भागवत कथा श्रवण से जन्म-जन्मांतर के विकार होते हैं नष्ट : जीयर स्वामी
शिवसागर प्रखंड के जिगनी गांव में श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पांचवे दिन हुआ प्रवचन
फोटो-1- यज्ञ मंडप का परिक्रमा करते श्रद्धालु. प्रतिनिधि, सासाराम ग्रामीण श्रीमद्भागवत कथा श्रवण से जन्म-जन्मांतर के विकार नष्ट हो जाते हैं. साथ ही प्राणी का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है. अन्य युगों में धर्म लाभ व मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं. उक्त बातें शिवसागर प्रखंड जिगनी गांव में चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के पांचवे दिन बुधवार को प्रवचन के दौरान जीयर स्वामी जी महाराज ने कहीं. उन्होंने कहा कि कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है. सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है. कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है. कथा की सार्थकता तभी होती है. जब इसे हम अपने जीवन व व्यवहार में धारण करें. अन्यथा यह कथा केवल मनोरंजन तक ही सीमित रह जायेगी. इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण व निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है. स्वामी जी ने कहा कि भागवत पुराण 18 पुराणों में से एक है. इसका मुख्य विषय भक्ति योग है, जिसमें श्रीकृष्ण को भगवान के रूप में चित्रित किया गया है. भगवान की विभिन्न कथाओं का सार श्रीमद्भागवत मोक्ष दायिनी है. इसके श्रवण से परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई. सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोह-माया के चक्कर में पड़ जाता है. बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें. उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला का दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा. आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते. वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते.
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