मैथिली वैचारिक आंदोलन के सूत्रधार थे पंडित अमर
समापन समारोह में पंडित चन्द्रनाथ मिश्र अमर जन्मशती संगोष्ठी, साहित्यकारों ने किया स्मरण
– समापन समारोह में पंडित चन्द्रनाथ मिश्र अमर जन्मशती संगोष्ठी, साहित्यकारों ने किया स्मरण सुपौल. साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली, किसुन संकल्प लोक, सुपौल और मिथिला रिसर्च सोसायटी, लहेरियासराय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वि-दिवसीय पंडित चन्द्रनाथ मिश्र अमर जन्मशती राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन साहित्यकारों, विद्वानों और युवा लेखकों ने पंडित अमर की रचनाधर्मिता और बहुआयामी व्यक्तित्व पर गहन विमर्श किया. दूसरे दिन के प्रथम सत्र की अध्यक्षता वरिष्ठ मैथिली कथा लेखिका व मैथिली परामर्श मंडल की सदस्या नीता झा ने की. उन्होंने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि पंडित चन्द्रनाथ मिश्र अमर मात्र एक बहुविधावादी रचनाकार ही नहीं थे, बल्कि पाठक, लेखक, पाठ्यक्रम निर्माता, कवि, पत्रकार, पटकथा लेखक, अभिनेता और संगठनकर्ता के रूप में भी उनकी पहचान थी. वे मैथिली में वैचारिक आंदोलन के सूत्रधार थे. कार्यक्रम की शुरुआत आमंत्रित अतिथियों को पाॅग और दोपटा से सम्मानित कर की गई. इस मौके पर विजय देव झा ने पंडित अमर की आत्मकथात्मक कृति अतीत मंथन की विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह आत्मकथा से अधिक आत्म-संस्मरण है, लेकिन इसमें आत्मकथा के सभी तत्व मौजूद हैं. उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पंडित अमर राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रभावित थे और छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. युवा लेखिका नेहा कुमारी ने उनकी बहुविधा संबंधी रचनाओं का गहन विश्लेषण प्रस्तुत किया. प्रोफेसर संजय वशिष्ठ ने पंडित अमर के फिल्म अभिनेता के रूप में अभिनय कौशल की चर्चा की. दूसरे दिन के दूसरे सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कथाकार शिवशंकर श्रीनिवास ने की. उन्होंने कहा कि अमर जी जैसे साहित्यकार अब मैथिली में दुर्लभ हैं. विभिन्न क्षेत्रों में अनेक लेखक आएंगे, लेकिन जो विशिष्टता अमर जी में थी, वह असाधारण थी. फूलचंद्र झा प्रवीण ने उनके इतिहास लेखन पर विस्तृत विचार रखे. प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता ने संगठनों के निर्माण एवं संचालन में अमर जी की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया. युवा लेखक नंदकुमार राय ने कहा कि पंडित अमर ने न केवल वैचारिकता को धार दी, बल्कि आंदोलन को गति भी प्रदान की. कार्यक्रम के अंत में आयोजन समिति की ओर से केदार कानन ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया. इस अवसर पर स्थानीय साहित्य प्रेमियों में अरविंद ठाकुर, रामकुमार सिंह, रमण कुमार सिंह, किसलय कृष्ण, विकास वत्सनाभ, कुमार विक्रमादित्य, आशीष चमन, सुस्मिता पाठक, केशव कुमार झा, प्रोफेसर रेणु कुमारी, दीपिका चंद्रा, प्रियंका प्रियदर्शिनी, सुप्रिया कुमारी, कुमारी सौम्या, प्रज्ञा कुमारी, उमा कुमारी आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही.
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