16 संस्कार में प्रधान संस्कार है, विवाह : स्वामी रंगनाथाचार्य
25 नवंबर तक चलने वाली श्रीराम विवाह महोत्सव में पधार रहे जगतगुरु, धर्माचार्य
इंद्रपुरी.
विवाह 16 संस्कार में प्रधान संस्कार है. बिना पत्नी के धर्म कार्य संपादन नहीं होगा. पत्नी धर्म के लिए होती है. यह बातें शहर के डेहरी गांधीनगर मुहल्ले में शनिवार को त्रिदंड़ीदेव सत्संग आश्रम के महंत स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज ने कहीं. उन्होंने कहा कि महाराज जनक ने कन्यादान के समय भगवान श्रीराम से कहा है. यह मेरी बेटी जानकी है. आपके साथ धर्म में आपका साथ निभायेगी. अपनी कन्या जानकी की हाथ आपके हाथ में दे रहा हूं. मेरी बेटी का हाथ अपने हाथ में ग्रहण करिये. इसका सभी तरह से भरण पोषण करेंगे. अपने कुल की मर्यादाओं के साथ धर्म का पालन करेंगे. क्योंकि, धर्म ही ऐसा है, जो व्यक्ति धर्म का रक्षा करता है. उसका धर्म भी रक्षा करता है. इसके पहले बक्सर से आये बाल व्यास रामचंद्रा जी महाराज ने श्रद्धालुओं को श्रीराम कथा सुनायीं. इसके पहले 11 सदस्यीय ब्राह्मणों के टीम ने आश्रम में कलश स्थापित कर सभी देवी देवताओं को पूजन कर श्रीरामचरितमानस नवाह् परायण पाठ कर भगवान की आरती की. इसके बाद माताओं ने श्रीराम विवाह महोत्सव पर शगुन गीत गाया. स्वामी जी ने बताया कि वर्ष 1973 से आश्रम में श्रीराम विवाह महोत्सव कार्यक्रम चलता आ रहा है. 15 नवंबर से 25 तक चलने वाली 52वां वर्ष श्रीराम विवाह महोत्सव पर अनेकों तीर्थ स्थलों से जगतगुरु, धर्माचार्य पधार रहे हैं. मौके पर आश्रम को झालर लाइट से सजाया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
