नाबालिग से छेड़छाड़ के मामले में आठ अभियुक्तों को अदालत से सुनाई सजा
सात साल का कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपए का जुर्माना, धारा 333 के तहत पांच साल का कठोर कारावास, 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है.
– जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश षष्ठम सह विशेष न्यायाधीश पॉक्सो की अदालत से सुनाया फैसला – अदालत ने पीड़िता को एक लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश भी किया पारित सुपौल करजाईन थाना कांड संख्या 132/24 व पॉक्सो वाद संख्या 105/24 की सुनवाई करते सोमवार को जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश षष्ठम सह विशेष न्यायाधीश पॉक्सो संतोष कुमार दूबे की अदालत ने आठ अभियुक्तों को नाबालिग पीड़िता से छेड़छाड़ व गंदे वीडियो बनाकर वायरल करने के मामले में दोषी करार देते सजा सुनाई है. अदालत ने अभियुक्त करजाईन निवासी सुबोध पासवान, सरोज मेहता, सतीश मेहता, आकाश पासवान, सुशील राम, संजय पासवान, दीपक ठाकुर एवं कृष्ण दास को भारतीय न्याय संहिता की धारा 126 (2) के तहत एक माह का साधारण कारावास एवं पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. 127 (2) के तहत एक साल का कठोर कारावास, पांच हजार का जुर्माना लगाया गया है. वहीं धारा 115 (2) के तहत एक साल का कठोर कारावास, पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही धारा 74 के तहत पांच साल का कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपए का जुर्माना, धारा 75 के तहत एक साल का कठोर कारावास, दस हजार रुपए का जुर्माना, धारा 76 के तहत सात साल का कठोर कारावास एवं 20 हजार रुपए का जुर्माना, धारा 333 के तहत पांच साल का कठोर कारावास, 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. वहीं अदालत ने 351 (2) के तहत एक साल का कठोर कारावास, पांच हजार रुपए का जुर्माना, धारा 352 के तहत दो साल का कठोर कारावास एवं पांच हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. पॉक्सो की धारा 8 के तहत पांच साल का कठोर कारावास, 25 हजार रुपए का जुर्माना, पॉक्सो 10 के तहत सात साल का कठोर कारावास, 25 हजार रुपए का जुर्माना, पॉक्सो 12 के तहत तीन साल का कठोर कारावास, 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है, जबकि बाल विवाह निषेध अधिनियम की धारा 10 के तहत दो साल का कठोर कारावास एवं 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. अदालत ने अभियुक्त सरोज मेहता, दीपक ठाकुर, कृष्ण दास एवं सतीश मेहता को एससीएसटी की धारा 3 (ए), (आर), (एस), (डब्ल्यू) के तहत तीन साल का कठोर कारावास तथा 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेगी. मामले की सुनवाई में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक नीलम कुमारी और बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता संजय सिंह, रंजन सिंह, रामप्रसाद मेहता एवं प्रवीण कुमार मेहता ने बहस में हिस्सा लिया. गौरतलब है कि मामले में दस अभियुक्त में से आठ अभियुक्त को 29 अक्टूबर को दोषी करार दिया था. एक अभियुक्त राजीव यादव की मृत्यु हो गई, जबकि एक अभियुक्त गणेश मेहता न्यायालय में उपस्थित नहीं हुआ, जिसके विरुद्ध न्यायालय द्वारा अग्रिम कार्रवाई रखी गई है. मामले में 13 गवाहों ने न्यायालय में गवाही दी. पुलिस द्वारा 9 दिसंबर 2024 को आरोप पत्र गठन किया गया था, जबकि आरोप का गठन 17 दिसंबर 2024 को किया गया. वाद का निष्पादन स्पीडी ट्रायल के तहत किया गया. अदालत ने पीड़िता को एक लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश भी पारित किया.
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