वित्तीय वर्ष 2024-25 में 139 मरीजों का हुआ ऑपरेशन

ऑपरेशन के बाद मरीजों का नियमित किया जाता है फॉलोअप

By RAJEEV KUMAR JHA | November 25, 2025 6:16 PM

– लाचार और नि:सहाय मरीजों के लिए वरदान बना सदर अस्पताल का नेत्र रोग विभाग – सदर अस्पताल में मरीजों के आंख का लेंस भी लगाया जाता है मुफ्त – निजी अस्पतालों में लेंस लगाने के लिए खर्च करने पड़ते हैं 15 से 40 हजार रुपये सुपौल. सदर अस्पताल इन दिनों उन गरीब और असहाय मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो आर्थिक तंगी के कारण आंखों की बीमारी का समय पर इलाज नहीं करा पाते थे. नेत्र रोग विभाग ने बीते दो वर्षों में ऐसे लोगों की जिंदगी में रोशनी भरने का काम किया है जो लंबे समय से मोतियाबिंद जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे थे. सदर अस्पताल में पूरी तरह मुफ्त मोतियाबिंद ऑपरेशन, मुफ्त लेंस प्रत्यारोपण एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों की निगरानी में बेहतर इलाज की व्यवस्था ने इसे जिले का एक भरोसेमंद उपचार केंद्र बना दिया है. नेत्र रोग विभाग में तैनात नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ जाहिद अख्तर ने जिले के सैकड़ों मरीजों को मोतियाबिंद से मुक्ति दिलाई है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में 139 मरीजों का सफल ऑपरेशन किया. वहीं वर्तमान वित्तीय वर्ष में अब तक 91 मरीजों का सफल ऑपरेशन कर चुके है. ये आंकड़े इस बात का प्रमाण है कि अस्पताल केवल स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया नहीं करा रहा है, बल्कि जिले के उन परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बन चुका है जो निजी अस्पतालों में महंगा इलाज कराने में सक्षम नहीं है. सदर अस्पताल में मोतियाबिंद ऑपरेशन पूरी तरह नि:शुल्क किया जाता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आंख का लेंस भी मुफ्त में लगाया जाता है, जिसे सामान्यत: निजी अस्पतालों में 15 से 40 हजार रुपये तक मरीजों को खर्च करने पड़ते हैं. अस्पताल की इस सेवा ने आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए आंखों की रोशनी वापस पाने का सपना बेहद आसान कर दिया है. पहले मधेपुरा, दरभंगा, पटना व नेपाल जाते थे मरीज एक समय था जब जिले के अधिकांश मरीज मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए मधेपुरा, दरभंगा या पटना, नेपाल तक का सफर तय करते थे, लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है. अब सदर अस्पताल में मुफ्त उपचार, सुरक्षित सुविधाएं, कुशल डॉक्टर और आधुनिक तकनीक की वजह से मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अस्पताल के ओपीडी में रोजाना दर्जनों मरीज आंख की समस्या लेकर पहुंचते हैं, जिनमें से अधिकांश मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, आंखों की एलर्जी और कमजोर दृष्टि की शिकायत लेकर आते हैं. विशेष रूप से मोतियाबिंद के मरीजों के लिए यह विभाग सबसे ज्यादा मददगार साबित हो रहा है. मोतियाबिंद ऑपरेशन योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत संचालित की जाती है. इस योजना का लाभ जिले में बेहद प्रभावी तरीके से लागू हो रहा है. डॉक्टरों, नर्सिंग स्टाफ और प्रशासन के समन्वित प्रयासों से ना केवल ऑपरेशन की संख्या बढ़ी है, बल्कि मरीजों की संतुष्टि का स्तर भी ऊंचा हुआ है. जागरूकता अभियान भी चला रहा विभाग नेत्र रोग विभाग समय-समय पर गांवों में जागरूकता अभियान चलाता है, जिसमें लोगों को बताया जाता है कि मोतियाबिंद कोई लाइलाज बीमारी नहीं है, बल्कि साधारण सर्जरी से पूरी तरह ठीक हो जाने वाली समस्या है. विभाग का लक्ष्य है कि जिले में कोई भी वृद्ध व्यक्ति मोतियाबिंद के कारण अंधेपन का शिकार नहीं हो. जानकर बताते हैं कि सदर अस्पताल का नेत्र रोग विभाग जिले के हजारों गरीब परिवारों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरा है. यहां हुए सैकड़ों मुफ्त मोतियाबिंद ऑपरेशन ना सिर्फ मरीजों की आंखों में रोशनी ला रहे हैं, बल्कि उनके जीवन में आत्मविश्वास और स्वाभिमान भी लौटाने का काम कर रहे हैं. डॉ जाहिद अख्तर और उनकी टीम का यह योगदान स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक उदाहरण है. गरीब मरीजों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना विभाग का लक्ष्य सिविल सर्जन डॉ ललन कुमार ठाकुर ने बताया कि नेत्र रोग विभाग की उपलब्धियां पूरे जिले के लिए गर्व का विषय हैं. उन्होंने कहा कि सदर अस्पताल का नेत्र विभाग राज्य के उत्कृष्ट विभागों में से एक बनता जा रहा है. हमारी प्राथमिकता गरीब और जरूरतमंद मरीजों तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंचाना है. नेत्र विशेषज्ञ टीम ने लगातार कड़ी मेहनत से सैकड़ों मरीजों को नई रोशनी दी है. आने वाले समय में सुविधाएं और बढ़ाई जाएगी. कहा कि अस्पताल प्रशासन पूरी ईमानदारी से यह सुनिश्चित कर रहा है कि मरीजों को समय पर जांच, दवा और ऑपरेशन की सुविधा मिले. हर महीने दर्जनों मरीज ऑपरेशन के लिए आते हैं. कहा कि हमारा लक्ष्य ऑपरेशन की संख्या को और बढ़ाना है. ग्रामीण स्तर पर शिविरों का विस्तार, आधुनिक मशीनों की संख्या बढ़ाना, नई योजनाओं के माध्यम से अधिक गरीब मरीजों को जोड़ना. कहा कि आने वाले दिनों में अस्पताल में कुछ और आधुनिक सुविधाएं जोड़ी जाएगी, ताकि मरीजों को और बेहतर सेवा उपलब्ध कराई जा सके. ऑपरेशन के बाद मरीजों का नियमित किया जाता है फॉलोअप सदर अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ जाहिद अख्तर ने कहा कि हमारी कोशिश रहती है कि कोई भी मरीज आर्थिक कारणों से अंधेपन का शिकार नहीं हो. मोतियाबिंद ऐसी बीमारी है जिसका समाधान बहुत आसान है, लेकिन गरीबी व जागरूकता की कमी से लोग समय पर इलाज नहीं करा पाते हैं. अस्पताल में आधुनिक मशीन, अनुभवी टीम और नि:शुल्क लेंस उपलब्ध होने से हमें बेहतर परिणाम मिलते हैं. हर ऑपरेशन हमारे लिए मरीज के जीवन में नई रोशनी भरने जैसा है. कहा कि अस्पताल में अत्याधुनिक माइक्रोस्कोप, सर्जरी उपकरण, रिकवरी वार्ड और प्रशिक्षित नर्सिंग स्टाफ की पूरी व्यवस्था है, जिससे ऑपरेशन के दौरान किसी प्रकार की जटिलता नहीं आती है. साथ ही ऑपरेशन के बाद नियमित फॉलोअप भी किया जाता है.

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