं. कई मामलों में प्रशासनिक कार्रवाई के बाद भी ये समूह नए नाम से फिर शुरू हो जाते हैं. कहते हैं लोन प्रक्रिया की जानकारी नहीं होने और दस्तावेजी औपचारिकताओं में मुश्किल होने के कारण लोग ऐसे संस्थानों पर भरोसा कर बैठते हैं, जिससे ठगी की घटनाएं बढ़ रही हैं.

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