एनसीडी क्लिनिक में सुविधाओं का अभाव

सदर अस्पताल में संचालित एनसीडी क्लिनिक अव्यवस्थाओं से घिरा हुआ है.गंभीर बीमारियों की पहचान और नियमित उपचार के लिए शुरू किया गया यह क्लिनिक फिलहाल केवल नाम का है. जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी का पद वर्षों से खाली है.

By DEEPAK MISHRA | December 10, 2025 9:13 PM

प्रतिनिधि,सीवान. सदर अस्पताल में संचालित एनसीडी क्लिनिक अव्यवस्थाओं से घिरा हुआ है.गंभीर बीमारियों की पहचान और नियमित उपचार के लिए शुरू किया गया यह क्लिनिक फिलहाल केवल नाम का है. जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी का पद वर्षों से खाली है. एनसीडी द्वारा केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजनाएं चलाई जाती है.नियमित पदाधिकारी की पदस्थापन नहीं होने से कार्यक्रम सही तरीके से नहीं चल पाता है.जिला मलेरिया पदाधिकारी को प्रभार दिया गया है.क्लिनिक का संचालन दो सहायकों के भरोसे है, जो सामान्य ओपीडी में आने वाले मरीजों की वाइटल जांच करने के साथ-साथ उनका डेटा ओपीडी रजिस्टर और एनसीडी पोर्टलदोनों जगह दर्ज करते हैं. स्वास्थ्यकर्मियों के अनुसार एक मरीज की दोहरी इंट्री से उनका कार्यभार बढ़ता है और वास्तविक एनसीडी सेवाएं बाधित होती हैं. सिर्फ कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए है डॉक्टर कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए एक डॉक्टर की तैनाती तो है, लेकिन जांच सुविधाएं बेहद सीमित हैं. एनसीडी क्लिनिक में सिर्फ बीपी, शुगर और वजन की ही जांच होती है, जबकि असंचारी रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक कई महत्वपूर्ण जांचें सदर अस्पताल के लैब में उपलब्ध ही नहीं हैं. अस्पताल में डायबिटीज कंट्रोल टेस्ट एचबीए1सी,थायरॉइड जांच , यूरिन रूटीन एवं प्रोटीन जैसी प्राथमिक जांचें नहीं की जातीं, जिसके कारण मरीजों को निजी लैब का सहारा लेना पड़ता है. जरूरत के मुताबिक जांच एवं दवा की नहीं है उपलब्धता एनसीडी के तहत मिलने वाली मुफ्त दवाइयां भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं. बीपी, शुगर, दमा, थायरॉइड जैसी दीर्घकालिक बीमारियों से पीड़ित मरीजों को बाहर से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं. सबसे गंभीर बात यह है कि मरीजों का एनसीडी कार्ड भी नहीं बनाया जा रहा, जबकि यह कार्ड मरीज की बीमारी, इलाज, जांच और फॉलो-अप का पूरा रिकॉर्ड रखता है.इसके अभाव में मरीजों का उपचार प्रबंधन अधूरा रह जाता है. कई प्रमुख बीमारियों की काउंसेलिंग की नहीं है सुविधा सदर अस्पताल में तंबाकू और शराब छोड़ने की काउंसेलिंग, डायबिटीज डाइट काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य की प्रारंभिक काउंसलिंग की कोई व्यवस्था नहीं है, जबकि एनसीडी प्रोग्राम की गाइडलाइन के अनुसार यह सभी सेवाएं अनिवार्य हैं. अस्पताल में न तो विशेष प्रशिक्षित काउंसलर हैं और न ही काउंसलिंग कक्ष.स्थानीय लोगों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा असंचारी रोगों की रोकथाम के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रम का लाभ मरीजों तक ठीक तरीके से नहीं पहुंच रहा है. जांच, दवा और काउंसेलिंग सेवाओं के अभाव में मरीजों को निजी अस्पतालों और लैब की राह पकड़नी पड़ रही है. लोगों ने स्वास्थ्य विभाग से मांग की है कि एनसीडी क्लिनिक को मजबूत करने के लिए तत्काल कदम उठाए जाएं , ताकि गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को राहत मिल सके.

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